Hindi Story: सुहाग सेज सजी थी. गुलशन दुलहन बनी अपने शौहर का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. उसे तमाम रिश्तेदारों ने घेर रखा था. सभी लोग गुलशन की खूबसूरती की तारीफ करते नहीं थक रहे थे, पर गुलशन उन सब की बातों को अनसुना कर अपने शौहर का इंतजार कर रही थी.

रात के 11 बज चुके थे. मेहमानों का आनाजाना अब न के बराबर था. तभी बैडरूम का दरवाजा खुलने की आहट हुई, तो गुलशन ने तिरछी नजरों से देखा कि उस का शौहर शहजाद कमरे के भीतर आ रहा था.

गुलशन ने जल्दी से अपना मुंह पल्लू में छिपा लिया और शहजाद की अगली हरकत जानने के लिए चुपचाप बैठी रही.

तभी शहजाद ने कमरे के भीतर आ कर गुलशन को सलाम करते हुए कहा, ‘‘माफ करना. मेहमानों में घिरा होने की वजह से मुझे देर हो गई.’’

फिर शहजाद ने गुलशन के करीब आ कर उस का घूंघट उठाया और बोला, ‘‘क्या गजब की खूबसूरती पाई है आप ने.’’

शहजाद से अपनी तारीफ सुन कर गुलशन शरमा गई और अपनी हथेली से अपने मुंह को छिपाने लगी.

शहजाद ने फौरन गुलशन को अपनी बांहों में भरा और उस के रसभरे होंठों को चूमने लगा. साथ ही, वह गुलशन के कपड़ों को भी उस के तन से अलग करने लगा.

गुलशन का सफेद संगमरमर की तरह चमकता हुआ बदन देख कर शहजाद के तो मानो होश ही उड़ गए. वह अभी गुलशन के आगोश में गया ही था कि अचानक एक तरफ को लुढ़क गया. उस की सांसें तेज चलने लगीं.

शहजाद हांफते हुए बोला, ‘‘मैं आज बहुत ज्यादा थक गया हूं. मुझे नींद आ रही है. शादी में काम भी बहुत होता है.’’

गुलशन तड़प कर रह गई. उस की जिस्मानी प्यास अधूरी रह गई. उस ने तो अपनी सुहागरात को ले कर न जाने क्याक्या सपने देखे थे, जो पलभर में ही टूट कर रह गए. वह चुपचाप सो गई.

अगले दिन शहजाद बोला, ‘‘जानू, मुझे माफ करना. कल ज्यादा थकावट की वजह से मैं तुम्हें वह सुख नहीं दे पाया, जो एक औरत को अपने शौहर से उम्मीद रहती है, पर आज रात मैं तुम्हारी हर शिकायत दूर कर दूंगा.’’

यह सुन कर गुलशन के चेहरे पर उम्मीद की कुछ किरण नजर आई और वह मुसकरा कर वहां से अंदर चली गई.

रात हो चुकी थी. गुलशन बड़ी बेसब्री से शहजाद के आने का इंतजार कर रही थी. कुछ देर के इंतजार के
बाद शहजाद कमरे में आया और आते ही गुलशन को अपनी बांहों में भर कर चूमने लगा.

शहजाद की इस हरकत से गुलशन भी उसे अपने ऊपर खींचने लगी, पर जल्द ही वह पस्त हो कर एक तरफ लुढ़क गया.

अब गुलशन को यकीन हो गया कि अच्छी कदकाठी का गबरू जवान होने के बाद भी शहजाद बिस्तर के मामले में नाकाम है.

गुलशन को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस से अपना दुखड़ा रोए.

शादी को 3 महीने गुजर चुके थे. एक दिन शहजाद के चाचा का लड़का इमरान किसी काम से गांव से शहर आया. वह शहजाद के घर पर ही रुका.

एक दिन गुलशन भाभी को खामोश देख इमरान बोला, ‘‘क्या बात है भाभी, आप बहुत उदास रहती हो. न किसी से बात करती हो, न हंसती हो.’’

गुलशन बोली, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. बस, तबीयत थोड़ी खराब है. सिर में दर्द है.’’

इमरान बोला, ‘‘तो इस में घबराने की क्या बात है. मैं आप के सिर की मालिश कर देता हूं.’’

गुलशन ने कहा, ‘‘नहीं, रहने दो. तुम्हारे भाई देखेंगे तो शायद उन्हें बुरा लग जाए.’’

‘‘अरे भाभी, शहजाद भाई बाहर गए हैं और शाम तक वापस आएंगे. क्या तब तक यों ही बेचैन रहोगी?’’ कहते हुए इमरान ने गुलशन को बिस्तर पर बैठाया और सरसों का तेल हलका गरम कर के लाते हुए बोला, ‘‘भाभी, आज आप के सिर की ऐसी मालिश करूंगा कि कभी दर्द नहीं होगा.’’

इमरान गुलशन के सिर पर मालिश करने लगा, तो वह छुअन पा कर सिहर उठी.

इमरान गुलशन के बालों में उंगलियां फेरते हुए बोला, ‘‘कैसा लग रहा है भाभी?’’

गुलशन बोली, ‘‘अच्छा लग रहा है. तुम्हारे हाथों में तो वाकई कमाल का जादू है.’’

गुलशन के सिर की मालिश करतेकरते इमरान उस के माथे और गरदन पर भी अपने हाथ फेरने लगा. फिर अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए उस ने गुलशन के उभारों को छुआ, तो गुलशन एक लंबी सांस लेते हुए बोली, ‘‘क्या कर रहे हो? मुझे कुछकुछ हो रहा है. बस करो.’’

इतना कह कर गुलशन कमरे में जाने लगी और बोली, ‘‘अब तुम रहने दो. मेरा दर्द ठीक है.’’

शाम के वक्त शहजाद घर आ गया. गुलशन, शहजाद और इमरान ने बैठ कर एकसाथ खाना खाया.

गुलशन आज इमरान से नजरें नहीं मिला पा रही थी. उसे यह सोचसोच कर अपनेआप पर गुस्सा भी आ रहा था कि आखिर अपनी अधूरी प्यास को पूरा करने के लिए उस ने इमरान को अपने जिस्म को क्यों छूने दिया.

शहजाद ने पूछा, ‘‘कैसा रहा भाई आज का दिन और कैसा लगा शहर?’’

इमरान ने कहा, ‘‘भाई, अच्छा दिन गुजरा, पर शहर तो अभी मैं घूमा ही नहीं. अकेला कहां जाता घूमने… मुझे कुछ मालूम नहीं.’’

शहजाद ने कहा, ‘‘देख भाई, मुझे तो वक्त नहीं मिलता और अगर तू चाहे तो अपनी भाभी के साथ घूमने चले जाना.’’

इमरान बोला, ‘‘यह ठीक रहेगा, पर क्या भाभी मुझे शहर घुमाएंगी?’’

‘‘अरे, कैसी बात कर रहा है. यह भी घर में पड़ीपड़ी बोर हो जाती है. इसे तो बहुत शौक है घूमने का, पर मुझे वक्त हीं नहीं मिलता.’’

इमरान ने कहा, ‘‘ठीक है भाई. तुम भाभी से बोल देना कि वे तुम्हें शहर दिखा लाए.’’

यह सुन कर गुलशन बोली, ‘‘नहीं, मैं कहीं नहीं जा रही हूं घूमनेफिरने. मुझे बस घर में ही रहने दो’’

शहजाद बोला, ‘‘मेरा भाई गांव से आया है. इसे कम से कम शहर की चकाचौंध तो दिखा दो.’’

गुलशन बोली, ‘‘ठीक है. जब आप बोल रहे हैं, तो कल मैं इमरान को कहीं घुमा लाती हूं.’’

अगले दिन गुलशन और इमरान जुहूचौपाटी पर घूमने चले गए. वहां का नजारा देख कर गुलशन शरमा उठी.

तभी इमरान ने कहा, ‘‘भाभी, यहां की औरतें तो बहुत एडवांस हैं. देखो, कैसेकैसे कपड़े पहन रखे हैं. मर्द और औरतें एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर कैसे समंदर के किनारे लेटे हुए हैं.’’

गुलशन बोली, ‘‘देवरजी, यहां से और कहीं दूसरी जगह चलते हैं.’’

इमरान बोला, ‘‘भाभी, यहां कितना अच्छा लग रहा है. अभी यहीं बैठते हैं हम भी. सुना है कि मुंबई का नारियल पानी बहुत अच्छा है. वही पीते हैं,’’ कहते हुए इमरान 2 नारियल पानी ले आया. वे दोनों एक चटाई पर बैठ कर नारियल पानी पीने लगे.

तभी इमरान ने कहा, ‘‘भाभी वह देखो, दोनों कैसे एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर जिंदगी के मजे ले रहे हैं.’’

गुलशन बोली, ‘‘ओह, कैसे लोग हैं, इन्हें तो बिलकुल भी शर्मोहया नहीं है.’’

इमरान ने गुलशन के हाथ पर हाथ रखा, तो गुलशन ने झट से अपना हाथ हटा लिया और बोली, ‘‘बस, चलो अब यहां से.’’

इमरान बोला, ‘‘भाभी, यहां कहीं बांद्रा बैंडस्टैंड भी तो है, मुझे वह भी दिखा दो. गांव में बहुतकुछ सुना है उस के बारे में.’’

गुलशन ने कहा, ‘‘नहीं, वह अच्छी जगह नहीं है.’’

इमरान ने पूछा, ‘‘क्यों भाभी, ऐसा क्या है वहां?’’

‘‘कुछ नहीं.’’

इमरान बोला, ‘‘तो ठीक है, वह बुरी जगह ही दिखा दो,’’ कहते हुए इमरान ने एक टैक्सी को रोका और बांद्रा बैंडस्टैंड के लिए रवाना हो गए.

बैंडस्टैंड का नजारा देख कर गुलशन और इमरान के बदन में जोश अपने पैर पसारने लगा, क्योंकि वहां बहुत से प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे के होंठों का रसपान करते नजर आ रहे थे.

गुलशन शर्म से पानीपानी होने लगी, तभी इमरान बोला, ‘‘भाभी, आओ उस पत्थर पर बैठ कर यहां का नजारा देखते हैं,’’ और उस ने गुलशन की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी बांहों में भरते हुए एक पत्थर के पास ले गया.

गुलशन का प्यासा बदन तड़पने लगा और उस ने अपनेआप को इमरान से छुड़ाने की हलकी सी नाकाम कोशिश भी की, पर इमरान ने फौरन अपने गरम होंठ गुलशन के होंठों पर रख दिए और उन का रसपान करने लगा.

इमरान की इस हरकत से गुलशन का बदन अपनी प्यास बु?ाने के लिए छटपटाने लगा, पर वह समाज के डर और अपने शौहर की इज्जत की वजह से ?ाट इमरान से अलग होती हुई बोली, ‘‘अब हमें घर चलना चाहिए…’’ और वहां से उठते हुए वह टैक्सी की तरफ बढ़ने लगी और इमरान को ले कर वापस घर आ गई.

घर पहुंचते ही गुलशन अपने कमरे में चली गई. शाम का वक्त हुआ, तो शहजाद अपने काम से वापस आया और खाना खाने के बाद गुलशन से बोला, ‘‘कैसा रहा आज का घूमना?’’

गुलशन ने कहा, ‘‘अच्छा था.’’

शहजाद ने पूछा, ‘‘इमरान को अच्छी तरह घुमाया या यों ही वापस लौट आई हो?’’

गुलशन बोली, ‘‘अच्छी तरह घूमने के बाद ही हम लोग वापस आए हैं.’’

‘‘चलो अच्छा है, वरना मुझे यही डर सता रहा था कि वह पहली बार गांव से शहर आया है और मुझे उसे घुमाने का वक्त भी नहीं मिल पा रहा है…

‘‘कहीं चाची को पता चलता कि इमरान बस घर की चारदीवारी में ही रह कर लौट आया है, तो उन की नजरों में मेरी इज्जत गिर जाती,’’ कहते हुए शहजाद ने गुलशन को अपनी बांहों में भरा और प्यार करते हुए बोला, ‘‘तुम कितनी अच्छी हो, सब का कितना खयाल रखती हो.’’

गुलशन ने भी शहजाद को अपनी बांहों में जकड़ लिया और कामुक होती हुई बोली, ‘‘मेरा काम है तुम्हारा अच्छी तरह खयाल रखना.’’

शहजाद ने गुलशन को बिस्तर पर लिटा दिया और उस के होंठों को चूमता हुआ उसे प्यार करने लगा.

अभी गुलशन जोश में आ ही पाई थी कि शहजाद निढाल हो कर एक तरफ लुढ़क गया और बोला, ‘‘तुम भी सो जाओ, मुझे नींद आ रही है.’’

गुलशन का बदन तड़पने लगा. उस की प्यास अधूरी रह गई. उस की हवस भड़की हुई थी, पर शहजाद तो खर्राटे ले कर सो चुका था.

शहजाद को सोता देख गुलशन कमरे से निकली और वाशरूम की ओर जाने लगी. अभी वह कुछ ही दूर चली थी कि उस की नजर पास वाले कमरे में लेटे इमरान पर पड़ी, जो करवट बदल रहा था.

गुलशन हवस की आग में जल रही थी. आज उसे न तो शहजाद की और न ही समाज की कोई परवाह थी.

वह तो अपनी अधूरी प्यास बुझाना चाहती थी, पर समाज और दुनिया की खातिर उस ने अपनेआप को रोक रखा था, लेकिन आज उस की प्यास बुझाने वाला खुद उस के घर में मौजूद था, इसलिए गुलशन यह मौका गंवाना नहीं चाहती थी.

इमरान खुद पहल कर के गुलशन को न्योता दे रहा था, तो गुलशन ने भी आज उस का न्योता स्वीकार करने का मन बना लिया और कमरे में पहुंच कर इमरान के पास लेट गई और उस के बदन को सहलाने लगी.

फिर क्या था. इमरान ने झट गुलशन के उभारों को भींच दिया. गुलशन कामुक हो उठी. वह इमरान को अपने ऊपर खींचने लगी.

हकीकत में आज गुलशन को सुहागरात का असली मजा मिला और वह सुख भी मिला, जिस के लिए वह बरसों से तड़प रही थी. कुछ देर बाद उन दोनों के जिस्म एकदूसरे से अलग हुए.

गुलशन उठी और बोली, ‘‘तुम ने तो आज मुझे जन्नत की सैर करा दी,’’ कहते हुए उस ने इमरान के गाल पर एक प्यार भरा चुम्मा रसीद कर दिया और अपने कमरे मे वापस आ कर सो गई.

एक बार यह जिस्मानी रिश्ता बना, तो फिर जब तक इमरान वहां रहा, बनता ही गया. फिर एक दिन वह वक्त भी आ गया, जब इमरान को वहां से वापस अपने गांव आना पड़ा.

इमरान के जाने से गुलशन बहुत दुखी थी, पर उसे यह खुशी भी थी कि उस की अधूरी प्यास पूरी हो गई थी.

गुलशन ने अपनी अधूरी प्यास भले ही गलत तरीके से बुझाई थी, पर उसे इस पर कोई अफसोस नहीं था, क्योंकि वह अब पेट से हो गई थी. उस के पेट में इमरान का बच्चा पल रहा था, जिसे शहजाद अपना बच्चा समझ रहा था और गुलशन व उस के होने वाले बच्चे का बहुत खयाल रख रहा था.

शहजाद ने गुलशन का शुक्रिया भी अदा किया और बोला, ‘‘आखिर, तुम ने मुझे बाप बनने का मौका दे ही दिया. मैं बहुत खुश हूं.’’

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