मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा जिला संरक्षित वन क्षेत्र और आदिवासी बहुल जिला माना जाता है. यहां रहने वाले लोग जंगलों में मिलने वाले अचार, चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा, आंवला और महुआ के जरीए अपनी आजीविका चलाते हैं. मार्चअप्रैल महीने में महुआ के पेड़ से गिरने वाले महुआ बीनने के लिए गांव के मर्दऔरत सुबह जल्दी ही जंगल की ओर पैदल चल देते हैं.

गरमी की दस्तक शुरू होते ही एक सुबह गांव की औरतों का समूह महुआ बीनने के लिए जंगल की ओर जा रहा था. सुबह के तकरीबन साढ़े 5 बजे का समय था. रात का अंधेरा खत्म हो चुका था और आसपास उजाले की दस्तक साफ दिखाई दे रही थी.

औरतों का वह समूह आमा?ारी गांव के पास ही पहुंचा था कि तभी लाजवंती नाम की एक औरत को रोड से तकरीबन 50 कदम दूर लाल साड़ी में लिपटी एक औरत जमीन पर पड़ी दिखाई दी.

लाजवंती ने साथ चल रही दूसरी औरतों से कहा, ‘‘इतनी सुबह जंगल में यह औरत बेहोश कैसे पड़ी है?’’

साथ चल रही औरतों ने भी इस मंजर को देखा. एक औरत ने लाजवंती से कहा, ‘‘चलो, चलो, पास चल कर देखते हैं कि आखिर माजरा क्या है.’’

इतना कहते ही वे सारी औरतें रोड से नीचे उतर कर उस लाल साड़ी वाली औरत की ओर चल दीं. जैसे ही वे उस के पास पहुंचीं, तो डर के मारे उन सब की चीख निकल गई. दरअसल, वहां पर लाल साड़ी पहने एक औरत की सिर कटी लाश पड़ी हुई थी.

लाजवंती ने रोड से जंगल की ओर जा रहे कुछ मर्दों को आवाज लगा कर पास बुलाया. उन लोगों में एक लड़का पुलिस द्वारा बनाई गई ग्राम रक्षा समिति का सदस्य था और उस के पास नजदीकी पुलिस चौकी का मोबाइल नंबर भी था.

वह मंजर देख कर उस लड़के ने जेब से मोबाइल फोन निकाला और चौकी प्रभारी का नंबर खोज कर फोन कर दिया.

आदिवासी अंचल की पुलिस चौकी खमारपानी की सबइंस्पैक्टर पूनम उस समय अपने घर से ड्यूटी पर जाने की तैयारी कर रही थीं. जैसे ही उन के मोबाइल फोन पर घंटी बजी, तो उन्होंने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘हैलो… कौन?’

‘‘मैडम, मैं गढ़ेवानी गांव से ग्राम रक्षा समिति का सदस्य बोल रहा हूं. कपूरखेड़ा के जंगल में एक औरत की सिर कटी लाश पड़ी हुई है.’’

‘ठीक है, तुम लोग वहीं पर रुको. मैं जल्द ही वहां पर पहुंच रही हूं.’ सबइंस्पैक्टर पूनम बोलीं.

सबइंस्पैक्टर पूनम ने लाश मिलने की सूचना बड़े पुलिस अफसरों को दे दी और पुलिस बल के साथ मौका ए वारदात की ओर रवाना हो गईं.

मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने देखा कि  महिला की लाश रोड से 50 कदम दूर एक खंती (गड्ढे) के पास पड़ी हुई थी, जिस का सिर गायब था. उस औरत ने लाल रंग की जरीदार साड़ी पहनी थी, जबकि उस ने कुछ पारंपरिक जेवर भी पहने हुए थे. उस के हाथ में गुदना (टैटू) का निशान मिला, जिस में ‘एमआरबी’ लिखा हुआ था.

मौके पर जा कर फोरैंसिक टीम ने जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस औरत की हत्या एक दिन पहले ही रात में हुई होगी.

इस से पुलिस का अंदाजा था कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. पुलिस का यह भी अंदाजा था कि वह औरत आसपास के इलाके की रहने वाली होगी. पहचान छिपाने के मकसद से हत्यारों ने उस का सिर धड़ से काटा होगा.

आसपास के गांव के लोगों की भीड़ मौका ए वारदात पर मौजूद थी, लेकिन उस औरत की शिनाख्त नहीं हो पा रही थी. आसपास के गांवों में पुलिस टीम ने जा कर मामले की जांच की, मगर कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लग पाया.

पुलिस इस मामले को नाजायज रिश्ते से जोड़ कर भी देख रही थी, क्योंकि जिस बेरहमी से उस औरत की हत्या की गई थी, उसे देख कर तो ऐसा ही लग रहा था.

सोशल मीडिया पर सिर कटी लाश मिलने की खबर से शांत रहने वाले आदिवासी अंचल में हड़कंप मच गया. मरी हुई औरत के एक हाथ में बने टैटू में इंगलिश में ‘एमआरबी’ लिखा हुआ था, जबकि दूसरे हाथ में ‘स्टार’ बना हुआ था.

सुरंगी गांव की औरतों को यह पता था कि गांव में रहने वाली एक लड़की ममता के हाथ पर भी इसी तरह का टैटू बना हुआ है. सोशल मीडिया पर आई तसवीर को जब कुछ औरतों ने ममता की मां उर्मिला को दिखाया, तो उस के होश उड़ गए.

उर्मिला को मालूम था कि जिस दिन ममता अशोक के साथ शादी की रिसैप्शन के लिए घर से निकली थी, उस दिन यही लाल रंग की जरी वाली साड़ी पहने हुए थी. उस के गले में पहने हार से भी मां को यकीन हो गया था कि यह लाश ममता की ही है.

उर्मिला ने अशोक को फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ बता रहा था. मोबाइल में यह भयावह तसवीर देख कर मां उर्मिला चीखचीख कर रोने लगी. पड़ोस में रहने वाले लोगों ने उसे हिम्मत बंधाई.

इतने में ममता का भाई भी घर आ गया. उस ने मां को सब्र रखने की कहते हुए पुलिस चौकी जा कर ममता की लाश की शिनाख्त की.

कहते हैं कि कानून के लंबे हाथों से बड़े से बड़ा अपराधी भी बच नहीं पाता है. सबइंस्पैक्टर पूनम ने जब ममता के घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि ममता अशोक नाम के एक लड़के के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रह रही थी.पुलिस ने जब अशोक को ढूंढ़ निकाला, तो इस हत्याकांड के पूरे राज से परदा हट गया .

28 साल की ममता सुरंगी गांव के रहने वाले सालकराम की लड़की थी. ममता से बड़ा उस का एक भाई था. जब ममता छोटी थी, तभी उस के पिता परिवार छोड़ कर कहीं चले गए थे. ममता और उस के भाई का पालनपोषण उस की मां उर्मिला ने किया था.

जब ममता 22 साल की हुई, तो भाई और मां ने उस की शादी पास के गांव में रहने वाले देवेंद्र से कर दी. शादी के बाद ममता को पता चला कि उस का पति शराबी है. वह शराब के नशे में ममता के साथ बदसुलूकी करता था.

किसी तरह ममता ने 6 महीने उस के साथ बिताए, मगर देवेंद्र की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया. इस के बाद ममता ससुराल से आ कर अपने मायके में रहने लगी.

परिवार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि ममता का भाई और मां उसे बिठा कर अच्छी तरह खिला पाते. ममता भी खुद्दार लड़की थी. लिहाजा, उस ने गांव के आसपास खेतों में जा कर मजदूरी का काम शुरू कर दिया.

इसी दौरान ममता की मुलाकात जामुन टोला गांव के अशोक से हुई. 19 साल का अशोक ममता के सांवले और गठीले बदन को देख कर उस की तरफ खिंच गया था. ममता को ससुराल में पति का प्यार नहीं मिल पाया था, ऐसे में वह भी अशोक की तरफ उम्मीदभरी निगाहों से देखती थी.

एक दिन खेत में कपास चुनते हुए अशोक ने अपने दिल की बात जबान पर लाते हुए कहा, ‘‘ममता, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारी आंखों में गजब का नशा है. जी चाहता है इन में दिनरात डूबा रहूं.’’

‘‘?ाठ मत बोलो अशोक. हमारी आंखों में नशा होता तो हमारा पति शराब के नशे में न डूबा रहता,’’ ममता ने जवाब दिया.

‘‘ममता, खूबसूरती तो देखने वालों की आंखों में होती है. हो सकता है, तुम्हारे पति की आंखें तुम्हारी आंखों में प्यार का दरिया न खोज पाई हों,’’ अशोक बोला.

‘‘तुम बातें बड़ी प्यारी करते हो अशोक. तुम्हारी बातों से लगता है कि तुम 19 साल के नहीं, बल्कि 29 साल के हो,’’ ममता ने कहा.

‘‘उम्र से क्या है, दिल तो हमारा अब तुम्हारे लिए धड़कने लगा है. दिन में तुम्हारा साथ रहता है, मगर रात तनहाई में कटती है,’’ अशोक बोला.

‘‘रात में मेरे ही सपने देखा करो तो तनहाई भी दूर हो जाएगी,’’ ममता ने अदा के साथ कहा.

ममता को पति से दूर रहते हुए काफी समय हो गया था. ऐसे में अशोक की उस के प्रति दीवानगी ने आग में घी का काम कर दिया था. ममता के दिल में भी अशोक के लिए प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे.

अशोक ममता को मजदूरी के लिए घर से साथ ले कर जाता था. अशोक ममता से उम्र में छोटा था. इस वजह से किसी को उन के प्रेम संबंध का शक भी नहीं था. गांव में घरपरिवार के सख्त पहरे और समाज की नजरों की वजह से उन का प्यार परवान तो चढ़ रहा था, लेकिन उन की हसरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं.

ऐसे में तकरीबन एक साल पहले एक दिन दोनों काम की तलाश में नागपुर आ गए. नागपुर में एक रूम ले कर लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

इसी साल अप्रैल महीने में अशोक की बहन की शादी थी, जिस में शामिल होने के लिए वह नागपुर से ममता को ले कर अपने गांव आया था. उस ने ममता को उस के मायके छोड़ दिया था और वह खुद बहन की शादी में चला गया था.

अशोक नागपुर से अपने साथ ममता को ले तो आया था, मगर वह घरपरिवार के लोगों के डर से उसे शादी में ले कर नहीं गया था.

यह बात ममता को अखर रही थी. ममता यही सोच कर परेशान थी कि अशोक उसे पत्नी बना कर रख रहा है, मगर घर में बहन की शादी में उसे ले कर नहीं जा रहा है.

पिछले एक साल से नागपुर में लिवइन रिलेशनशिप में रहते हुए वे दोनों पतिपत्नी की तरह खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे. ममता और अशोक की प्यार की निशानी के तौर पर ममता के पेट में अशोक का बच्चा पल रहा था.

पेट से होने के बाद से ही ममता को अपनी गलती का अहसास होने लगा था. उस ने अगर सुरक्षित तरीके से अशोक से जिस्मानी रिश्ता बनाया होता तो वह पेट से न होती.

ममता ने जैसे ही पेट से होने की जानकारी अशोक को दी, तो खुश होने के बजाय उस का चेहरा लटक गया था. ममता मर्दों की इस फितरत को अच्छी तरह सम?ा गई थी कि वे केवल अपनी जिस्मानी भूख मिटाने से ही मतलब रखते हैं. औरतों की भावनाएं उन के लिए कोई मतलब नहीं रखतीं.

औरत के जिस्म को मर्द केवल भोगने का सामान ही सम?ाते हैं. अशोक भी ममता की देह का भूखा था, जो उस के जिस्म का पूरे हक से सुख ले रहा था, मगर जब वह पेट से हो गई, तो इस बात को ले कर दोनों के बीच तकरार भी होने लगी थी.

ममता को यही चिंता दिनरात खाए जा रही थी कि आखिर बच्चे के जन्म के बाद अशोक उसे बेसहारा तो नहीं छोड़ देगा. अशोक बहन की शादी की तैयारियों में लगा हुआ था, मगर ममता उसे फोन कर के उस पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

परेशान हो कर एक दिन ममता ने अशोक से फोन पर कहा, ‘‘अशोक, अब तो तुम मु?ा से शादी कर लो, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं. कहीं ऐसा न हो, मैं समाज में मुंह दिखाने के काबिल न रहूं.’’

‘‘ममता, अभी घर के लोग बहन की शादी में लगे हैं, तुम थोड़ा सब्र रखो. मैं घर वालों को मना लूंगा,’’ अशोक ने दिलासा देते हुए कहा.

‘‘लेकिन, अब 3 महीने का पेट हो चुका है, कब तक मुझे इस तरह दिलासा देते रहोगे…’’ ममता ने चिंता जताते हुए कहा.

‘‘ममता, हम नागपुर जा कर किसी डाक्टर से बच्चा गिरवा लेंगे, तुम चिंता मत करो,’’ अशोक बोला.

‘‘तुम आखिर कब तक मेरे बदन से खेलते रहोगे… मैं अपने बच्चे की हत्या नहीं करूंगी,’’ ममता ने गुस्से से कहा.

‘‘अभी तुम अपनेआप को संभालो. मैं तुम्हें बहन की रिसैप्शन पार्टी में ले कर चलता हूं,’’ अशोक ने चाल बदलते हुए कहा.

अशोक ने जब से ममता के पेट से होने  की बात सुनी थी, तभी से वह ममता से नफरत करने लगा था. वह अकसर सोचता था कि जिस तरह ममता ने आसानी से उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बना लिया है, क्या पता उस के और भी लोगों से संबंध न हों. वह ममता से शादी भी तो नहीं कर सकता था. गांव में जातबिरादरी के लोग दूसरी जाति की उस से बड़ी उम्र की लड़की से शादी करने के लिए भला कैसे राजी होंगे.

जब इनसान को अपनी परेशानी का कोई हल नहीं मिलता, तो अकसर उस का दिमाग शैतान बन जाता है. अशोक के शैतान मन में भी एक प्लान बन गया था.

प्लान बनते ही अशोक ने फोन पर ममता की खूब तारीफ करते हुए कहा, ‘‘ममता, मैं परिवार के बड़े बुजुर्गों के डर से तुम्हें बहन की शादी में गांव तो नहीं ले जा पाया, पर उस की रिसैप्शन में ले जाना चाहता हूं. तुम चलोगी न?’’

‘‘हांहां, जरूर चलूंगी. आखिर मैं भी तो देखना चाहती हूं कि मेरी ननद की ससुराल कैसी है,’’ ममता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा.

‘‘हां तो तुम कल सुबह तैयार रहना. कल मैं तुम्हें लेने आऊंगा,’’ अशोक ने जानकारी देते हुए कहा.

‘‘हां अशोक, मैं सजधज कर तैयार मिलूंगी. मैं ने तो कुछ आर्टिफिशियल ज्वैलरी भी भाभी से मांग ली है,’’ ममता चहकते हुए बोली.

दूसरे दिन सुबह ही अशोक ममता के घर पहुंच गया. ममता की मां, भाई और नानी को इस बात की जानकारी पहले से ही थी कि ममता अशोक की पत्नी बन कर नागपुर में रह रही है. इसी वजह से उन्होंने अशोक की खातिरदारी की और ममता को उस के साथ भेज दिया. जातेजाते अशोक ने ममता की मां को यह भी बताया कि वह रिसैप्शन के दूसरे दिन वहां से नागपुर चला जाएगा.

मोटरसाइकिल पर सवार हो कर अशोक के साथ जा रही ममता अपनी ननद के रिसैप्शन में जाने को ले कर बहुत खुश हो रही थी, मगर उसे नहीं पता था कि जिसे वह पति मान बैठी थी, वही उस की जान का दुश्मन बनने की ठान चुका था.

गांव से तकरीबन 25-30 किलोमीटर का फासला तय करते ही जंगल के बीच अशोक ने मोटरसाइकिल रोक दी, तो ममता ने पूछा, ‘‘यहां बीच जंगल में कहां बाइक रोक दी? मु?ो बहुत डर लगता है.’’

‘‘काहे का डर… देखो, पेड़ों की कितनी घनी छांव है, थोड़ा आराम कर लेते हैं, फिर चलते हैं,’’ अशोक ने ममता के गालों को छूते हुए कहा.

अशोक सड़क पर बनी पुलिया के नीचे उतर कर पेड़ों की घनी छांव में उसे ले गया. चलतेचलते अशोक ने ममता से हंसीमजाक करते हुए कहा, ‘‘मेरी जान, आज तुम लाल सुर्ख साड़ी में गजब ढा रही हो. मैं अपनेआप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं.’’

‘‘तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती… यहां जंगल में मंगल करने आए हो क्या?’’ ममता ने उसे टोकते हुए कहा.

‘‘जानू, जंगल में ही तो मंगल होता है और फिर क्या तुम कोई गैर हो?’’ ममता को अपने आगोश में लेते हुए अशोक बोला.

‘‘जोकुछ करना है, जल्दी से कर लो. यहां जमीन पर मेरे कपड़े खराब हो जाएंगे,’’ ममता ने भी अशोक के होंठ चूमते हुए कहा.

दोनों पेड़ की छांव में एक कपड़ा बिछा कर प्यार करने लगे. अशोक ने ममता से जिस्मानी रिश्ता बना कर अपनी हसरत पूरी की. जैसे ही ममता जमीन पर बैठ कर अपने कपड़े ठीक कर रही थी, तभी अशोक ने अपनी पैंट की जेब में रखा चाकू निकाला और ममता की ओर झपट पड़ा.

अशोक के बदले हुए रूप को देख कर पहले तो ममता को यकीन नहीं हुआ, मगर जैसे ही अशोक ने उस की गरदन पकड़ी, वह पूरी ताकत से चीख पड़ी और चीखते हुए वहां से भागने लगी, पर तभी अशोक ने उसे जोर से पकड़ लिया और चाकू से उस का गला रेत दिया. कुछ ही पलों में ममता लाश का ढेर बन गई.

पुलिस के सामने मामले की पूरी सचाई बता रहे अशोक हाथों में हथकड़ी और आंखों में आंसू लिए सोच रहा था कि वह देह का भूखा न बन कर प्यार का भूखा होता तो प्यार करने वाली ममता को यों धोखा न देता.

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