Romantic Story: कामना एक मिडिल क्लास परिवार की लड़की थी. वह 3 बहनों में सब से बड़ी थी. बड़ी होने के चलते घर की जिम्मेदारी भी उसी पर थी. मम्मी या पापा बीमार हो जाएं, तो उसे ही स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती थी.

कामना पढ़ाई में होशियार थी. पड़ोस में रहने वाले पंकज से नोट्स ले कर अपना कोर्स पूरा कर लेती थी और हमेशा अच्छे नंबरों से पास हो जाती थी. उम्र बढ़ने के साथसाथ ही उस की क्लास भी बढ़ रही थी. अब वह कालेज में आ गई थी.

पंकज और कामना दोनों एक ही कालेज और एक ही क्लास में थे, इसलिए एकसाथ ही कालेज आतेजाते थे.

पंकज अमीर परिवार से था, इसलिए वह पैसों की कीमत नहीं सम?ाता था. वह हमेशा अपने दोस्तों से घिरा रहता था और क्लास में न जा कर कालेज की कैंटीन में अपना समय बिताता था.

कामना हमेशा पंकज को यही समझाती, ‘‘तुम समय और पैसों की कीमत समझो. अच्छे समय में सब साथ देते हैं, लेकिन बुरे समय में जो साथ दे वही सच्चा साथी है. तुम अपने दोस्तों पर पैसा खर्च करना बंद कर दो, तो तुम्हारे पास जो दोस्तों की भीड़ है, वह चुटकी में गायब हो जाएगी.’’

लेकिन पंकज कामना की बातों को हवा में उड़ा देता था. पंकज के घर वाले कामना को बहुत प्यार करते थे. वे जानते थे कि कामना ही वह लड़की है, जो उन के एकलौते बेटे की जिंदगी में बहार ला सकती है.

दरअसल, पंकज अपनी दादी के लाड़दुलार से बिगड़ गया था. स्कूल में तक तो ठीकठाक नंबरों से पास हो जाता था, कामना भी पढ़ाई में उस की मदद कर देती थी, लेकिन कालेज में आ कर तो उस के रंगढंग ही बदल गए थे. दादी तो उसे जेबखर्च के पैसे देती ही थीं, वह अपने पापा से भी कई बहानों से पैसे मांग लेता था.

इस तरह पूरा साल बीत गया. जब इम्तिहान नजदीक आए, तो पंकज को पढ़ाई याद आई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. उस ने कामना से कहा, ‘‘यार, पढ़ाई में मेरी मदद कर दे.’’

कामना ने अपने सारे नोट्स पंकज को पढ़ने को दे दिए, लेकिन उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि नोट्स में क्या लिखा है. उस की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा. अगर वह इस साल फेल हो गया, तो सभी उस का मजाक उड़ाएंगे. पापा और दादी भी पैसे देना बंद कर देंगे.

पूरे इम्तिहान के दौरान पंकज बहुत खामोश रहा. उस ने अपने दोस्तों से मिलना भी बंद कर दिया. लेकिन अब पछताने से क्या होता, कीमती समय तो निकल गया था.

इम्तिहान का रिजल्ट आ गया. पंकज सिर्फ एक सब्जैक्ट में पास हुआ, बाकी सब में फेल हो गया था. घर में सब से डांट पड़ी और कामना का साथ अलग छूट गया.

कामना फर्स्ट डिवीजन में पास हुई थी. उस ने फिर भी पंकज को सम?ाया, ‘‘तुम अब भी मेहनत कर के पास हो सकते हो, बस अपने चापलूस दोस्तों का साथ छोड़ कर पढ़ाई में ध्यान लगाओ.’’

तब तो पंकज ने चुपचाप कामना की बात सुन ली, पर कुछ ही दिनों के बाद पंकज का वही रवैया शुरू हो गया. अब तो कामना ने उस पर ध्यान देना ही बंद कर दिया.

पंकज की दोस्ती इस साल कालेज में आई एक नई लड़की रीना से हो गई. रीना देखने में खूबसूरत थी, लेकिन उस की दोस्ती पंकज के अलावा और भी कई लड़कों से थी. उस का काम लड़कों के साथ घूमनाफिरना और उन से गिफ्ट लेना था.

रीना अपनी सहेली के साथ एक कमरे में रहती थी. उस के चाचाचाची ने उसे पाला था. चाचाजी समय से पैसे भेज देते थे. बाकी समय वे रीना के बारे में कोई खोजखबर नहीं लेते थे. इसी बात का फायदा रीना उठाती थी.

कामना ने जब पंकज को रीना से दूर रहने की सलाह दी, तो पंकज ने उस से कहा, ‘‘तुम रीना की खूबसूरती से जलती हो, इसलिए ऐसा कह रही हो. रीना बहुत अच्छी लड़की है. वह मुझे बहुत चाहती है.’’

पंकज की बात सुन कर कामना ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘रीना तुम्हें कितना चाहती है, यह तो वक्त आने पर पता चल ही जाएगा.’’

इस के बाद कामना ने पंकज से बात करना छोड़ दिया.

फरवरी का महीना आ गया था. सभी लोग वैलेंटाइन डे के लिए बेहद जोश में थे. सभी अपने खास दोस्त को खूबसूरत गिफ्ट देना चाह रहे थे.

पंकज ने रीना के लिए खूबसूरत सूट खरीदा और उसे उम्मीद थी कि रीना उस दिन जरूर अपने प्यार का इजहार करेगी, लेकिन होनी को तो और कुछ ही मंजूर था.

एक दिन बाजार से लौटते समय पंकज का कार से एक्सीडैंट हो गया. उसे अस्पताल में एडमिट कराया गया. खबर मिलते ही उस के मम्मीपापा और दादी अस्पताल आए.

पंकज की हालत काफी खराब थी. पत्थर पर गिरने के चलते उस के चेहरे पर काफी चोट थी. सिर पर भी गहरी चोट आई थी. तुरंत ही उस का आपरेशन किया गया.

डाक्टर का कहना था कि पंकज को ब्रेन हेमरेज हुआ है. ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा.

कामना भी अपने मम्मीपापा के साथ दूसरे दिन अस्पताल पहुंची. पंकज की मम्मी और दादी का रोरो कर बुरा हाल था. कामना के परिवार ने उन्हें हिम्मत दी.

अगले दिन पंकज के कुछ ही दोस्त उसे देखने आए और कालेज में यह अफवाह फैला दी कि पंकज अब कालेज नहीं आ पाएगा.

कुछ दिन में ही पंकज की हालत में सुधार होने लगा. कामना उस से मिलने आती रहती थी.

पंकज अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ था. उसे बोलने में परेशानी थी, लेकिन बात सारी समझ रहा था.

आज 14 फरवरी वैलेंटाइन डे का दिन था. कामना हलके गुलाबी रंग का सूट पहन कर आई थी. आते ही पंकज की मम्मी को खाने का टिफिन दिया और वापस जाने लगी, तो उसे लगा कि अचानक पंकज कुछ बोलने की कोशिश कर रहा है.

कामना ने पंकज की मम्मी को कहा, ‘‘चाची, देखो शायद पंकज कुछ कहना चाह रहा है.’’

पंकज की निगाह दरवाजे पर टिकी थी. उसे रीना का इंतजार था, पर वह एक बार भी उस से मिलने नहीं आई थी.

पंकज की मम्मी ने कामना से पूछा, ‘‘पंकज दरवाजे पर क्यों टकटकी लगाए हुए है?’’

तब न चाहते हुए भी कामना ने रीना और पंकज की दोस्ती के बारे में सब बता दिया.

मम्मी ने पंकज के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, रीना तो आज तक एक बार भी तुम्हें देखने नहीं आई. अगर वह तुम से प्यार करती तो तुम्हें देखने तो आती. क्या उसे तेरी फ्रिक नहीं होती? मुझे तो वह लड़की ठीक नहीं लग रही है, लेकिन फिर भी तुम उसे चाहते हो तो हमें यह रिश्ता मंजूर है. लेकिन शादी कुछ साल बाद ही करेंगे.’’

मम्मी की बात सुन कर पंकज के चेहरे की रंगत ही बदल गई.

कामना भी अब वापस कालेज आ गई थी. आते ही उस ने रीना को देखा. वह क्लास के एक लड़के के साथ कार में घूमने जा रही थी.

कामना ने रीना से कहा, ‘‘रीना, तुम पंकज से मिलने एक बार भी नहीं गई. कालेज में तो दिनभर उस के साथ रहती थी. एक बार उस से मिलने चली जाओ, वह तुम्हारा इंतजार कर रहा है.’’

वैसे तो कामना को मालूम था कि रीना पंकज से मिलने नहीं जाएगी, पर पंकज की खुशी की खातिर ही उस ने रीना से यह बात कही.

कामना की बात सुन कर रीना ने हंसते हुए कहा, ‘‘कौन पंकज? मैं किसी पंकज को नहीं जानती. अब वह मेरे किसी काम का नहीं है और मैं बिना काम की चीजों को फेंक देती हूं.’’

तब कामना ने कहा, ‘‘पंकज कोई चीज नहीं है. वह तुम्हारा प्यार है.’’

रीना बोली, ‘‘कौन सा प्यार… मैं ने कभी उस से प्यार किया ही नहीं. बस, मतलब निकाला था. मतलब खत्म, दोस्ती खत्म,’’ इतना कह कर वह उस लड़के के साथ कार में बैठ कर चली गई.

कामना कुछ देर तक वहीं खड़ी रही, फिर क्लास में न जा कर अपने घर आ गई और मम्मी को सारी बातें बताईं.

शाम को कामना अपनी मम्मी के साथ पंकज से मिलने गई और रीना ने जो कहा था उस की पूरी रिकौडिंग पंकज की मम्मी को सुनाई.

पंकज की मम्मी ने कहा, ‘‘मुझे तो पहले से ही मालूम था कि रीना ठीक लड़की नहीं है, लेकिन पंकज को
यह बात समझ नहीं आ रही थी. खैर, जो होता है, अच्छे के लिए होता है.’’

थोड़े दिनों में पंकज काफी हद तक ठीक हो गया और थोड़ाथोड़ा बोलने की कोशिश भी करने लगा.
पंकज की जिद पर उस के मम्मीपापा उसे कालेज लाए. पंकज एक बार रीना को देखना चाह रहा था. कालेज में आते ही उस की नजर रीना को ढूंढ़ने लगी.

तभी रीना अपने नए दोस्त के साथ कैंटीन से निकल रही थी. रीना को देखते ही पंकज खुश हो गया. उसे लगा कि रीना उस के पास आएगी और न मिल पाने का अफसोस करेगी, लेकिन रीना ने पंकज को देख कर भी अनदेखा कर दिया और उस के सामने से निकल कर अपने नए दोस्त की कार में बैठ कर चली गई.

पंकज की आंखों से आंसू निकल पडे़ और वह धीमे और लड़खड़ाते कदमों से अपनी गाड़ी की ओर चल पड़ा. रास्तेभर वह रोता रहा. उस की मम्मी ने भी कहा, ‘‘बेटा, जीभर कर रो ले. ऐसे रिश्ते पर आज के बाद आंसू मत बहाना,’’ फिर उन्होंने कामना द्वारा दी गई रीना की रिकौडिंग सुनाई.

रिकौडिंग सुन कर पंकज फूटफूट कर रोने लगा. उस की मम्मी ने कहा, ‘‘अच्छा हुआ कि मतलबी रिश्ता खत्म हो गया. ऐसा रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चलता.’’

कालेज से लौटते हुए पंकज के पापा ने कार कामना के घर पर रोक दी. उन का तो पहले से ही वहां आनाजाना था.

पंकज को देख कर कामना ने जल्दी से उस का हाथ पकड़ा और कमरे में ले आई. पुरानी बातों का दौर शुरू हुआ तो समय का पता ही नहीं चला. दोपहर को सब ने साथ ही खाना खाया.

पंकज अब धीरेधीरे ठीक हो रहा था. उस ने फिर से कालेज जाना शुरू कर दिया, लेकिन इस पंकज में और पहले के पंकज में जमीनआसमान का फर्क था.

अब पंकज बहुत चुपचुप सा रहने लगा था. उस के चापलूस दोस्त सब दूर हो गए थे, क्योंकि पंकज घर से कालेज और कालेज से सीधा घर जाता था. कभीकभार कामना के घर चला जाता था.

इसी तरह दिन निकल रहे थे. इस बार पंकज अच्छे नंबरों से पास हुआ था और इस का क्रेडिट उस ने कामना को दिया और अपने मम्मीपापा से कहा, ‘‘अगर कामना नहीं होती, तो मैं डिप्रैशन में चला जाता.’’

पंकज की मम्मी बोलीं, ‘‘जब तुम्हें मालूम है कि कामना ही तुम्हारी सब से अच्छी दोस्त है, तो क्यों मतलबी लोगों को अपना दोस्त बनाते हो?’’

तब पंकज के पापा ने कहा, ‘‘क्यों न पंकज की इस दोस्त को हमेशा के लिए घर ले आएं?’’

मम्मी ने पंकज को देखा, तो पंकज ने अनमने मन से कहा, ‘‘जैसी आप की इच्छा.’’

पापा ने कहा, ‘‘ठीक है. तेरी इच्छा नहीं है तो रहने दे. हम कामना की शादी कहीं और कर देते हैं.’’

यह सुन कर पंकज बोला, ‘‘नहीं पापा, अपनी बचपन की दोस्त को तो मैं किसी और का नहीं होने दूंगा. वैसे भी इस की कीमत मैं ने काफी समय बाद जानी है.’’

पंकज की बात सुन कर मम्मी ने क्यारी से एक गुलाब तोड़ कर पंकज को देते हुए कहा, ‘‘यह गुलाब कामना को दे आया. हमारे लिए तो आज ही वैलेंटाइन डे है.’’

इस के बाद पंकज का परिवार कामना के घर की ओर चल दिया. वहां पहुंच कर पंकज की मम्मी ने सारी बात कामना के परिवार को बताई. पंकज ने गुलाब कामना को दिया. सब ने एकदूसरे को बधाई दी और कामना की बहनों ने गुलाब की बारिश करते हुए पंकज से कहा, ‘हैप्पी वैलेंटाइन डे…’

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