फिल्म ‘फगली’ से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली अदाकारा कियारा आडवाणी मानती हैं कि अब फिल्मों में हीरोइनों का रूप बदल गया है. अब हीरोइनों का काम सिर्फ पेड़ के इर्दगिर्द नाचगाना भर नहीं रहा. वे भी अपरोक्ष रूप से फिल्मी दुनिया से ही हैं. अशोक कुमार उन के परनाना थे, जबकि जूही चावला, सईद जाफरी और अनुराधा पटेल से भी उन का नाता है. जहां तक अभिनय का सवाल है तो कियारा आडवाणी की सब से बड़ी खासीयत यह है कि अब तक उन की 3 फिल्में आई हैं और तीनों ही फिल्मों में उन्होंने अलग तरह के किरदार निभाए हैं. हास्य फिल्म ‘फगली’ में कियारा युवा आत्मविश्वासी लड़की देवी के किरदार में नजर आईं, जबकि बायोपिक ‘एम एस धोनी अनटोल्ड स्टोरी’ में एक साधारण लड़की व धोनी की पत्नी साक्षी के किरदार में नजर आईं. अब वे रोमांचक फिल्म ‘मशीन’ में ऐक्शन करते हुए नजर आई हैं. प्रस्तुत हैं उन से हुई बातचीत के खास अंश :
आप के दिमाग में अभिनय की बात कब आई?
बचपन से ही. मेरे मातापिता फिल्मों से नहीं जुड़े हैं. वे तो व्यवसाय व शिक्षाजगत से संबंध रखते हैं. मेरी मां जेनवी जाफरी अपना प्ले स्कूल चलाती हैं और पिता जगदीप आडवाणी व्यवसायी हैं. मेरी पढ़ाई मुंबई में ही हुई है, लेकिन मेरे परनाना अशोक कुमार बौलीवुड के महान कलाकार थे. आज भी लोग उन्हें दादामुनि के नाम से जानते हैं. बचपन से ही मुझे नाचगाने का शौक रहा है. मैं माधुरी दीक्षित, करिश्मा व करीना कपूर की फैन रही हूं. पर मातापिता के दबाव के चलते मैं ने पढ़ाई पर ध्यान दिया. मैं ने मास कम्युनिकेशन में स्नातक की पढ़ाई की. उस के बाद मैं ने फिल्मों में काम पाने के लिए औडिशन देना शुरू किया. मुझे पहली फिल्म ‘फगली’ मिली. उस के बाद मैं ने ‘एम एस धोनी : अनटोल्ड स्टोरी’ में साक्षी का किरदार निभाया. अब हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘मशीन’ में एकदम अलग किरदार में नजर आई हूं.
आप के पिता ने आप को अभिनय को कैरियर बनाने की इजाजत दी?
इस का श्रेय आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडिएट्स’ को जाता है. इस फिल्म को देखने के बाद मेरे पिता ने कहा कि पढ़ाईर् पूरी करने के बाद अपनी पसंद का कैरियर चुन सकती हूं. मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मैं ने अनुपम खेर के ऐक्ंिटग स्कूल से अभिनय की ट्रेनिंग हासिल की. रोशन तनेजा के ऐक्ंिटग स्कूल से भी मैं ने प्रशिक्षण लिया.
अभिनय की शुरुआत करना कितना कठिन रहा?
देखिए, जब फिल्म इंडस्ट्री में आप का कोई गौडफादर न हो, तो परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है. जब मैं औडिशन दे रही थी और बारबार असफल हो रही थी, तभी मेरी दूसरी नानी की बेटी अनुराधा पटेल ने फोन कर मेरे फोटोग्राफ मांगे थे और वे फोटोग्राफ अपने मित्र कबीर सदानंद को दिए जो फिल्म ‘फगली’ के निर्देशक थे. उस के बाद कबीर सदानंद ने मुझे औडिशन के लिए बुलाया और मेरा चयन हो गया.
मैं तो यह भी मानती हूं कि यदि आप स्टार डौटर हैं तब भी कठिनाई आती है, क्योंकि दर्शकों द्वारा आप को स्वीकार किया जाना जरूरी है. दर्शक ही असली राजा है. इसलिए मेरी राय में सिर्फ कठिन परिश्रम करना ही एकमात्र उपाय है. इसलिए मैं ने ‘फगली’ और ‘एम एस धोनी : अनटोल्ड स्टोरी’ के समय कहा था कि फिल्म देखिए. दोनों ही फिल्मों में लोगों ने मेरे काम को सराहा.
मुझे तब बहुत खुशी मिलती है जब लोग सड़क पर मिलते हैं और मुझे साक्षी कह कर बुलाते हैं. मैं खुद चाहती हूं कि लोग मुझे मेरे काम की वजह से पहचानें. इन दिनों फिल्म ‘मशीन’ में मेरे काम को काफी पसंद किया जा रहा है.
फिल्म ‘मशीन’ के किरदार को ले कर क्या कहेंगी?
इस फिल्म में मैं ने एक शहरी लड़की सारा का किरदार निभाया है, जो अंदर से काफी रोमांटिक है, पर बाहर से सशक्त है. वह जिस से प्यार करती है, उस पर सबकुछ न्योछावर कर देती है. उसे अपने प्यार को पाने के लिए लड़ना भी आता है. निजी जिंदगी में मैं भी ऐसी ही हूं. इसलिए इस किरदार के साथ मैं ने रिलेट किया. सारा का व्यक्तित्व बहुत कवितामय है. यह फिल्म प्रेम कहानी पर आधारित है.
फिल्म का नाम ‘मशीन’ क्यों रखा?
यह मेटाफोर है. ‘मशीन’ एक रोमांचक फिल्म है. फिल्म में हर 15 मिनट में टर्निंग पौइंट है. रोमांचक फिल्में मुझे भी बहुत पसंद हैं. इसलिए इस फिल्म में काम करने में मुझे मजा आया. इस फिल्म में सस्पैंस भी है.
यह फिल्म कैसे मिली?
मुझे इस फिल्म के लिए औडिशन नहीं देना पड़ा, जबकि मुझे अपनी पहली फिल्म ‘फगली’ और दूसरी फिल्म ‘एम एस धोनी : अनटोल्ड स्टोरी’ के लिए औडिशन देना पड़ा था. मुझे लगता है कि इस की मूल वजह यह है कि 2 फिल्मों में मेरा काम देख कर बौलीवुड के सारे फिल्मकार मेरी प्रतिभा का आकलन कर चुके हैं. यदि कभी भी कोई फिल्मकार चाहेगा कि मैं औडिशन दूं तो मैं औडिशन देने के लिए तैयार हूं. मुझे औडिशन देने में कोई समस्या नहीं है, जबकि मुझे पता है कि अब्बास मस्तान अपनी फिल्म के साथ किसी कलाकार को जोड़ने से पहले दस बार सोचते हैं. यहां तक कि फिल्म के हीरो मुस्तफा ने भी अपनी अभिनय व नृत्य प्रतिभा की एक शो रील बना कर अपने पापा को दिखाई थी.
फिल्म में एक गाना है, ‘तू चीज बड़ी है मस्तमस्त…’ कई साल पहले इसी गाने पर थिरक कर रवीना टंडन ने काफी शोहरत बटोरी थी. आप के क्या अनुभव रहे?
मुझे इस गाने पर नृत्य करने का मौका मिला यही मेरे लिए अच्छी बात है. यह गाना अक्षय कुमार और रवीना टंडन का कल्ट गाना रहा है. मैं यहां बताना चाहूंगी कि बचपन में मैं परिवार में या दोस्तों के यहां शादी के अवसर पर इसी गाने पर नृत्य किया करती थी. अब मुझे उसी गाने पर कैमरे के सामने नाचते हुए काफी खुशी मिली.
अब्बास मस्तान के साथ काम करने के अनुभव क्या रहे?
पहली फिल्म ‘फगली’ के प्रदर्शन के बाद मैं ने एक सूची बनाई थी कि मुझे किनकिन निर्देशकों के साथ काम करना है. उसी सूची में से मुझे नीरज पांडे के साथ फिल्म ‘एम एस धोनी : अनटोल्ड स्टोरी’ में अभिनय करने का मौका मिला. फिर उसी सूची में से अब्बास मस्तान के साथ फिल्म ‘मशीन’ करने का मौका मिला.
अब्बास मस्तान ने प्रीति जिंटा, काजोल व प्रियंका चोपड़ा को अपनी फिल्मों से स्टार बनाया. फिल्म ‘एतराज’ में प्रियंका चोपड़ा या ‘बाजीगर’ में काजोल को देखिए. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी फिल्मों में हमेशा एक हीरोइन को सशक्त नारी के रूप में पेश किया.
आप को इस बात का डर नहीं था कि यह फिल्म वे अपने बेटे मुस्तफा के लिए बना रहे हैं, तो स्वाभाविक है आप के किरदार के बजाय वे मुस्तफा के किरदार को महत्त्व देंगे?
फिल्म की पटकथा पढ़ने के बाद तो शक की कोई गुंजाइश नहीं बची थी. मैं ने तो उन से अपनी तरफ से ही पूछा था कि क्या आप इसी स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाएंगे? उन्होंने एक ही बात कही थी, ‘मेरे लिए फिल्म की कहानी, कंटैंट व किरदार अहमियत रखते हैं, कलाकार नहीं.’
मैं मानती हूं कि फिल्म निर्देशक का माध्यम है. इसलिए मैं सह कलाकारों के नाम पर गौर करने के बजाय निर्देशक के नाम पर गौर करती हूं. मैं 3 फिल्में कर चुकी हूं पर मैं कहना चाहूंगी कि मुस्तफा उन कलाकारों में से रहे जिन के साथ मैं ने बड़ी सहजता से काम किया है.
आप की पहली फिल्म ‘फगली’ के हीरो मोहित मारवाह की वह पहली फिल्म थी. अब आप की तीसरी फिल्म ‘मशीन’ के हीरो मुस्तफा की भी पहली फिल्म है?
मैंने पहले ही कहा कि सिनेमा निर्देशक का माध्यम है और मैं निर्देशक पर गौर कर के ही फिल्म चुनती हूं. वैसे मोहित मारवाह और मुस्तफा दोनों प्रतिभाशाली कलाकार हैं.
किस तरह की फिल्में करना चाहती हैं?
मैं खुद को दोहराने में यकीन नहीं रखती. यह अच्छी बात है कि अब तक मुझे तीनों फिल्मों में विविधतापूर्ण किरदार निभाने का मौका मिला. ‘फगली’ में मैं ने दिल्ली की लड़की का किरदार निभाया, जिस में उस लड़की को कई तकलीफों से गुजरना पड़ता है. इसे निभाना मेरे लिए काफी कठिन था. मैं अखबारों या समाचार चैनलों में पढ़ती या सुनती रहती हूं. मैं तो बहुत सुरक्षित घर में पलीबढ़ी हूं. इस के बावजूद मैं ने जानबूझ कर पहली फिल्म ऐसी चुनी थी, जो मेरी जिंदगी के अनुभवों के विपरीत हो. फिल्म में जो हिंसा थी, वह मेरे लिए एकदम नया अनुभव था. इस से एक कलाकार के तौर पर मुझे खुद को विकसित करने में मदद मिली.
खुद को किस तरह परिभाषित करेंगी?
मैं अपने मातापिता की ही तरह आत्मविश्वासी, सशक्त व सकारात्मक सोच के साथ आशावादी हूं. मेरी पौजिटिविटी मेरी सब से बड़ी ताकत है.
आप सलमान खान से परिचित हैं?
मेरी मम्मी और सलमान खान बचपन के दोस्त हैं. स्टार बनने से पहले सलमान सर और मेरी मां दोनों साथ साइकिल चलाया करते थे. मेरी मां ने ही मेरी मौसी शाहीन का परिचय सलमान सर से कराया. मैं सलमान सर से उन के घर पर कई बार मिली हूं. वे काफी अच्छे इंसान हैं.
जूही चावला से क्या रिश्ता है?
जब मेरे मातापिता डेट कर रहे थे, तब उन की दोस्ती जूही चावला से हुई थी. वे मुझे मेरे जन्म के समय से जानती हैं. मैं उन्हें जूही आंटी कह कर बुलाती हूं. हम होलीदीवाली एकदूसरे के घर जा कर मनाते हैं.
सईद जाफरी से कभी मुलाकात हुई?
जब मैं 5 साल की थी, तब मेरी लंदन में जाफरी अंकल से मुलाकात हुई थी.
आप सोशल मीडिया पर भी व्यस्त हैं, पर सोशल मीडिया पर गालियां भी मिलती हैं?
मैं ट्विटर व इंस्टाग्राम पर हूं. अब मैं आलोचना भी सुन लेती हूं. हर कोई कुछ न कुछ कहता रहता है. सोशल मीडिया पर लोग कमैंट करते रहते हैं. अब इस तरह की बातों पर कम ध्यान देती हूं. मेरा ध्यान अपने काम पर ज्यादा रहता है. कुछ की आलोचना सुनना पसंद है. सोशल मीडिया पर हर कमैंट नहीं पढ़ती. देखिए, जिसे जो कहना है, कहता रहेगा. हम किसी को रोक नहीं सकते. आखिर हम सभी इंसान हैं, हमारा अपना परिवार है. मुझे ज्यादा आलोचनाएं नहीं सहनी पड़ीं.
हौलीवुड में हीरोइन के हिस्से काफी रोमांचक किरदार आते हैं, पर अब भारत में भी इस तरह की शुरुआत हो गई है, तो इसे आप कैसे देखती हैं?
अब बौलीवुड में महिला केंद्रित फिल्में बन रही हैं और दर्शक इन्हें पसंद भी कर रहे हैं. महिला किरदार अब ज्यादा सशक्त लिखे जा रहे हैं. यह अच्छी शुरुआत है. मैं ने ऐसे अच्छे वक्त में कैरियर शुरू किया है, जब नारीप्रधान फिल्में बनने लगी हैं. अब पुरुष कलाकारों के समान ही महिला कलाकारों को भी सम्मान दिया जाता है. मेरे साथ तो सैट पर अच्छा व्यवहार किया गया. मैं भी चाहती हूं कि फिल्म में किरदार भले छोटा हो, पर वह महत्त्वपूर्ण हो.
आप किसे अपना प्रतिस्पर्धी मानती हैं?
मेरे लिए तो सभी प्रतिस्पर्धी हैं, क्योंकि सभी प्रतिभाशाली हैं.
आने वाली फिल्में?
मैंने नई फिल्में अनुबंधित नहीं की हैं, पर कुछ पटकथाएं पढ़ रही हूं और इन के बारे में फिल्म ‘मशीन’ के बाद अंतिम निर्णय लूंगी.