‘‘मेमसाहब, क्या अब मैं घर जाऊं?’’ रामलाल अपना काम निबटा कर सुधा मैडम के पास आ कर बोला.

पहले तो सुधा मैडम ने उसे ऊपर से नीचे तक हवस की नजर से देखा, जबकि रामलाल का चेहरा नीचे था, फिर वे रामलाल की ठोड़ी ऊंची करते हुए बोलीं, ‘‘आज इतनी जल्दी क्यों जा रहा है रामलाल?’’

रामलाल ने कोई जवाब नहीं दिया, वापस मुंह लटका दिया.

सुधा मैडम फिर उस की ठोड़ी ऊंची करते हुए बोलीं, ‘‘शरमा क्यों रहा है रामलाल? बोल न, इतनी जल्दी क्यों जाना चाह रहा है? ऐसा क्या काम है? ’’

‘‘अब मैं आप को क्या बताऊं मेमसाहब,’’ रामलाल उसी तरह नीची गरदन कर के बोला.

‘‘बताने में शर्म आ रही है क्या? मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख,’’ फिर उन्होंने कहा, ‘‘आज जल्दी क्यों जाना चाहता है?’’

सुधा मैडम ने जब यह बात कही, तब रामलाल उन की आंखों में आंखें डाल कर बोला, ‘‘मेमसाहब, मेरी पत्नी चंपा अभी महीनाभर पीहर में रह कर आज ही लौटी है.’’

‘‘अच्छा, मैं अब समझी. तेरी जोरू आई है और तेरी नईनई शादी हुई है, इसलिए उस की याद सता रही है,’’ सुधा मैडम ने जब यह बात कही, तब रामलाल मुसकरा दिया.

सुधा मैडम भी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘तब तो मैं तुझे रोकूंगी नहीं, मगर जाने से पहले मेरा एक काम करेगा क्या?’’

‘‘कौन सा काम?’’ रामलाल ने पूछा.

रामलाल अभी 2 महीने पहले ही इस सरकारी बंगले में नौकर बन कर आया है. सुधा मैडम के पति दिनेश गुप्ता बड़े अफसर हैं. उन का पूरे शहर में दबदबा है. सरकारी बंगला है. उन के 2 बेटे हैं, जो इंजीनियरिंग कालेज जबलपुर में पढ़ रहे हैं.

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