Hindi Funny Story: जबजब सज्जनों की तर्ज पर मैं गलती से सच्ची में नेकी वाला कोई काम करता हूं, तो हफ्ताभर शर्म से सिर नीचा किए रहता हूं. यह सोच कर कि जन्मजात समाज विरोधी काम करने वाले गधे, यह तू ने क्या कर दिया? इसे आप सीधेसीधे यों भी कह सकते हैं कि शायद मुझे नेकी का काम करते हुए शर्म आती है.

दरअसल, मैं अपने हाथ चलाता बुरे काम के लिए हूं और उन से गलती से यों अच्छा काम हो ही जाता है. इसे आप मेरी नहीं, बल्कि मेरे हाथों की लापरवाही भी कह सकते हैं.

अच्छा काम गलती से हो जाने के बाद पछतावे के तौर पर सिर नीचा किए मैं सुबह सैर को निकला था कि सामने रुपया गिरने की बेशर्मी के सारे रिकौर्ड तोड़़ने के बाद भी गर्व से सिर ऊंचा किए सीना ताने चला आ रहा था जौगिंग करता हुआ.

मैं दिमाग से ही नहीं, दिल से भी मानता हूं कि आज समाज में बेशर्मों की जयजयकार का जमाना है. मैं दिमाग से ही नहीं, दिल से भी मानता हूं कि आज समाज में बेशर्मों की हुंकार का जमाना है. फिर भी पता नहीं क्यों आप से यों ही पूछ रहा हूं कि ये बेशर्म टाइप के लोग ऐसे क्यों होते होंगे भाई साहब? इन्हें इज्जतबेइज्जती में कोई फर्क नजर आता होगा कि नहीं?

कर ले प्यारे रुपए, अपने आज तक के अपने सब से निचले स्तर पर गिरने के बाद भी इतराते हुए जितनी चाहे जौगिंग. कर ले प्यारे रुपए, अपने आज तक के निचले स्तर पर गिरने के बाद भी इतराते हुए जितनी चाहे अपनी सेहत सुधारने के लिए सैर. गले में स्मार्ट वाच लटकाए रोज 10 हजार स्टैप्स चल, चाहे 20 हजार. अपनी सेहत के हित में जिस की सेहत बिगाड़ने वाले सड़क से संसद तक बैठे हों, उस की सेहत में सुधार वह खुद तो क्या, कुदरत भी नहीं कर सकती.

वह चाहे कितनी ही जौगिंग कर ले. वह चाहे कितनी ही सैर कर ले. वह कितने ही अपनी सेहत सुधार के लिए स्वदेशी से ले कर विदेशी टौनिक ले ले. उस की अपनी सेहत सुधार के लिए हर इंपोर्टेड टौनिक उस की सेहत बिगाड़ने वालों को ही लगते हैं. टौनिक वह लेता है और हट्टेकट्टे वे होते हैं बिस्तर पर लेटेलेटे. इन दिनों पेट मेहनत की खाने वालों के बढ़ते देखे गए हैं, दूसरों के हिस्से की खाने वालों के नहीं.

खुद हद का गिरा हुआ होने के बावजूद भी हर टाइप के गिरे हुए की तरह उस गिरे हुए से भी बात करने को मन तो नहीं हो रहा था, फिर भी पता नहीं उस से क्यों बात कर बैठा? मतलबी से मतलबी आदमी किसी से बात किए बिना आखिर कब तक रह सकता है.

‘रुपया भाई, एक बात तो बताना बुरा न लगे तो, रिकौर्ड स्तर पर गिरने के बाद भी तुम इतनी जिंदादिली से यह सब कैसे कर लेते हो? रोजरोज गिरते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती क्या? अब तो जनता पर रहम करो.

‘अरे यार, मेरी तरह ऊपर उठ नहीं सकते तो कम से कम कुछ दिनों के लिए वहां तो रुक जाया करो जहां गिरते हो. मुझे तुम्हारा सबकुछ पसंद है, लेकिन रोजरोज गिरना कतई पसंद नहीं.

‘अपने हो, इसलिए कह रहा हूं. पड़ोसी होते तो कुछ न कहता. जितना गिरना होता गिरते रहते, मेरी
बला से.’

इस पर रुपए ने कहा, ‘रहम करें वे जो मुझे गिरातेगिराते ऊपर से ऊपर उठे जा रहे हैं. वैसे डियर, गिरा हुआ यहां कौन नहीं? यहां पलपल कौन नहीं गिर रहा बंधु. यहां नंदू से ले कर चंदू तक सब तो गिर रहे हैं.

‘किसी का यहां ईमान गिर रहा है, तो किसी का सम्मान. कोई अपने कर्म से गिर रहा है, तो कोई जीने के मर्म से. यहां गिरना सच है तो ऊपर उठना ?ाठ. ऐसे में मु?ा गिरे हुए को काहे की शर्म? शर्म वे करें जिन्हें गिरने में शर्म महसूस होती हो.

‘हां, शुरूशुरू में गिरने पर शर्म जरूर महसूस होती थी. पर जब कोई बारबार गिरने लग जाए तो वह शर्म से ऊपर उठ जाता है. बारबार गिरने की लत लग जाने के बाद उसे नैतिकता की कितनी ही ब्रांडेड घुट्टियां पिला लो, उसे उठने को जोर देने के लिए कितने ही प्रवचन सुना लो, पर तब वह पलपल गुनगुनाता हुआ, इतराता हुआ गिरता ही जाता है, क्योंकि तब उस की जिंदगी का एकलौता मकसद बचता है, बस गिरना… गिरना… गिरना…

‘अब तो हर गिरने वाले की तरह मुझे भी अपने रोजाना गिरने पर खुशी नहीं, बहुत खुशी होती है. अब सब की तरह चाहता हूं कि मैं अपने गिरने के रोज अपने रिकौर्ड अपनेआप ही तोड़ता रहूं, इसलिए जबजब पिछले गिरने के रिकौर्ड से और नीचे गिरता हूं, तो अपने गिरने पर जम कर अब्दुल्ला हो नागिन डांस कर लेता हूं. खुद को खुद की बांहों में जी भर लेता हूं.

‘दोस्त, इज्जत की कुरसियों पर लेटे रोजाना गिरने वालों से पूछो तो पता चले कि आज गिरने में कितना मजा छिपा है.

‘आज मेहनत करतेकरते ऊपर उठना सब से बड़ी गलती है. दूसरे, मेहनत करते हुए कोई आज ऊपर उठ भी नहीं सकता. मेहनत के बाद भी गिरे किसी को कहां उठने देते हैं? गिरने के लिए कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती.

तुम्हारे पास दूर तक देखने की नजर नहीं है तो लो, मेरी दूरबीन से देखो, यहां जो आज जितना गिरा हुआ है, वह आज उतना ही इज्जत से उठा हुआ है.

‘आज इज्जत ऊपर उठने वालों की नहीं, गिरने वालों की है. समाज आज इज्जत ऊपर उठने वालों को नहीं, गिरने वालों को देता है. ऐसे में रिकौर्ड गिरने के बाद भी जो मैं शान से फिट रहने की कोशिश कर रहा हूं, तो तुम्हारे पेट में मरोड़ क्यों उठ रही है?’ रुपए ने मेरे माथे पर आया पसीना पोंछा और नकटा आगे हो लिया.

बेशर्मों के क्या सींग होते हैं भाई साहब… Hindi Funny Story

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