रितुल के काम की सभी ने सराहना की थी पर प्रोमोशन अनंत को मिल गया जो रितुल को बस सहायता ही कर रहा था. रितुल ने जब यह सुना तो उसे अनंत के लिए खुशी तो हो रही थी पर उसे समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
यश अनंत के प्रोमोशन पर बहुत खुश था. यह सब कियाधरा आखिर उस का ही था. यश को रितुल का हर समय मुसकराते रहना बहुत अखरता था. उसे लगता था कि रितुल बहुत ड्रामा करती है. पर आज भी उस ने देखा कि रितुल अनंत के साथ मजे से लंच कर रही थी.
यश को न जानें क्यों रितुल की मुसकराहट से चिढ़ थी. उस का बननासंवरना सबकुछ उसे अखरता था. धीरेधीरे यह बात रितुल को भी समझ आ गई थी कि यश उसे पसंद नहीं करता है पर फिलहाल उस के पास इस समस्या का कोई हल नहीं था.
कंपनी अपना नया प्रोजैक्ट बैंगलुरू में लगाने जा रही थी. इसी कारण से यश और रितुल को 4 दिन के लिए बैंगलुरू भेजा जा रहा था. यश ने पुरजोर कोशिश की कि उसे रितुल के साथ न जाना पड़े पर कुछ हो नहीं पाया. एअरपोर्ट पर भी यश ने रितुल से एक सम्मानजनक दूरी बना रखी थी. रितुल ने 1-2 बार बात करने की कोशिश भी की पर वह नाकाम ही रही. रितुल के टौप का खुला गला, स्किनफिटिंग की जींस सबकुछ यश को परेशान कर रहा था. यश मन ही मन सोच रहा था कि जरूर वह उसे फंसाने की कोशिश करेगी. पूरी यात्रा के दौरान दोनों चुप ही रहे.
रात को डिनर के समय रितुल ने यश का दरवाजा खटखटाया तो न चाहते हुए भी यश को उठना पड़ा. सफेद सूट में रितुल इतनी प्यारी लग रही थी कि यश के मुंह से अचानक निकल गया,”रितुल, तुम बेहद खूबसूरत और शांत लग रही हो.”
डिनर के समय यश ने अनुभव किया कि रितुल ऐसी भी नहीं है जैसा वह समझता था. वह अपनी बेटी और मम्मीपापा का बहुत खयाल रखती है.
रितुल ने सूप पीते हुए पूछा,”सर, आप के परिवार में कौनकौन हैं?”
यश बोला,”मैं और मम्मी. अगर पूछना चाहती हो कि अब तक शादी क्यों नहीं करी तो बता देता हूं… की थी, मगर मेरी बीवी 5 साल पहले मुझे उल्लू बना कर भाग गई,” रितुल यश को चुपचाप सुनती रही.
“मेरी जिंदगी की खुशी, रंग और रौनक सब को पैरों तले रौंद कर चली गई…”
रितुल बोली,”आप गलत बोल रहे हो, वह बस आप की जिंदगी से गई है. आप ने अपनी खुशियों की बागडोर उस के हाथों में दे दी थी.”
यश तल्खी से बोला,”तुम्हारे और मेरी सिचुएशन में फर्क है.”
रितुल मुसकराते हुए बोली,”क्या फर्क, बस यही कि मैं एक विधवा हो कर भी एक रंगीन जिंदगी जीती हूं और आप की बीवी के जाने से आप का पौरूष इतना आहत हो उठा कि आप ने जीना छोड़ दिया है. आप को क्या लगता है कि मेरी जिंदगी इतनी आसान है… क्या मुझे नहीं पता है कि आप के फीडबैक के कारण ही मुझे प्रोमोशन नहीं मिला है.
“सर, मुझे रोते हुए जिंदगी गुजारना पसंद नहीं है. मेरे पति की जिंदगी खत्म हुई है पर उन के साथ मैं अपनी जिंदगी खत्म नहीं कर सकती हूं…”
तभी फोन की घंटी बजी और रितुल फोन में खो गई थी. फोन नलिन का था. जब रितुल ने फोन रख दिया तो यश बोला,”थकती नहीं हो तुम इस तरह से? क्या मजा मिलता है तुम्हें ऐसे?
रितुल बोली,”जिंदगी जीने के टौनिक हैं मेरे दोस्त.”
अगले दिन तक रितुल से यश काफी खुल गया था. मन ही मन वह सोच रहा था कि वह कितना गलत था रितुल के बारे में.
अगली रात यश और रितुल ने एकसाथ गुजारी थी और अगले दिन यश रितुल को देख कर झेंप उठा और बोला,”आई एम सौरी रितुल.”
रितुल बोली,”अरे यश, वे हम दोनों के साझे पल थे. मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं है तो तुम्हें क्यों है?”
इस औफिसियल ट्रिप ने यश का जिंदगी जीने का नजरिया ही बदल दिया था. उसे समझ आ गया था कि दुखों को गले लगा कर जिंदगी जी नहीं जा सकती है.
अब रितुल के पुरुष मित्रों में यश भी शामिल था. रितुल को अपने पुरुष मित्रों से किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं थी. वे बस मिलते थे और अच्छा समय बिताते थे.
धीरेधीरे यश का मन रितुल की तरफ खींचने लगा था. रितुल को देख कर उसे जीने की प्रेरणा मिलती थी. वह उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहता था. आज रितुल ने अपने प्रोमोशन मिलने की खुशी में एक छोटी सी पार्टी आयोजित की थी. उस में उस ने अपने सभी महिला और पुरुष मित्र आमंत्रित किए थे. यश, सचिन और नलिन तीनों ही बहुत खुश थे. तीनों को रितुल पर नाज था.
पार्टी जोरशोर से चल रही थी कि तभी यश रितुल के पास आ कर बोला, “रितुल, मेरी जिंदगी का हिस्सा बनोगी?”
रितुल हंसते हुए बोली,”यह क्या कह रहे हो तुम?”
यश बोला,”सीधी बात है, तुम्हें हमसफर बनाना चाहता हूं.”
रितुल प्यार से बोली,”यश, इस रिश्ते को दोस्ती तक ही रखो, किसी नाम में बांधने की कोशिश मत करो.”
यश आहत हो कर बोला,”आखिर क्यों?”
रितुल बोली,”क्योंकि मैं अभी तैयार नही हूं.”
यश व्यंग्य कसते हुए बोला,”हां, रोज नएनए स्वाद चखने की आदत जो पड़ गई है.”
रितुल बोली,”यश, मुझे पता था तुम्हारे अंदर अहम बहुत ज्यादा है. इसी कारण से मैं तुम्हारे साथ किसी रिश्ते में बंधना नहीं चाहती हूं. मेरी न ने तुम्हारा असली चेहरा उजागर कर दिया है. मैं लता की तरह किसी पुरुषरूपी वट से लिपटना नहीं चाहती हूं.
“मैं हूं, मैं थी और मैं रहूंगी, हर रिश्ते से ऊपर,” यह कह कर रितुल साङी लहराती नलिन की तरफ चली गई. यश को मलाल आ रहा था कि अपनी सोच के कारण उस ने एक अच्छे दोस्त के साथसाथ खूबसूरत रिश्ते का गला भी घोंट दिया है.