Virat Kohli : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली का करियर सिर्फ उपलब्धियों और रिकौर्ड्स तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह संघर्ष, असफलता और जबरदस्त वापसी की कहानी भी है. वह खिलाड़ी जिसने बल्ले से कई ऐतिहासिक पारियां खेलीं, वही खिलाड़ी अपने करियर में ऐसे दौर से भी गुजरा जब उसका बल्ला खामोश हो गया, आलोचकों ने उसे जमकर लताड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी. विराट कोहली का सफर सिर्फ क्रिकेट का नहीं, बल्कि एक अदम्य जज्बे, अनुशासन और कभी न रुकने वाले जुनून का प्रमाण है.
कोहली की जुनूनी शुरुआत
2008 में कुआलालंपुर में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने. उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह स्पाइक-बालों वाला युवा खिलाड़ी एक दिन क्रिकेट की दुनिया पर राज करेगा. अपने शुरुआती वर्षों में विराट ने खुद को मेहनती, अनुशासित और आत्मविश्वास से भरपूर खिलाड़ी के रूप में साबित किया.
धैर्य और तकनीक से जीते जाते हैं मैच
साल 2013 से 2019 तक का समय विराट कोहली के करियर का स्वर्णिम काल था. इसके बाद साल 2016 में उन्होंने T20 फॉर्मेट में 973 आईपीएल रन बनाए, जो आज भी एक रिकॉर्ड है. फिर 2017 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने और भारत को टेस्ट क्रिकेट की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. साल 2018 में इंग्लैंड दौरे पर शानदार प्रदर्शन कर आलोचकों को करारा जवाब दिया. वहीं साल 2019 वर्ल्ड कप में भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विराट ने क्रिकेट की दुनिया को दिखाया कि किस तरह दबाव में भी धैर्य और तकनीक से मैच जीते जाते हैं.
जब विराट का बल्ला नहीं चला
हर बड़े खिलाड़ी के करियर में एक ऐसा दौर आता है जब किस्मत उसका साथ छोड़ देती है, विराट कोहली भी इससे अछूते नहीं रहे. साल 2020 में उनकी फौर्म गिरने लगी, बड़े स्कोर नहीं आ रहे थे. इसके बाद 2021 में उन्होंने T20 कप्तानी छोड़ी, लेकिन इसके तुरंत बाद वनडे और टेस्ट कप्तानी भी उनसे छिन गई. लगभग तीन साल तक विराट एक भी अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं लगा सके. सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स ने उन्हें जमकर निशाना बनाया, आलोचकों ने यहां तक कह दिया कि विराट का दौर खत्म हो गया. लेकिन विराट कोहली के लिए असफलता सिर्फ एक पड़ाव थी, मंज़िल नहीं.
असफलता से सफलता की ओर
किसी भी महान खिलाड़ी की असली पहचान उसकी वापसी से होती है, और विराट कोहली ने यह करके दिखाया. साल 2022 में एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ शतक लगाकर अपने आलोचकों को जवाब दिया. इसके बाद साल 2023 में वनडे वर्ल्ड कप में उन्होंने सर्वाधिक रन बनाए और ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ बने. विराट ने 50 वनडे शतक लगाकर सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया. वहीं टी20 विश्व कप 2024 के फाइनल में 76 रन बनाकर भारत को चैंपियन बनाया.
असफलता से सीखने का उदाहरण हैं कोहली
विराट कोहली का करियर सिर्फ रिकॉर्ड्स का नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि असफलता इंसान को तोड़ने के लिए नहीं आती, बल्कि उसे और मजबूत बनाने के लिए आती है. जब विराट का बल्ला खामोश था, तब उन्होंने खुद पर विश्वास बनाए रखा, मेहनत जारी रखी और जब वापसी की तो इतिहास रच दिया.
आज विराट कोहली सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो अपने जीवन में कठिन दौर से गुजर रहे हैं. उनकी कहानी हमें सिखाती है कि असफलता अंतिम नहीं होती. अगर जुनून और मेहनत हो, तो वापसी हमेशा शानदार होती है.



 
  
                 
            




 
                
                
                
                
                
                
                
               