‘‘अरे रश्मि, कहां जा रही है इतनी सुबह?’’ मां ने घर से निकलती बेटी रश्मि को रसोई से टोका.

‘‘थोड़ा रनिंग कर आऊं मां, देखूं तो सही इन स्पोर्ट्स शू में कितना दम है,’’ रश्मि ने दरवाजा बंद करते हुए कहा.

पिछले कई दिनों से 24 साल की रश्मि खुद को सेहतमंद रखने के लिए बड़ी मेहनत कर रही थी. जिला हैडक्वार्टर में क्लर्क की नौकरी मिलने के बाद रश्मि और उस की विधवा मां की जिंदगी बदल गई थी.

आज भी 5 किलोमीटर की रनिंग करने के बाद रश्मि एक दुकान पर पहुंची और वहां से सब्जी काटने का एक तेज धार वाला चाकू खरीदा. चाकू आकार में थोड़ा बड़ा था मानो कटहल जैसी कोई ठोस चीज काटने के लिए खरीदा गया हो.

जब रश्मि घर पहुंची, तो वह पसीने से तरबतर थी. मां ने उस के पास चाकू देख कर अपना माथा पीट लिया और बोलीं, ‘‘यह लड़की तो पागल हो गई है. पिछले एक हफ्ते में 3 चाकू खरीद लिए हैं. न जाने पर्स में रख कर उन का कौन सा अचार डालेगी. क्या जरूरत है इतने चाकू रखने की?’’

‘‘अरे मां, औफिस में कुछ न कुछ काटने के लिए चाकू की जरूरत पड़ ही जाती है. तुम चिंता मत करो, सस्ता सा चाकू है,’’ रश्मि ने इतना कह कर तौलिया लिया और नहाने चली गई. आज रविवार था, तो उसे औफिस जाने की कोई जल्दी नहीं थी.

रश्मि अपनी मां के साथ बरेली जिले के एक गांव में रहती थी. रोज जिला हैडक्वार्टर में अपने औफिस जाने के लिए उसे तकरीबन 3 किलोमीटर पैदल चल कर बसस्टैंड तक पहुंचना होता था. रास्ते में गन्ने के खेत थे और सुनसान इलाका था. पर चूंकि रश्मि यहीं पलीबढ़ी थी, तो उसे ज्यादा डर नहीं लगता है.

पर पिछले कुछ समय से रश्मि बड़ी चिंता में थी. दरअसल, कुछ दिन पहले उस ने एक ऐसा कांड देख लिया था, जिस से उस के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई थी.

एक शाम को बसस्टैंड से घर लौटते हुए रश्मि ने एक गन्ने के खेत में किसी औरत पर हमला होते हुए देख लिया था. उसे हमलावर की पहचान थी, पर वह डर गई थी, क्योंकि उस आदमी ने भी उसे देख लिया था.

रश्मि डर कर वहां से भाग गई थी, पर उस के कानों में उस हमलावर की जोरदार आवाज गूंज रही थी, ‘मैं ने तेरा चेहरा देख लिया है. मेरा अगला शिकार तू ही बनेगी.’

पहले तो रश्मि पुलिस में जाना चाहती थी, पर फिर उसे लगा कि पुलिस में जाने से हो सकता है कि वह हमलावर चौकन्ना हो जाए, इसलिए यह लड़ाई तो उसे खुद ही लड़नी पड़ेगी.

बस, तभी से रश्मि ने खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया था. वह रोज कसरत करती थी. सूटसलवार पर भी स्पोर्ट्स शू पहनती थी, ताकि मौका मिलने पर तेजी से भाग सके.

इस कांड को अब 3 महीने हो गए थे. एक सुबह की बात थी. रश्मि को औफिस जाने में देर हो गई. मां से लंच बौक्स ले कर वह जल्दी से भागी, ताकि उस की बस न निकल जाए.

गांव से पैदल ही जाने वाली बस की सवारियां काफी दूर जा चुकी थीं. लिहाजा, रश्मि अकेले ही सुनसान रास्ते पर तेजतेज चल रही थी.

गांव से कुछ दूर निकलते ही गन्ने के खेत आ गए थे. वहां एकदम सन्नाटा था. रश्मि को अपनी सांसों की आवाज भी आ रही थी, तभी उसे महसूस हुआ कि कोई साया उस का पीछा कर रहा है. वह समझ गई कि कोई तो है, जो जानबू?ा कर उस के पीछेपीछे चल रहा है.

रश्मि का हाथ अपने बैग में रखे बड़े चाकू पर चला गया. वह सोच रही थी कि अगर आज वह हिम्मत हार गई, तो अपनी जान से हाथ धो बैठेगी.

रश्मि ने दिमाग लगाया और वह 10 कदम तेज और 10 कदम धीरे चलने लगी. इस बात से उस के पीछे चल रहा साया चकरा गया. इतने में रश्मि एक पगडंडी की तरफ चल पड़ी. वह आज आरपार करने के मूड में थी.

दूसरी तरफ वह साया खुश हो गया कि शिकार खुद उस के जाल में फंस रहा है. पर अचानक रश्मि ने खेतों की ओट में अपनी चाल धीरे कर दी और थोड़ी ही देर में वह उस साए के पीछे थी.

एक पुराने कुएं के पास जा कर वह आदमी रुक गया. रश्मि धीरे से उस के नजदीक गई. उस के हाथ में चाकू था. फिर अचानक वह तेजी से झपटी, पर तब तक वह आदमी चौकस हो चुका था.

रश्मि का वार खाली गया और उस आदमी ने लड़खड़ाती रश्मि के हाथ से चाकू छीन लिया और फुरती से उसे कुएं में फेंक दिया.

‘‘आज जाल में फंसी है चिडि़या. तेरी तो मैं उस दिन से ही तलाश कर रहा हूं, जब तू ने मेरा चेहरा देख लिया था,’’ उस आदमी ने कहा.

यह तो वही हमलावर था. रश्मि जमीन पर पड़ी थी. उस के हाथ में तब तक दूसरा चाकू आ चुका था. जैसे ही वह आदमी दोबारा उस पर ?ापटा, रश्मि ने तेजी से चाकू वाला हाथ घुमाया.

इस बार वार खाली नहीं गया. उस आदमी का कंधा चिर गया था. वह दर्द के मारे बिलबिला गया और इसी बात का फायदा उठा कर रश्मि ने पूरी ताकत से उस की टांगों के बीच खींच कर जोर से लात मारी.

बस, फिर क्या था, वह आदमी धड़ाम से धरती पर जा गिरा. रश्मि ने पूरी ताकत से उस के दोनों हाथ अपनी चुन्नी से बांध दिए और दम लेने के लिए एक पेड़ के नीचे जा कर पसर गई.

बड़ी देर से रश्मि पेड़ के सहारे टिकी बेदम सी पड़ी थी. उस की सांसें ऊपरनीचे हो रही थीं. सामने वह राक्षस पड़ा था. उस के दोनों हाथ रश्मि की चुन्नी से बंधे हुए थे, पर उस के चेहरे पर शिकन की एक लकीर नहीं थी.

वह अभी भी रश्मि की ऊपरनीचे होती छाती को घूर रहा था. फिर उस ने रश्मि के कानों की बालियों को देखा और कुटिल मुसकान से फिर छातियों पर उस की नजर रेंग गई.

रश्मि ने ताड़ लिया था कि यह आदमी बड़ी सख्त जान है. वह चौकन्नी हो गई. उस ने वहीं पड़ेपड़े उस आदमी से पूछा, ‘‘अब तक कितनियों को मार दिया है तू ने? मैं तो तुझे तभी पहचान गई थी, जब तू ने उस मासूम औरत का गला घोंट कर उस के गले की चेन झपट ली थी. बता, क्या इरादा है तेरा?’’

‘‘मेरे इरादे की न पूछ ऐ जालिम, मुझे वफा के बदले बेवफाई का इनाम मिला है…  तू भी मेरे हाथ से कत्ल होगी. किसी को नहीं छोड़ूंगा,’’ वह आदमी अपना आपा खोने लगा.

‘‘ऐसा क्या जख्म दिया था उस औरत ने कि तू उस की जान का दुश्मन ही बन बैठा?’’ यह पूछते हुए रश्मि और भी संभल चुकी थी. उस का बैग अभी भी हाथ में था.

‘‘उस औरत की कोई गलती नहीं थी. वह तो किसी और के किए की सजा भुगत गई बेचारी. मैं तो उसे जानता भी नहीं था,’’ वह आदमी बोला.

‘‘तू है कौन? और यह सब क्यों कर रहा है?’’ रश्मि ने हिम्मत कर के पूछा.

‘‘चल, तू भी क्या याद करेगी. मेरा नाम कुलदीप है और मैं गांव बाकरगंज थाना नवाबगंज इलाके का रहने वाला हूं. मेरी 2 सगी बहनें हैं. मेरी सगी मां की मौत हो चुकी है.’’

‘‘सगी मां की मौत का मतलब…?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘मेरे बाप बाबूराम ने मेरी मां के जिंदा रहते समय ही किसी दूसरी औरत से शादी कर ली थी. मेरा बाप अपनी दूसरी पत्नी के कहने पर मेरी मां को खूब मारता था. यह देख कर मेरा खून खौल जाता था और मैं अपनी सौतेली मां से नफरत करने लगा था, इसलिए मैं अपनी सौतेली मां की उम्र की 45 से 50 साल की औरतों को अपना शिकार बनाने लगा.

‘‘पर, बेवफाई तो तुम्हारे बाप ने की थी तुम्हारी मां के साथ, फिर यह सब क्यों?’’ रश्मि ने हैरानी से पूछा.

‘‘मेरी बीवी के चलते मैं और ज्यादा हैवान बनता चला गया.’’

‘‘बीवी ने तेरे साथ क्या किया था?’’

‘‘मुझे नहीं पता. मेरी शादी साल 2014 में हुई थी. मैं अपनी बीवी के साथ भी मारपीट करता था. मुझ से परेशान हो कर वह कुछ साल पहले मुझे छोड़ कर चली गई थी.’’

‘‘उस के बाद क्या हुआ?’’ रश्मि को जैसे कुलदीप की कहानी में मजा आने लगा था.

‘‘फिर क्या था, मैं भांग, सुल्फा, शराब का नशा करने लगा और अपने घर से निकल कर आसपास के जंगल और गांवगांव भटकने लगा.

‘‘मैं इतना ज्यादा भटकता था कि अब तो मुझे आसपास के सुनसान इलाके, खेतों के रास्तों पर बनी सभी पगडंडियों की पूरी जानकारी है.

‘‘मैं केवल सुनसान इलाके से जा रही अकेली औरत को देख कर ही उस पर हमला करता था. हमला करने से पहले मैं पक्का कर लेता था कि किसी ने मुझे उस औरत के पीछे जाते हुए नहीं देखा है.

‘‘अगर किसी औरत का पीछा करते समय रास्ते में कोई भी बच्चा, मर्द या कोई दूसरी औरत मुझे मिल जाती थी, तब मैं उस दिन वारदात नहीं करता था.’’

‘‘तुम वारदात कहां करते हो?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘गन्ने के खेत में, क्योंकि वहां मुझे देख पाना मुश्किल होता था. अपने शिकार को मार कर वहां से जाते समय मैं उस औरत के गले में उसी की पहनी गई साड़ी या दुपट्टे से कस कर गांठ लगा देता था.’’

रश्मि समझे गई थी कि यह आदमी पागल है और मौका मिलते ही उसे भी मार डालेगा. उस ने ठान लिया कि इसे सबक सिखाना ही होगा. वह धीरे से उठी और अपने बैग से दूसरा चाकू निकाला. साथ में एक चुन्नी और निकाली, फिर वह कुलदीप की ओर बढ़ी.

‘‘क्या इरादा है तेरा? मेरे हाथ खोल, फिर बताता हूं कि मैं क्या चीज हूं,’’ कुलदीप गुर्राया, पर तब तक रश्मि उस के पीछे जा चुकी थी. उस ने अपनी चुन्नी कुलदीप के गले में लपेटी और कस दी.

थोड़ी ही देर में कुलदीप की आंखें उबल कर बाहर आने को हो गईं. वह छटपटा कर रह गया. फिर रश्मि ने न जाने क्या सोच कर अपनी पकड़ ढीली की और उसे वहीं बेहोश छोड़ कर वहां से चल दी.

इस सुनसान इलाके से कोई तो गुजरेगा, फिर इस हैवान को जो सजा होनी होगी, देखा जाएगा. क्या पता, तब तक इस की सांसें चलेंगी भी या नहीं.

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