Celebrity Interview: पिछले डेढ़ दशक से भोजपुरिया बैल्ट में दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली हीरोइन अंजना सिंह के सितारे इन दिनों बुलंदियों पर हैं.
बीते सालों में महिला प्रधान फिल्मों को बढ़ावा मिलने से अंजना सिंह ने कई दमदार रोल कर के भोजपुरी सिनेमा के ऊपर लग रहे उन आरोपों को भी खारिज कर दिया है कि हीरोइनों का कैरियर हीरो के भरोसे चलता है. चाहे बात फैमिली ड्रामा की हो या फिल्मों में ऐक्शन और मारधाड़ की, अंजना सिंह हर रोल को बखूबी निभा रही हैं, इसीलिए उन्हें इन दिनों ‘टीआरपी गर्ल’ के नाम से भी जाना जाने लगा है.
‘छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025’ शो में आईं अंजना सिंह से उन के फिल्म कैरियर और निजी जिंदगी से जुड़े तमाम मसलों पर खुल कर बातें हुईं. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश :
आप ने अपने कई इंटरव्यू में बताया है कि आप एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, फिर ऐक्टिंग की तरफ रुझान कैसे हुआ?
मैं एयर होस्टेस बनना चाहती थी, लेकिन मुझे बचपन से ऐक्टिंग और डांसिंग का शौक भी था. एक दिन इसी शौक के चलते एक सीरियल के लिए आडिशन दिया, जिस में मुझे सिलैक्ट कर लिया गया. लोगों को मेरी ऐक्टिंग पसंद आने लगी, तो मैं ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
आप के हिसाब से एक महिला कलाकार के लिए फिल्मों में कामयाबी के लिए कौनकौन से स्किल या टैलेंट होने चाहिए?
जितनी भी नई ऐक्ट्रैस हैं या ऐक्ट्रैस बनना चाहती हैं, उन से मैं यही कहना चाहूंगी कि सब से पहले आप में बहुत सब्र होना चाहिए, हालात से लड़ना आना चाहिए, ऐक्टिंग और डांसिंग के सभी स्किल होने चाहिए.
साथ में परिवार का सपोर्ट भी जरूरी है. जब हम ऐक्टिंग के क्षेत्र में आते हैं, तो कभीकभी हमारे पास काम नहीं होता है. ऐसे समय में हमारी फैमिली ही है, जो हमारे साथ खड़ी होती है. किसी भी क्षेत्र में कामयाबी के लिए पढ़ाई बहुत जरूरी है, इसलिए पढ़ाई को प्राथमिकता में रखें.
आप एक बेटी की मां हैं, फिर भी आप को आप के फैंस भोजपुरी की ‘हौट केक’ या ‘ड्रीम गर्ल’ के नाम से पुकारते हैं. यह सुन कर कैसा लगता है?
मैं गर्व करती हूं कि मैं एक बेटी की मां हूं. मेरी पहचान मेरे फैंस से ही है. यह उन का प्यार है कि वे हमें जिस नाम से बुलाएं. मेरे फैंस ने मेरी ऐक्टिंग और मुझे बहुत सम्मान और प्यार दिया है. इस के लिए मैं अपने फैंस की दिल से शुक्रगुजार हूं.
भोजपुरी फिल्मों में आज हीरोइनों का दौर है. पहले हीरो फाइट करते नजर आते थे, पर इन दिनों आप भी ऐक्शन सीन करती नजर आ रही हैं. फाइट सीन के लिए आप को क्या खास तैयारियां करनी पड़ती हैं और इस बदलाव को किस नजर से देखती हैं?
यह बात सच है कि यह दौर हीरोइनों का है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में इस से अच्छा उदाहरण और क्या होगा. आज के दौर में जितनी भी अच्छी हीरोइनें हैं, सभी फिल्मों में बिजी हैं. अगर फाइट की बात करें, तो लोग मुझे ऐसे रोल में देखना चाहते हैं. लोगों को मैं फाइट करते हुए बहुत पसंद आती हूं. लेकिन फाइट सीन करते हुए चोट लगने का डर बना रहता है. कई बार सीन करते हुए मुझे चोट भी लग जाती है. एक बार एक सीन करते समय लगी चोट के चलते मुझे सर्जरी का भी सामना करना पड़ा था. इस के बाद भी मैं ने फिल्मों में फाइट सीन करना नहीं छोड़ा है.
भोजपुरी सिनेमा के ऊपर यह आरोप लगता रहा है कि पहले हीरोइन का कैरियर हीरो की बदौलत चलता था, लेकिन आज हीरो गायब होते जा रहे हैं, लेकिन हीरोइनें छाई हुई हैं. इस बदलाव से आप कितना खुश हैं?
किसी हीरो की बदौलत किसी हीरोइन का कैरियर नहीं चलता है, बल्कि हम अपना कैरियर कैसे ले कर आगे बढ़ना चाहते हैं, यह उस पर निर्भर करता है. वैसे, हर फिल्म इंडस्ट्री पुरुष प्रधान रही है, तो भोजपुरी सिनेमा में हीरो के हिसाब से ऐक्ट्रैस का चुनाव किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब बहुत सी चीजें बदल गई हैं. इस बदलाव से इंडस्ट्री की सारी हीरोइनें खुश भी हैं. लेकिन, मैं किसी भी हीरो या हीरोइन से भेदभाव नहीं रखती हूं. यह फिल्म इंडस्ट्री हीरो और हीरोइन दोनों की वजह से चलती है. किसी फिल्म की कहानी और कामयाबी के लिए दोनों ही किरदार अहम हैं.
आप के दौर की तमाम फेमस हीरोइनें इंडस्ट्री से गायब हैं और आप के पास फिल्मों की लाइन लगी हुई है. इस का क्या राज है?
मैं ने शुरू से ही पूरा फोकस अपनी ऐक्टिंग और किरदार पर रखा. यही वजह है कि मु?ो डेढ़ दशक से लगातार फिल्में मिल रही हैं.
फिल्म ‘मेरी बेटी मेरा अभिमान’ में आप ने लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव के मुद्दे को उठाया है. क्या आप ने लड़की होने का भेदभाव निजी जिंदगी में भी झेला है?
फिल्म ‘मेरी बेटी मेरा अभिमान’ मेरे दिल के बहुत करीब है, क्योंकि यह फिल्म पूरी तरह से बेटियों पर आधारित है. आज भी गांव के कुछ इलाकों में बेटेबेटियों में भेदभाव देखने को मिल जाता है. ऐसे इलाकों में अकसर यह देखने को मिलता है कि 2 बेटी पैदा होने के बाद भी एक बेटा होने का इंतजार किया जाता है.
अगर पहली बेटी हो गई, तो दूसरा बच्चा उन्हें बेटा ही चाहिए होता है. लेकिन पहला बेटा हो गया, तो दूसरे का प्लान ही नहीं किया जाता है. इसी सोच को बदलने के लिए मैं ने इस फिल्म में काम किया है.
आप ने फिल्म ‘कुश्ती’ की शूटिंग पूरी की है, क्या यह फिल्म भी आप पर केंद्रित रहने वाली है?
फिल्म ‘कुश्ती’ में मैं ने अपने किरदार को ले कर बहुत मेहनत की है, इसलिए यह फिल्म मेरे दिल के काफी करीब है. यह फिल्म महिलाओं की कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए बनी है. मैं ने भी इस फिल्म में एक पहलवान का किरदार निभाया है. मुझे पूरी आशा है कि यह फिल्म महिला पहलवानों के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक फिल्म साबित होगी.