Mother’s Day Top 10 stories :  मातापिता के बिना कोई इस धरती पर नहीं जन्मा है, सभी के माता पिता होते है ऐसे में ये जरूर हो कि उनके लिए कोई खास दिन हो, जो उनके लिए मनाया जाएं. जी हां, मां का दर्जा सबसे बड़ा माना गया है जिसे सभी मदर्स डे के रूप में मनाते है और इस दिन को ओर खास बनाने के लिए मदर्स डे से जुड़ी स्पेशल कहानियां हम आपके देते है. जिन्हे पढ़कर आप मनोरंजन के साथसाथ मां की ममता से भी जुड़ सकें. सरस सलिल में 2024 की कई स्पेशल कहानियां प्रकाशित हुई है जिसमें से टॉप 10 कहानियां आपके लिए है.

1. Mother’s Day 2024: मां का बटुआ – फलसफा जिंदगी का maa ka batua

मैं अकेली बैठी धूप सेंक रही हूं. मां की कही बातें याद आ रही हैं. मां को अपने पास रहने के लिए ले कर आई थी. मां अकेली घर में रहती थीं. हमें उन की चिंता लगी रहती थी. पर मां अपना घर छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं चाहती थीं. एक बार जब वे ज्यादा बीमार पड़ीं तो मैं इलाज का बहाना बना कर उन्हें अपने घर ले आई. पर पूरे रास्ते मां हम से बोलती आईं, ‘हमें क्यों ले जा रही हो? क्या मैं अपनी जड़ से अलग हो कर तुम्हारे यहां चैन व सुकून से रह पाऊंगी? किसी पेड़ को अपनी जड़ से अलग होने पर पनपते देखा है. मैं अपने घर से अलग हो कर चैन से मर भी नहीं पाऊंगी.’

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2. Mother’s Day 2024- रोटी बेटी : क्या खुलेगी जात पांत की गांठ Family story

बेटी सरोजिनी छात्रावास के अपने कमरे में रचना बहुत उधेड़बुन में बैठी हुई थी. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह मनीष के सामने कैसे अपने मन में पड़ी गांठ की गिरह को खोले. कितना बड़ा जोखिम था इस गांठ की गिरह को खोलने में, यह सोच कर ही वह कांप गई.

इस तनाव को झेलने के लिए रचना सुबह से चाय के 3 प्याले हर घंटे के भीतर गटक गई थी. वह जानती थी कि वह मनीष से कितना प्यार करती?है और मनीष… वह तो उस के प्यार में दीवाना है, पागल है. इन हालात में कैसे वह उस बात को कह दे, जिस के बाद कुछ भी हो सकता था. लेकिन फिर उस ने सोचा कि अब समय आ गया है कि कुछ बातें तय हो ही जानी चाहिए. कुछ अनकही बातें अब बताई ही जानी चाहिए.

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3. Mother’s Day 2024 : सासुमां के सात रंग – ससुराल में नई बहू का आनाFamily story

जब मैं नईनई बहू बन कर ससुराल आई तो दूसरी बहुओं की तरह मेरे मन में भी सास नाम के व्यक्तित्व के प्रति भय व शंका सी थी. सहेलियों व रिश्तेदारों की चर्चा में हर कहीं सास की हिटलरी तानाशाही का उल्लेख रहता. जब पति के घर गई तो मालूम हुआ कि मेरे पति कुछ ही दिनों बाद विदेश चले जाएंगे. नया घर, नए लोग, नया वातावरण और एकदम नया रिश्ता. मुझे तो सोच कर ही घबराहट हो रही थी.

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4. Mother’s Day 2024-छोटा सा घर: क्या सुषमा अपनी गृहस्थी बसा पाई?Family story

ट्रेन तेज गति से दौड़ी चली जा रही थी. सहसा गोमती बूआ ने वृद्ध सोमनाथ को कंधे से झकझोरा, ‘‘बाबूजी, सुषमा पता नहीं कहां चली गई. कहीं नजर नहीं आ रही.’’

सोमनाथ ने हाथ ऊंचा कर के स्विच दबाया तो चारों ओर प्रकाश फैल गया. फिर वे आंखें मिचमिचाते हुए बोले, ‘‘आधी रात को नींद क्यों खराब कर दी… क्या मुसीबत आन पड़ी है?’’

‘‘अरे, सुषमा न जाने कहां चली गई.’’

‘‘टायलेट की ओर जा कर देखो, यहीं कहीं होगी…चलती ट्रेन से कूद थोड़े ही जाएगी.’’

‘‘अरे, बाबा, डब्बे के दोनों तरफ के शौचालयों में जा कर देख आई हूं. वह कहीं भी नहीं है.’’

बूआ की ऊंची आवाज सुन कर अन्य महिलाएं भी उठ बैठीं. पुष्पा आंचल संभालते हुए खांसने लगी. देवकी ने आंखें मलते हुए बूआ की ओर देखा और बोली, ‘‘लाइट क्यों जला दी? अरे, तुम्हें नींद नहीं आती लेकिन दूसरों को तो चैन से सोने दिया करो.’’

‘‘मूर्ख औरत, सुषमा का कोई अतापता नहीं है…’’

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5. Mother’s Day 2024- मां: गु़ड्डी अपने बच्चों को आश्रम में छोड़कर क्यों चली गई Family story

रात के 10 बजे थे. सुमनलता पत्रकारों के साथ मीटिंग में व्यस्त थीं. तभी फोन की घंटी बज उठी…

‘‘मम्मीजी, पिंकू केक काटने के लिए कब से आप का इंतजार कर रहा है.’’

बहू दीप्ति का फोन था.

‘‘दीप्ति, ऐसा करो…तुम पिंकू से मेरी बात करा दो.’’

‘‘जी अच्छा,’’ उधर से आवाज सुनाई दी.

‘‘हैलो,’’ स्वर को थोड़ा धीमा रखते हुए सुमनलता बोलीं, ‘‘पिंकू बेटे, मैं अभी यहां व्यस्त हूं. तुम्हारे सारे दोस्त तो आ गए होंगे. तुम केक काट लो. कल का पूरा दिन तुम्हारे नाम है…अच्छे बच्चे जिद नहीं करते. अच्छा, हैप्पी बर्थ डे, खूब खुश रहो,’’ अपने पोते को बहलाते हुए सुमनलता ने फोन रख दिया. दोनों पत्रकार ध्यान से उन की बातें सुन रहे थे.

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6. Mother’s Day 2024: ममता के रंग – कैसी थी प्राची की अम्मा family story

‘‘दीदी, वे लोग आ गए,’’ कहते हुए पोंछे को वहीं फर्श पर फेंकते हुए कजरी जैसे ही बाहर की तरफ दौड़ी, प्राची का दिल जोर से धड़क उठा. सिर पर पल्ला रखते हुए उस ने एक बार अपनेआप को आईने में देख लिया. सच, एकदम आदर्श बहू लग रही थी.

मन में उठ रही ढेरों शंकाओं ने प्राची को परेशान कर दिया. जब नईनवेली दुलहन ससुराल आती है, तब सास उस की आरती उतारती है. लेकिन यहां पर किस्सा उलटा था, बहू के घर सास पहली बार आ रही थी.

अम्मा प्राची और कुणाल के विवाह के खिलाफ थीं, इसलिए दोनों ने कोर्टमैरिज कर ली थी. शादी को साल भर होने जा रहा था कि अम्मा ने सूचित किया कि वे आ रही हैं.

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7. Mother’s Day 2024 : दोबारा आना – मां की हरकतें देख क्या एहसास हुआ Family story

90 के दशक के बीच का दौर था. वरुण आईआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटैक कर चुका था. उसे कैंपस से सालभर पहले ही नौकरी मिल चुकी थी. उसे इंडिया की टौप आईटी कंपनी के अतिरिक्त अमेरिका की एक स्टार्टअप कंपनी से नौकरी का औफर था.

वरुण के मातापिता चाहते थे कि उन का बेटा इंडिया में ही नौकरी करे, पर वरुण अमेरिका जाना चाहता था. अमेरिकी कंपनी उसे बेहतर वेतन औफर कर रही थी. इकलौते बेटे की खुशी के लिए मातापिता ने उस के अमेरिका जाने के लिए हामी भर दी.

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8. Mother’s Day 2024: एक बेटी तीन मांएं, क्या था यह राजFamily story

90 के दशक के बीच का दौर था. वरुण आईआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटैक कर चुका था. उसे कैंपस से सालभर पहले ही नौकरी मिल चुकी थी. उसे इंडिया की टौप आईटी कंपनी के अतिरिक्त अमेरिका की एक स्टार्टअप कंपनी से नौकरी का औफर था.

वरुण के मातापिता चाहते थे कि उन का बेटा इंडिया में ही नौकरी करे, पर वरुण अमेरिका जाना चाहता था. अमेरिकी कंपनी उसे बेहतर वेतन औफर कर रही थी. इकलौते बेटे की खुशी के लिए मातापिता ने उस के अमेरिका जाने के लिए हामी भर दी.

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9. Mother’s Day 2024: अर्धविक्षिप्त बच्चे की मां का दर्द  Family story

आटा खत्म हो गया था किंतु सुदीर्घ की भूख नहीं, वह उसी प्रकार थाली पर हाथ रखे टुकुरटुकुर देख रहा था. 16 रोटियां वह खा चुका था. मां हो कर भी मैं उस की रोटियां गिन रही थी. फिर आटा गूंध कर सुदीर्घ को खिलापिला कर जब मैं उठी तो रात के साढ़े 10 बज रहे थे.

सुदीर्घ वहीं थाली में हाथ धो कर जमीन पर औंधा पड़ा सो रहा था, उसे किसी तरह खींच कर बिस्तर पर लिटाया. उस की मसहरी लगाई. इस के बाद मैं भी लेट गई.

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10. Mother’s Day 2024: प्यार का पलड़ा : कष्ट में सासू मां family story

सास की बिगड़ती स्थिति को देख कर तनु दुखी थी. वह मांजी को भरपूर सुख और आराम देना चाहती थी पर घर में काम इतना अधिक रहता था कि वह चाह कर भी मांजी की सेवा के लिए पूरा समय नहीं निकाल पाती थी.

जब से एक दुर्घटना में आभा के पैर की हड्डी टूटी, वह सामान्य नहीं हो पाई थीं. चूंकि आपरेशन द्वारा पैर में नकली हड्डी डाली गई थी जो उन्हें जबतब बेचैन कर देती और वह दर्द से घंटों कराहती रहतीं. कहतीं, ‘‘बहू, डाक्टरों ने मेरे पैर में तलवार तो नहीं डाल दी, बड़ी चुभ रही है.’’

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