अचानक ही गौतम के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी.

‘हैलो, मैं अनीता बोल रही हूं,’ उधर से आवाज आईं.

‘‘हां, बोलो अनीता. कोई खास बात है क्या?’’ गौतम ने पूछा.

‘गौतम, आज मेरे मम्मीपापा एक रिश्तेदार की शादी में जा रहे हैं. मैं रात को घर पर अकेली रहूंगी. तुम मौका देख कर यहां चले आना. हम लोग रातभर मजे करेंगे,’ अनीता ने कहा.

‘‘अनीता, मुझे बहुत डर लग रहा है. कहीं कोई देख लेगा तो मेरा क्या होगा?’’ गौतम की आवाज सहमी हुई थी.

‘मैं लड़की हो कर नहीं डर रही हूं और तुम लड़के हो कर…’ अनीता ने उसे मीठी झिड़की दी.

‘‘ठीक है अनीता, मैं आज रात में आ जाऊंगा. तुम मेरा इंतजार करना,’’ गौतम ने कहा.

गौतम 20 का गठीला नौजवान था. वह लंबे कद का था, जिस से हैंडसम दिखता था. अनीता और गौतम दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे.

अनीता 18 साल की बहुत हसीन लड़की थी. उस की आंखें बड़ी खूबसूरत थीं. उस के सुडौल उभार मर्दों को बरबस अपनी तरफ खींच लेते थे. यही वजह थी कि गौतम उस के हुस्न का दीवाना हो गया था.

आधी रात हो गई थी. चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था. लोग अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे. गौतम चुपके से अनीता के घर पहुंच गया.

अनीता उस का इंतजार कर रही थी. वह गौतम को अपने कमरे में ले गई. उस ने गौतम को प्यार से चूम लिया. गौतम ने भी अनीता को बांहों में भर लिया.

‘‘गौतम, पहले तुम अपना काम कर लो,’’ अनीता ने कहते हुए अपने कपड़े उतार दिए. उस के सैक्सी बदन को देखते ही गौतम के दिल की धड़कनें तेज हो गईं.

अनीता बिछावन पर लेट गई. गौतम भी झटपट अपने कपड़े उतार कर उस के साथ लेट गया. वह अनीता के जिस्म से लिपट कर उस के उभारों को सहलाता रहा. थोड़ी देर बाद गौतम ने अनीता के साथ सैक्स करना चाहा, लेकिन घबराहट व डर के मारे उस में तनाव नहीं आ सका. उसे डर लग रहा था कि अनीता के घर में वह पकड़ा जाएगा.

गौतम ने अनीता को चूम कर उस के कोमल अंगों को सहला कर अपने को जोश में लाना चाहा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

अनीता 2-4 मिनट तक बिछावन पर लेटी उस के सैक्स करने का इंतजार करती रही, लेकिन गौतम कुछ कर नहीं सका. तब वह गुस्सा हो कर अपने कपड़े पहनने लगी.

अनीता गौतम की छाती को ठोंकते हुए गुस्से में बोली, ‘‘गौतम, तुम तो बहुत बड़े बौडीबिल्डर बनते थे न. आज तुम्हारी पोल खुल गई. तुम नामर्द हो, एकदम नामर्द.’’

गौतम ने अनीता से आंखें चुराते हुए कहा, ‘‘अनीता, मुझे समझने की कोशिश करो. पता नहीं, मुझे क्या हो गया है.’’

अनीता गुस्से में कांप रही थी. वह बोली, ‘‘कपड़े उतार कर अपनी इज्जत भी गंवा बैठी. लेकिन तुम…’’

अनीता तकरीबन चीखते हुए बोली, ‘‘चले जाओ यहां से. आज के बाद मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना.’’

गौतम कुछ नहीं बोला. वह शर्मिंदगी से सिर झुकाए कमरे से बाहर निकल गया. उस रात गौतम और अनीता का मजबूत दिखने वाला रिश्ता टूट गया.

घर आ कर गौतम उस रात सो नहीं सका. उस के मन में यही सब चलता रहा कि क्या वह नामर्द है? वह किसी भी औरत के साथ जिस्मानी संबंध नहीं बना सकता. उसे एक ही उपाय सूझा कि वह शादी नहीं करेगा, नहीं तो उस के चलते किसी लड़की की जिंदगी बरबाद हो जाएगी.

गौतम कुछ दिनों तक टैंशन में रहा. इस तकलीफ को भुला कर वह पढ़ाई में अपना मन लगाने लगा. कालेज में वह एक अच्छे स्टूडैंट के रूप में जाना जाता था. उस का स्वभाव भी शालीन हो गया था, जिस से प्रभावित हो कर कालेज में साथ पढ़ने वाली लड़की निशा उस से मन ही मन प्यार करने लगी थी.

निशा साधारण रूपरंग की लड़की थी. वह पढ़ाई में जहीन थी. वह गौतम को अपने टाइप का पाती थी, जिस से एक लगाव महसूस करती थी.

गौतम को भी निशा अच्छी लगती थी, लेकिन उस की अपनी मजबूरी साथ चल रही थी. वह किसी लड़की से प्यार नहीं करना चाहता था, क्योंकि उस के दिल में अनीता के साथ उस रात की जो घटना घटी थी, उस का पेंच बुरी तरह फंसा हुआ था.

एक दिन निशा ने गौतम को गुलाब का फूल दे कर अपने प्यार का इजहार कर दिया, ‘‘गौतम, मैं तुम्हें दिल से चाहती हूं. मुझे तुम से प्यार हो गया है. मेरे प्यार को ठुकराना मत.’’

गौतम ने हिचकिचाते हुए निशा के हाथ से गुलाब का फूल ले लिया. उस के चेहरे पर थोड़ी चिंता के भाव थे. वह निशा से बस इतना कह सका, ‘‘निशा, अपने प्यार को हर हाल में निभाना. बीच रास्ते में छोड़ कर चले जाना प्यार नहीं होता है.’’

निशा ने गौतम के हाथ को अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘गौतम, मैं हरदम अपने प्यार को निभाती रहूंगी.’’

गौतम और निशा की कालेज की पढ़ाई खत्म हो गई थी. वे दोनों नौकरी के लिए फार्म भरने लगे थे. गौतम की पढ़ाई में की गई कड़ी मेहनत काम आई. वह एक बड़े दफ्तर में जूनियर अफसर बन गया.

उसी दफ्तर में निशा को क्लर्क की नौकरी मिल गई. अब गौतम और निशा एक ही औफिस में साथसाथ काम करने लगे.

गौतम की मां उस की शादी करने की जिद करने लगी, जिस से गौतम डराडरा सा रहने लगा था. वह शादी कर के किसी लड़की की जिंदगी बरबाद नहीं करना चाहता था.

एक दिन तो मां ने गौतम से पूछा, ‘‘बेटा, अगर कोई लड़की तुम्हारी पसंद की हो तो बताना. मैं उसी लड़की से तुम्हारी शादी करवा दूंगी.’’

गौतम ने मां से कहा, ‘‘ठीक है, मां. कोई लड़की मेरी पसंद की होगी, तो मैं आप को बता दूंगा.’’

उस दिन औफिस में गौतम बहुत परेशान था. उस की परेशानी उस के चेहरे से साफ झलक रही थी.

गौतम को चिंतित देख कर निशा ने पूछ लिया, ‘‘क्या बात है गौतम, तुम आज काफी उदास दिख रहे हो?’’

‘‘निशा, मां मेरी शादी कराने की जिद कर रही हैं.’’

‘‘तो मां से तुम ने क्या कहा?’’ निशा ने पूछा.

‘‘यही कि कोई लड़की पसंद की होगी तो बताऊंगा,’’ गौतम ने निशा से कहा.

निशा के होंठों पर मुसकान खिल गई, ‘‘इस में उदास होने की तो कोई बात नहीं है.’’

‘‘नहीं निशा, मैं किसी लड़की की जिंदगी बरबाद नहीं करना चाहता. मेरे साथ एक घटना घट गई थी, जिस ने मेरी जिंदगी से शादी का सपना छीन लिया.’’

‘‘कौन सी घटना थी? मैं जानना चाहूंगी,’’ निशा ने पूछा.

गौतम ने अनीता के साथ घटी उस रात की घटना को तफसील से सुनाया. उस ने बताया कि कैसे उस रात को अनीता ने अपने कमरे में उसे नामर्द कहा था, जबकि अनीता ने जिस्मानी संबंध बनाने के लिए उसे खुद बुलाया था.

निशा, गौतम की बात बड़े ध्यान से सुन रही थी.

‘‘निशा अब तुम्हीं बताओ कि कौन सी लड़की एक नामर्द से शादी करना चाहेगी?’’

निशा ने कहा, ‘‘शादी तो मैं तुम से ही करूंगी,’’ निशा ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘गौतम, तुम्हारे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है. अनीता के साथ घटी उस रात की घटना में एक बात सामने आ रही है कि तुम बहुत घबराए हुए थे. तुम्हारे मन में पकड़े जाने का डर था, जिस से ऐसे हालात पैदा हो गए थे. वह घटना वहम बन कर तुम्हें अब तक डराती रही है. बेवजह अपने को नामर्द समझना भी तो एक गुनाह है.’’

निशा की बातों से गौतम को हौसला मिला. उस की आंखों में खोई हुई चमक लौट आई.

गौतम और निशा की शादी बड़े ही धूमधाम से हो गई. आज उन की सुहागरात थी. एक कमरे को फूलों से सजा दिया गया था. निशा दुलहन के लाल जोड़े में पलंग पर बैठी थी. वह गौतम का इंतजार कर रही थी.

कुछ देर बाद गौतम कमरे में आया. वह कमरे का दरवाजा बंद कर निशा के पास आ कर बैठ गया, ‘‘निशा, दुलहन के लाल जोड़े में तुम बड़ी खूबसूरत लग रही हो,’’ गौतम ने उसे भरपूर नजर से देखते हुए कहा.

निशा मुसकरा दी. गौतम ने उसे बांहों में भर कर चूम लिया. निशा ने भी गौतम को प्यार से चूम लिया. धीमेधीमे प्यार का नशा दोनों पर छाने लगा. निशा ने गौतम को बांहों में जकड़ लिया.

गौतम और निशा ने जीभर कर सुहागरात का मजा लिया. निशा गौतम के प्यार से संतुष्ट हो गई थी.

निशा ने गौतम से प्यार से कहा, ‘‘आज सुहागरात में आप की मर्दानगी में कोई कमी नहीं थी.’’

‘‘निशा, तुम मेरी बीवी हो. यहां मुझे किस बात का डर था, जिस के चलते मुझे कोई परेशानी नहीं हुई,’’ गौतम ने निशा से कहा.

‘‘गौतम, अब समझ में आ गया न कि आप बेकार के वहम में जी रहे थे,’’ निशा बोली.

‘‘हां निशा, एक बोझ जो आज दिल से उतर गया,’’ गौतम ने कहा और निशा को चूम लिया.

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