झारखंड अपने आदिवासी समाज के साथसाथ कीमती खनिजों और हरेभरे जंगलों के लिए मशहूर है. इस राज्य का एक जिला है जामताड़ा, जिस का मतलब है सांपों का इलाका. दरअसल, जामताड़ा, ‘जामा’ और ‘ताड़’ शब्द से बना है. संथाली भाषा में ‘जामा’ का मतलब होता है सांप और ‘ताड़’ का मलतब होता है घर. वैसे, जामताड़ा को बौक्साइट की खदानों के लिए भी जाना जाता है.

लेकिन कुछ साल पहले यही जामताड़ा एक ऐसे कांड के लिए बदनाम हुआ था, जिस का जहर सांपों के जहर से भी जानलेवा साबित हुआ था. इस में कुछ शातिर लोगों ने भोलेभाले लोगों की मासूमियत का फायदा उठा कर उन्हें चूना लगाया था.

कोई फोन पर ‘हैलो’ बोलता था और सामने वाले के बैंक खाते से रकम सफाचट हो जाती थी. वह फोन इसी जामताड़ा के किसी गांव में बैठे साइबर क्रिमिनल के यहां से आता था, तभी से इस जगह को ‘साइबर ठगी का गढ़’ माना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि देश में हो रही साइबर ठगी के 80 फीसदी मामले जामताड़ा से जुड़े हुए हैं.

याद रहे कि कुछ साल पहले ‘सदी के महानायक’ अमिताभ बच्चन के बैंक खाते से 5 लाख रुपए गायब हो गए थे. वही अमिताभ बच्चन, जो टैलीविजन पर भारतीय रिजर्व बैंक की साइबर क्राइम से आगाह करती लाइन ‘जानकार बनिए, सतर्क रहिए’ को दोहराते रहते हैं. साइबर ठगों ने उन्हें भी नहीं बख्शा था.

इस गोरखधंधे की शुरुआत तकरीबन 13 साल पहले जामताड़ा के एक गांव सिंदरजोरी में रहने वाला सीताराम मंडल से हुई थी, जो रोजीरोटी की तलाश में मुंबई गया था. वहां उस ने मोबाइल रिचार्ज की दुकान में नौकरी की और अपने शातिर दिमाग से ठगी करना सीखा.

जब सीताराम मंडल अपने गांव लौटा, तो उस ने जाली सिमकार्ड लगा कर, नकली बैंक मैनेजर बन कर ग्राहकों को फोन लगाने की चाल चली. इस के तहत वह लोगों से कहता था कि आप का कार्ड ब्लौक हो गया है. जो लोग उस के झांसे में आ जाते थे, वह उन से एटीएम नंबर, ओटीपी और सीवीवी नंबर जैसी जानकारियां मांग लेता था. फोन कट होतेहोते ग्राहक की जेब भी खाली हो चुकी होती थी.

इस पैसे को सीताराम मोबाइल रिचार्ज रिटेलर की आईडी में ट्रांसफर करता था. उस पैसे का 30 फीसदी अपने पास रख कर रिटेलर उसे बाकी का

70 फीसदी कैश दे देता था. आज उसी सीताराम मंडल के शागिर्दों ने गांव में कई गैंग बना रखे हैं, जो यहीं से देशभर में साइबर ठगी को अंजाम दे रहे हैं.

सीताराम मंडल और उस के गिरोह पर आज क्यों बात हो रही है? क्यों जामताड़ा आज फिर सुर्खियों में है? इन दोनों सवालों का जवाब यह है कि हरियाणा का एक इलाका ‘मिनी जामताड़ा’ के नाम से बदनाम हो रहा है. वहां के बेरोजगार नौजवान सरकार से तो रोजगार पाने की उम्मीद खो चुके हैं, पर सीताराम मंडल की दिखाई राह पर चल कर वे भी जुर्म की दुनिया में घुसपैठ कर चुके हैं.

दरअसल, हरियाणा के नूह इलाके में मई, 2023 में हरियाणा पुलिस ने खुलासा किया था कि वहां से 35 राज्यों के 28,000 लोगों के साथ तकरीबन 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की गई थी.

पुलिस ने यह भी बताया था कि ये साइबर महाठग फर्जी सिमकार्ड, आधारकार्ड और पैनकार्ड के जरीए देशभर में लोगों के साथ धोखाधड़ी करते थे. इन लोगों ने दिल्ली से अंडमाननिकोबार से ले कर केरल तक के लोगों को साइबर ठगी के अपने जाल में फंसाया था.

हरियाणा के नूह जिले के पुलिस सुपरिंटैंडैंट वरुण सिंगला ने इस कांड का खुलासा करते हुए बताया था कि 27-28 अप्रैल, 2023 की रात 5,000 पुलिस वालों की 102 टीमों ने जिले के 14 गांवों में एकसाथ छापेमारी की थी. इस दौरान तकरीबन 125 हैकरों को हिरासत में लिया गया था. इन में से 66 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था.

पुलिस सुपरिंटैंडैंट वरुण सिंगला ने यह भी बताया कि ये महाठग फेसबुक बाजार ओएलऐक्स और दूसरी साइटों पर मोटरसाइकिल, कार, मोबाइल फोन जैसे सामान पर आकर्षक औफर का लालच दे कर धोखाधड़ी को अंजाम देते थे. ये लोग पुराने सिक्के खरीदनेबेचने के बहाने, सैक्सटोर्शन के जरीए, केवाईसी और कार्ड ब्लौक के नाम पर भी ठगी करते थे.

मेवात में ठगी का पुराना चलन

हरियाणा के नूह और मेवात इलाके में ठगी करना नई बात नहीं है. पुलिस के मुताबिक, तकरीबन 20 साल पहले मेवात के नौजवान दूरदराज के लोगों को नकली सोने की ईंट को असली बता कर ठग लिया करते थे.

इस धंधे को आज भी ‘टटलू’ के नाम से जाना जाता है. इस में शिकार को यह यकीन दिलाया जाता है कि वे लोग (ठग) मकान बनाने के लिए बुनियाद खोद रहे थे, यह ईंट उस में मिली है. वे गरीब आदमी हैं, बाजार में इसे बेच नहीं सकते. सोने की नकली ईंट को सस्ते में मिलने के चलते लोग झांसे में आ जाते थे.

जब ऐसे कांड ज्यादा होने लगे, तो ‘टटलू’ गिरोह के खिलाफ हरियाणा और राजस्थान पुलिस ने नकली सोने की ईंट खरीदनेबेचने वालों से सावधान रहने के लिए चेतावनी वाले बोर्ड लगाए थे, जिस से लोग सावधान होने लगे.

इस से ‘टटलू’ का धंधा करने वाले लोगों ने ओएलऐक्स पर ठगी का धंधा शुरू कर दिया. ये ठग ओएलऐक्स पर किसी गाड़ी का फोटो डाल कर सस्ते में बेचने का झांसा देते और खुद को फौजी या कोई बड़ा अफसर बताते. पहले खाते में कुछ पैसे डलवाए जाते, जिस से सौदा पक्का हो जाए. उस के बाद पीडि़त को मेवात बुला कर उस के सारे पैसे, घड़ी, गहने, एटीएम वगैरह छीन कर उसे मारपीट कर भगा देते थे.

जब राजस्थान और मेवात की पुलिस ने ओएलऐक्स पर की गई ठगी करने वालों पर शिकंजा कसा तो, ये लोग अश्लील वीडियो बना कर लोगों को ठगने लगे. जब इस पर भी पुलिस ने शिकंजा कसा, तो ये लोग साइबर ठगी के काले धंधे में उतर आए.

क्या है वजह

झारखंड का जामताड़ा हो या हरियाणा का नूह इलाका, यहां पर गरीबी का ही ज्यादा असर रहा है. जब तक जामताड़ा में साइबर अपराध नहीं होते थे, तब तक वहां के लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरसते दिखाई देते थे. कच्चे घरों के गांवों में लोगों के पास एक अदद साइकिल नहीं होती थी.

इसी तरह मेवात एक मुसलिम बहुल इलाका है, जो हरियाणा के पलवल, नूह जिला, राजस्थान के अलवर, भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले तक फैला है. इस की तकरीबन 70 लाख की आबादी है. यहां पर पढ़ाईलिखाई की कमी है और रोजगार के मौके बेहद कम हैं. यही वजह है कि नौजवान ठगी जैसे अपराध की ओर आसानी से मुड़ जाते हैं.

साइबर क्रिमिनल इसी बात का फायदा उठाते हैं. नूह में जब पुलिस ने साइबर अपराधियों की कारगुजारियों का परदाफाश किया था, तब यह भी खुलासा किया था कि हरियाणा और राजस्थान बौर्डर के साथ लगते गांवों में साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दी जाती है. वहां नौजवान केवल एक लैपटौप, एक मोबाइल फोन और फर्जी सिमकार्ड के जरीए साइबर क्राइम की ट्रेनिंग लेते हैं.

नूह में पकड़े गए नौजवानों को राजस्थान के भरतपुर जिले के जुड़वा गांवों जुरेहेरा और घामड़ी में ट्रेंड किया गया था. वे इस के लिए 15,000 रुपए की फीस भी देते थे.

नौजवानों का साइबर क्राइम की ओर यह झुकाव बड़ा ही खतरनाक है. ‘डबल इंजन’ की सरकार इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. आपदा में अवसर का यह घिनौना रूप है, जो देश की तरक्की में बहुत बड़ी रुकावट है.

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