दिल्ली पढ़ाई का गढ़ है. यहां की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के तो कहने ही क्या. साल 1969 में बनी इस मजबूत लाल इमारत में किसी छात्र का दाखिला होना अपनेआप में बड़ी बात है. निर्मला सीतारमण, एस. जयशंकर, मेनका गांधी, नेपाल से बाबूराम भट्टाराई, लीबिया से अली जैदान, अमिताभ कांत, आलोक जोशी, सुभाषिनी शंकर, दीपक रावत, मनु महाराज जैसे न जाने कितने दिग्गजों ने कभी न कभी यहीं से पढ़ाई की है.

बिहार की मालती कुमारी भी जिंदगी में कुछ कर दिखाने के मकसद से इसी यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई कर रही है. मालती अपने नाम की तरह महकता फूल है. गोरा रंग, बड़ी आंखें, कंधों तक कटे बाल, 5 फुट, 6 इंच कद, लंबी टांगें… मतलब जो लड़का एक बार देख ले, तो फिर आहें भरता रह जाए.

मालती कुमारी को अपने हुस्न पर नाज है और वह है भी बड़ी बिंदास. सिगरेट पीती है, चायकौफी की चसोड़ी है, बोलने में झिझकती नहीं और जब मुसकराती है, तो ‘तेजाब’ की माधुरी दीक्षित लगती है.

आज मालती ने टौर्न जींस, ह्वाइट टीशर्ट पहनी है. पैरों में कोल्हापुरी चप्पल. हाथ में मोबाइल और जब वह क्लास में घुसी तो देखा कि आज कहां बैठना है.

कुछ लड़कों ने इशारों में साथ बैठने के लिए औफर दिया, पर मालती तो मालती है, ऐसे किसी के भाव कैसे बढ़ा दे.

मालती ने नजर दौड़ाई और एक लड़के पर उस की आंखें जम गईं. लड़का क्या, तूफान था. एकदम ‘गली बौय’

का रणवीर सिंह. 6 फुट लंबा, गठा हुआ बदन, केसरी रंग का कुरता और जींस, पैरों में पुराने पर ब्रांडेड शू.मालती उस लड़के के पास जा कर बोली, ‘‘मे आई…’’

उस लड़के ने आज पहली बार मालती को देखा था और बस देखता

ही रह गया. उस के मुंह से निकला, ‘‘श्योर…’’

मालती उस लड़के के बगल में बैठ कर हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली, ‘‘मालती…’’

उस लड़के ने हाथ मिलाते हुए कहा, ‘‘ओह, तभी इतना महक रही हो.’’

‘‘लाइन मार रहे हो. वह भी बिना नाम बताए. गजब का हौसला है,’’ मालती ने मुंह बनाते हुए कहा.

‘‘बंदे को अभिषेक दीक्षित कहते हैं,’’ उस लड़के ने स्टाइल मारते हुए कहा.

‘‘अच्छा, ब्राह्मण पुत्र हो… और मैं दलित पुत्री,’’ मालती ने बेबाकी से कहा.

‘‘दोस्ती में कैसी जातपांत. दिल मिलने चाहिए और बाद में…’’ अभिषेक ने मालती को कुहनी मारते हुए कहा.

‘‘ज्यादा इतराओ मत. मुझे पाने के लिए कई तरह के पापड़ बेलने पड़ेंगे,’’ मालती बोली.

‘‘अजी, हम तो आप के लिए पापड़ क्या पूरियां भी बेल लेंगे.’’

‘‘अच्छा चलो, मेरा एक काम कर दो. मुझे नोट्स दिलवा दो कहीं से, फिर देखते हैं कि पूरी बेलने में माहिर हो या पापड़. कहीं मेरा झापड़ न मिल जाए तुम्हें,’’ मालती ने हंसते हुए कहा.

‘‘नोट्स देने पर मुझे क्या मिलेगा?’’ अभिषेक ने कहा.

‘‘डार्लिंग, मैं तुम्हारे साथ चाय और सुट्टे की डेट पर चल लूंगी. अगर मुझे तुम और तुम्हारे नोट्स पसंद आए, तो फिर किसी बोल्ड डेट पर चल पड़ेंगे,’’ मालती ने अपने बालों पर हाथ फिराते हुए कहा.

थोड़ी देर में वे दोनों गंगा ढाबे पर थे. अभिषेक ने अपने एक दोस्त को नोट्स लाने भेज दिया. दोनों ने चाय का और्डर दिया और 1-1 सिगरेट सुलगा ली. मालती सिगरेट पीने में माहिर थी, तगड़ी सुट्टेबाज.

‘‘एक महीने बाद यूनिवर्सिटी में इलैक्शन हैं. तुम किस साइड हो?’’ मालती ने सिगरेट का कश खींचते हुए पूछा.

‘‘मैं तो एबीवीपी का कट्टर कार्यकर्ता हूं. इस लाल इमारत में रामराज लाना है,’’ अभिषेक ने घमंडी अंदाज में कहा.

‘‘ओह, तुम तो भगवाधारी निकले.  अंधभक्त कार्यकर्ता. अब हम दोनों की कैसे जमेगी, क्योंकि मैं हूं वामपंथी

और तुम ठहरे दक्षिणापंथी… माफ

करना दक्षिणपंथी,’’ मालती ने ताना फेंक कर मारा.

‘‘ओ मालती देवी, हमारे बीच में अचानक भगवा और लाल सलाम कहां से आ गया,’’ अभिषेक ने यह बात कह तो दी थी, पर उस के अहम को शायद ठेस पहुंची थी, क्योंकि एक दलित लड़की ने उसे दक्षिणापंथी जो कह दिया था, पर उस ने अपने चेहरे के हावभाव से जाहिर नहीं होने दिया.

इतने में अभिषेक का दोस्त नोट्स ले आया.

‘‘तुम ने मुझे नोट्स तो दिए और हमारी चाय और सुट्टे की डेट भी हो गई. अब आगे…?’’ मालती ने पूछा.

‘‘तुम्हारा कमरा या मेरा कमरा?’’ अभिषेक ने डायरैक्ट सवाल किया.

‘‘बता दूंगी, पर ज्यादा उम्मीद मत रखना.’’

फिर वे दोनों कई बार मिले. एक दिन अभिषेक ने अगली डेट की याद दिलाई, तो मालती ने कहा, ‘‘आज रात को 9 बजे तुम्हारे कमरे में… और हां, प्रोटैक्शन लाना मत भूलना. मुझे गोलीवोली नहीं खानी है,’’ मालती ने आंख मारते हुए कहा.

इधर मालती और अभिषेक की गुटरगूं चल रही थी, उधर छात्र संघ के चुनाव का ऐलान हो गया था. छात्र बड़े दिनों से चुनाव कराने की मांग कर रहे थे.

इसी सिलसिले में नोटिफिकेशन जारी किया गया कि 22 मार्च को जेएनयूएसयू के चुनाव होंगे और 24 मार्च को नतीजे का ऐलान होगा.

11 मार्च, 2024 को एक अस्थायी वोटिंग लिस्ट जारी की जाएगी. उस लिस्ट में सुधार 12 मार्च को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे के बीच शुरू होगा.

बता दें कि जेएनयू छात्रसंघ का पिछला चुनाव साल 2019 में हुआ था, जिस में लैफ्ट गुट की उम्मीदवार आइशी घोष ने चुनाव जीता था. उस के बाद कोरोना की वजह से चुनाव रद्द हुआ था. अब 4 साल बाद छात्रसंघ चुनाव होने पर सभी दलों के छात्र दल जोश में आ गए.

रात को मालती अभिषेक के रूम में पहुंच गई थी. होस्टल के रखवालों को हवा तक नहीं लगने दी. पिंक शौर्ट और ब्लैक राउंड नैक स्लीवलैस टीशर्ट में वह कमाल की लग रही थी. शायद वह नहा कर आई थी. उस के गीले बाल उसे और ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे.

अभिषेक हरे रंग की बनियान और भूरे रंग के पाजामा में था. वह बहुत ज्यादा हैंडसम लग रहा था. एलैक्सा पर किसी इंगलिश गाने की मादक धुन बज रही थी. उस ने मालती को देखते ही कहा, ‘‘पहले से ही इतनी खूबसूरत थी या मुझे देख कर यह निखार आया है?’’

‘‘वैरी फनी…’’ कहते हुए मालती

ने सिगरेट सुलगाई और बिस्तर पर अधलेटी हो गई. फिर कश लगा कर सिगरेट अभिषेक को दे कर बोली, ‘‘इलैक्शन का क्या सीन है… राम राज लाओगे या मैं लाल सलाम का नारा बुलंद करूं…’’

अभिषेक सिगरेट ले कर मालती के करीब बैठ गया और बोला, ‘‘एबीवीपी ओनली. उमेश चंद्र अजमीरा से मेरी अच्छी बातचीत है. अध्यक्ष तो वही बनेगा. इस बार लैफ्ट वालों का सूपड़ा साफ है.’’

‘‘धीरज धरो मेरे ब्राह्मण पुत्र. इस बार नया इतिहास बनेगा. जेएनयू को एक दलित अध्यक्ष मिलेगा. मुझे धनंजय पर पूरा भरोसा है. वह बिहार के गया जिले से है और अपने परिवार में 6 भाईबहनों में सब से छोटा भी. वह स्कूल औफ आर्ट्स ऐंड एस्थैटिक्स से पीएचडी कर रहा है,’’ मालती ने कहा.

‘‘तुम भी क्या इलैक्शन की बात ले कर बैठ गई हो. रात अपनी रफ्तार से भाग रही है और हम लाल और भगवा झंडे में उलझे हुए हैं,’’ कहते हुए अभिषेक ने मालती का हाथ पकड़ लिया.

मालती ने बिस्तर पर लेटे हुए एक अंगड़ाई ली और अभिषेक को अपने ऊपर खींच लिया. दोनों की गरम सांसें एकदूसरे के चेहरे से टकरा रही थीं.

अभिषेक ने मालती के चेहरे पर आए बालों को हटाते हुए उस के होंठों को चूम लिया. मालती एकदम से सुर्ख लाल हो गई. उस के कान गरम हो गए. उस ने भी अभिषेक को कस कर भींच लिया.

अब तो अभिषेक उतावला सा हो गया. उस ने मालती की टीशर्ट उतार दी और उसे देखने लगा.

मालती थोड़ा शरमा गई, फिर एकदम से बोली, ‘‘प्रोटैक्शन कहां है जनाब? मुझे प्रैग्नैंट नहीं होना है.’’

अभिषेक को एकदम से ध्यान आया कि कंडोम का पैकेट तो अलमारी में रखा है. वह फटाफट उठा, अलमारी से कंडोम लाया और मालती पर छा गया. थोड़ी ही देर में वे दोनों इश्क की खुमारी में खो गए.

खुमारी तो यूनिवर्सिटी का इलैक्शन लड़ने वालों पर भी छा रही थी. हर गुट की रणनीतियां बनने लगीं. आल इंडिया स्टूडैंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) के धनंजय ने अध्यक्ष पद की बहस के दौरान कई अहम मुद्दे उठाए. कैंपस एरिया में लड़कियों की सिक्योरिटी, पानी की कमी, बुनियादी ढांचे की कमी, छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी और फंड में कटौती पर उन्होंने जम कर बोला.

इस के अलावा धनंजय ने फीस बढ़ने पर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए छात्र नेताओं को रिहा करने की मांग भी की.

दूसरी ओर, तेलंगाना के वारंगल जिले के रहने वाले उमेश चंद्र अजमीरा एबीवीपी की तरफ से अध्यक्ष पद के दावेदार बने. वे आदिवासी बंजारा (अनुसूचित जनजाति) समुदाय की बैकग्राउंड से आते हैं और जेएनयू में स्कूल औफ इंटरनैशनल स्टडीज में शोधार्थी हैं.

उमेश चंद्र अजमीरा ने अपने संबोधन में कहा कि इन वामियों की फरेब, मक्कारी और नाकामियों से जेएनयू के छात्र परेशान हो चुके हैं और इस बार विद्यार्थी परिषद पूरे बहुमत से चारों सीटों को जीत रही है.

जिस तरह पिछली 22 जनवरी को भगवान राम के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ संपूर्ण देश ने 500 साल के संघर्ष के माध्यम से अन्याय पर विजय प्राप्त की, वैसे ही आने वाली

22 मार्च को जेएनयू के छात्र एबीवीपी के पूरे पैनल को अपना मत डाल कर वामपंथ पर विजय प्राप्त करेंगे.

‘‘तुम दक्षिणापंथी भी न हर बात में राम को ले आते हो. जेएनयू के कैंपस में राम का क्या काम,’’ गंगा ढाबे पर चाय पीते हुए मालती ने अभिषेक से कहा.

‘‘ओ अभिषेक, यह मालती कुछ ज्यादा ही बकवास कर रही है. यहां

कोटे से घुस जाते हैं और फिर बातें ऐसी बनाते हैं कि ये ही आज के अंबेडकर हैं,’’ अभिषेक के एक दोस्त दीपक अग्रवाल ने मालती की बात पर गुस्सा होते हुए कहा.

‘‘मौडर्न कपड़े पहनने से कोई लड़की मौडर्न नहीं बन जाती है. अपनी हैसियत में रह,’’ एक और लड़के ने अपनी भड़ास निकाली.

मालती की यह बात चुभी तो अभिषेक को भी थी, पर वह बात को संभालते हुए बोला, ‘‘देखो, सब को अपनी बात रखने का हक है. मालती को हम इलैक्शन में हरा कर जवाब देंगे.’’

‘‘ओए दीपक, मैं भले ही कोटे से हूं, पर पढ़ाई में तुझ से कम नहीं हूं. तुम्हारे भाईबंधु तो अपने बाप के पैसे के दम पर चले जाते हैं विदेश में पढ़ने. और तुझे क्या लगता है, विदेश में या देश की बड़ी यूनिवर्सिटी में जाने का ठेका क्या तुम लोगों ने ही ले रखा है.

‘‘पता भी है कि विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए दी जाने वाली सरकारी स्कौलरशिप पाने वाले दलित छात्रों की तादाद के मामले में महाराष्ट्र देश में अव्वल रहा है.

‘‘फरवरी, 2018 तक अनुसूचित जाति के 72 छात्रों को नैशनल ओवरसीज स्कौलरशिप स्कीम का फायदा मिला था, जिन में से 40 छात्र तो अकेले महाराष्ट्र के थे.

‘‘मैं मिडिल क्लास दलित फैमिली से जरूर हूं, पर पढ़ना मेरा जुनून है. अरे यार अभिषेक, तू ने कैसे नमूने पाल रखे हैं. ला, एक सिगरेट पिला. दिमाग की दही कर दी.

‘‘और हां, इस गलतफहमी में मत रहना कि तेरीमेरी बातचीत है, तो तेरे कहने पर मैं एबीवीपी वालों पर ठप्पा लगा दूंगी. डेट मारना अलग चीज है और वोट देना अलग,’’ गुस्से में तमतमाई मालती ने चिल्लाते हुए कहा.

अभिषेक के दोनों दोस्त चुप हो गए. उन का मन तो कर रहा था कि इसे यहां से चलता कर दे, पर अभिषेक का लिहाज था, तो चुप रहे. वैसे भी आज मालती लाल रंग के क्रौप टौप और

ब्लैक जींस में मस्त लग रही थी. उन्हें भी लगा कि इलैक्शन तो जीत ही लेंगे, पर अभी तो नैन सुख ले ही लें.

इधर इलैक्शन जोर पकड़ रहा था, उधर अभिषेक और मालती के बीच सुट्टे, चाय और इश्क का तड़का खूब लग रहा था.

मालती और अभिषेक भले ही अलगअलग गुटों का प्रचार कर रहे थे, पर रात को सोते एक ही बिस्तर पर थे.

चुनाव से एक रात पहले मालती अभिषेक के ही रूम में थी. वह बोली, ‘‘डार्लिंग, आज तो बहुत ज्यादा थक गई हूं, थोड़ी देर पैर दबा दो न.’’

अभिषेक मुसकराया और उस ने बड़े प्यार से मालती के दोनों पैरों की मालिश की.

सिगरेट का कश लगाते हुए मालती ने पूछा, ‘‘किस का चांस ज्यादा है? धनंजय या उमेश?’’

अभिषेक ने मालती की गोद में लेटते हुए कहा, ‘‘कोई भी जीते, मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ता. तुम और मैं साथ हैं, यही बड़ी बात है. वैसे, हमारी इस डेटिंग का फ्यूचर क्या है?’’

‘‘फ्यूचर से तुम्हारा मतलब हमारी शादी से है?’’

‘‘हां, कह सकती हो.’’

‘‘पर यार, अभी तो हमें अपने कैरियर पर फोकस करना है. पहले सैटल हो जाते हैं और अगर तब तक हमारा ब्रेकअप नहीं हुआ तो सोचेंगे शादी के बारे में. वैसे, मुझे कोई दिक्कत नहीं है,’’ मालती ने अभिषेक के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

मालती का यह कहना अभिषेक को बहुत अच्छा लगा. वह जानता था कि मालती हर बात में उस से इक्कीस है और उस का साथ कभी नहीं छोड़ेगी. वह उस से सच्ची मुहब्बत करने लगा था. उस ने भावुक हो कर मालती को गले से लगा लिया. वे दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, फिर कब एकदूसरे में समा गए, पता ही नहीं चला.

22 मार्च की सुबह ही ढोल की थाप के साथ ‘जय भीम’, ‘भारत माता की जय’ और ‘लाल सलाम’ के नारे के साथ ही जेएनयू कैंपस में माहौल गरम होने लगा था. 11 बजे के बाद बड़ी तादाद में छात्र वोटिंग सैंटरों पर जमा होने लगे थे.

जेएनयूएसयू के केंद्रीय पैनल के लिए कुल 19 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि स्कूल काउंसलर के लिए

42 लोगों ने दांव लगाया था. छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए 8 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था.

अभिषेक और मालती समेत 7,700 से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटरों ने अपना वोट डाला था. इस बार रिकौर्ड 73 फीसदी वोटिंग हुई थी. वोटिंग के लिए अलगअलग स्टडी सैंटरों में कुल

17 वोटिंग सैंटर बनाए गए थे. वोटिंग शाम के 7 बजे तक चली थी.

और फिर आया वह ऐतिहासिक दिन. 24 मार्च, 2024. वोटों की गिनती शुरू हुई. लैफ्ट गुटों और एबीवीपी में शुरुआती दौर में कांटे की टक्कर दिखाई दी, पर फिर जैसेजैसे दिन ढलता गया, लाल सलाम का गुट भगवाधारियों पर भारी पड़ता गया.

इस चुनाव के लिए लैफ्ट की सभी पार्टियों ने गठबंधन किया था. अध्यक्ष पद के लिए आल इंडिया स्टूडैंट एसोसिएशन के धनंजय की जीत हुई. उन्हें 2,598 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहे एबीवीपी के उमेश चंद्र अजमीरा. उन को कुल 1,667 वोट मिले.

उपाध्यक्ष पद पर भी लैफ्ट गुट के स्टूडैंट फैडरेशन औफ इंडिया को जीत मिली. अभिजीत घोष को कुल 2,409 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रही एबीवीपी की दीपिका शर्मा को 1,482 वोट मिले.

महासचिव पद के लिए प्रियांशी आर्या को जीत मिली. वे बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडैंट्स यूनियन की उम्मीदवार थीं. उन्हें लैफ्ट गठबंधन का समर्थन हासिल था. दूसरे नंबर पर रहे एबीवीपी के अर्जुन आनंद. प्रियांशी आर्या को 2,887 और अर्जुन आनंद को 1,961 वोट मिले.

संयुक्त सचिव पद पर एआईएसएफ के उम्मीदवार मोहम्मद साजिद को जीत मिली. उन्हें कुल 2,574 वोट मिले थे, जबकि एबीवीपी के गोविंद दांगी को 2,066 वोट मिले.

जब चुनाव का नतीजा आया, तब मालती और अभिषेक एकसाथ ही थे. अभिषेक ने मालती को बधाई दी और उसे गले लगा लिया. वह बोला, ‘‘तुम सही साबित हुई. इतने साल बाद जेएनयू को एक दलित अध्यक्ष मिला है. उम्मीद है कि धनंजय ने छात्रों से जो वादे किए हैं, वे उन्हें पूरा करेंगे.’’

मालती ने अभिषेक को चूम लिया और बोली, ‘‘यार, सुट्टा मारने का मन कर रहा है. चलें? मुझे आज मसाज करानी है और तुम मना नहीं करोगे.’’

अभिषेक यह सुन कर हंसने लगा. उस ने मालती के बालों में हाथ फेरा और बोला, ‘‘राजनीति में लैफ्ट और राइट का लफड़ा तो चलता ही रहेगा, पर हम दोनों की जोड़ी नहीं टूटनी चाहिए. क्यों दलित पुत्री? आज चाय तुम पिलाना.’’

मालती बोली, ‘‘पक्का, मेरे ब्राह्मण पुत्र,’’ और वे दोनों गंगा ढाबे की तरफ चल दिए.

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