Hindi Funny Story, लेखक – राजेंद्र कुमार सिंह
आज की राजनीति में लतखोरों और चोरों की कमी नहीं है. जो जहां पर है, जिस को जहां मौका मिला, चौकाछक्का मार कर विकास का चक्का जाम कर हराम के माल पर कमाल करते हुए नमकहराम खुद आराम कर रहा है. जो भविष्य में बनता यही जी का जंजाल है. जनता देख रही जो नेता भलाई करने का संकल्प ले कर मैदान में उतरा, वही विकास के पर कतर मलाई चांप रहा है, मजे से नोट छाप रहा है. इस आड़ में कामयाबी का झठा झंडा गाड़ कर कहता है कि जनता जाए भाड़ में. विकास की चादर समेट बढि़या कमीशन लपेट कर अपना पेट भर निडर हो कर चल रहा है.
सार्वजनिक संपत्ति पर अपने अधिकार से कटौती कर बपौती समझ कर यूज कर रहा है. आज जनता को सजग होते ही इन की करतूतों को देख कहर बन कर टूट रही है. जो सार्वजनिक संपत्ति को अपना समझने की भूल कर रहे थे, उन की कलई खुल रही है. जनता के गुस्से से उन का जोश बेहोश हो कर धराशायी हो गया.
वह कितना बेकल, बेहाल व लाचार है. चल रहा कभी पातपात, तो कभी भाग रहा इस डाल तो उस डाल है. इसी तरह के सांपसीढ़ी के खेल में देश का खस्ताहाल है. पूरे देश में एक अलग स्लोगन चल रहा है. जनता जो सोई थी, अपनी हसरतें जो डुबोई थी, अब वह मचल रही है, रोड पर निकल उछल रही है.
आज लोकतंत्र बिलकुल तंगतंग हो गया है. दूसरे शब्दों में लोकतंग या प्रजातंग कह सकते हैं. सुकून और शांति सत्ता की होड़ में जो पहले से आसन पर बैठ झठा आश्वासन परोस रहा है. सूचना तंत्र इन की साजिश के झंसे में आ गया है. वह भी खापी कर दंड मार रहा है. बोझ से दबा बैठा है. कुछ अजीब तरह की हरकत करते हुए कुंठित हो कर बीचबीच में ऐसा कानून या विधेयक लाता है, मुंह की खाता है. जनता जाग गई लेते हुई अंगड़ाई. अगले अंजाम को तमाम करने के लिए क्वालिफाई कर रही है.
और इसी तरह के जुनून में हमारे महल्ले के उभरते नेता सुखीराम ने भी इस जंग में कूद कर अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया. मौका देख कर चौका मारने में कमाल का महारत हासिल है. जब जान गया कि ऐसेऐसे मौके पर कुछ भेटने वाला है, तो समेटने के लिए निकल पड़ता है. उन के साथ में एक टोली होती है जो अगले की बोली पर ताला लगा देने के लिए जानी जाती है.
यही वजह है कि वे समयसमय पर लतियाए जाते हैं. कभी खूब पिटाते हैं. उस में सब से ज्यादा प्रसाद सुखीराम ही पाते हैं. लोगबाग अब असली नाम के जगह नेता लतखोरीलाल कहते हैं. ये जब जब पिटा कर आए, पड़ोसी होने के नाते पूछ लिया, ‘‘क्या हाल है लतखोरीलाल भाई?’’
क्योंकि ये पक्ष हो या विपक्ष तहसनहस कराने, मामला को बिगाड़ने के लिए मशहूर हैं. हालांकि, हवा का रुख देख कर चलते हैं, इसलिए जबजब सत्ता बदलती है, ये भी बदल जाते हैं. खरीदफरोख्त में मोलतोल करने में इन का जवाब नहीं, महारत हासिल है. सामान तो इनसान भी खरीदते हैं, नेता खरीदने में इन का क्या कहना.
देश की संपत्ति को ये बपौती समझकर आमजन की सुविधाओं में कटौती कर पनौती लगाने के लिए भी जाने जाते हैं, इसलिए जनमानस जैसे ही सड़कों पर उतरा, शायद इन पर मंडराना शुरू हो गया खतरा. अभी जंग जारी है. नया मुद्दा अभी कुछ ज्यादा उछल रहा है किसी आयोग को ले कर. जनता भी पड़ गई है इन के पीछे हाथ धो कर. Hindi Funny Story




