कोरोना के चलते पूरे भारत में लाॅक डाउन हो गया. जो रेल जहां खडी थी वहीं खड़ी रह गई. हर कोई सोच रहा था कि रेल देरी से चल रही है इसलिए खडी है, पर यह नहीं पता था कि रेल तो लाॅक डाउन की वजह से खड़ी है.

जो रेल अगले दिन दोपहर बाद अपनी मंजिल तक पहुंचने वाली थी, वह सुबह तक एक अनजाने स्टेशन पर खड़ी थी. जब आरपीएफ के तमाम जवान रेलगाड़ी खाली कराने आए तब पता चला कि अब यह रेल आगे नहीं जाएगी. प्लेटफार्म पर अफरातफरी का माहौल बन गया. लोग सोचने लगे कि अनजान जगह पर जाएं तो जाएं कहां.

तभी आरपीएफ के एक जवान ने कहा कि जहां जाना है जाओ, पर इस रेलगाड़ी को खाली करो. पूरे देश में लॉक डाउन हो गया है.

वहां असमंजस की स्थिति बन गई कि क्या किया जाए. हर कोई अपने घर या जानपहचान वालों को फोन पर इस बात की खबर दे रहा था. फोन की बैटरी खत्म होने की वजह से कई लोग तो खबर देने के लिए किसी दूसरे से मोबाइल मांगते नजर आए तो किसी ने अपना मोबाइल देते समय नाकभौं सिकोड़ी. ऐसे समय में कइयों ने तो अपना मोबाइल ही देने से मना कर दिया.

एक मुसाफिर ने किसी से मोबाइल मांग कर घर वालों को फोन किया. खबर सुनते ही घर वाले परेशान हो गए. वे इस बात पर जोर दे रहे थे कि तुम जल्दी घर आ जाओ. उन्हें इस से मतलब नहीं था कि किस साधन से आना है.

भीड़ में शामिल एक मुसाफिर अजय मदान प्लेटफार्म की सीढियां उतर रहा था, तभी सीढियों से ही बाहर का नजारा देख उस की आंखें फैल गई.

बाहर फुटपाथ पर लगे चायसमोसे बेचने वालों, छोलेकुलचे बेचने वालों को पुलिस जबरदस्ती धरपकड़ कर रही थी. पुलिस वाले हर किसी की दुकान बंद कराने पर आमादा थे. प्लेटफार्म के बाहर भी अफरातफरी का माहौल था. अंदर जाओ तो आरपीएफ की बटालियन भगा रही थी और बाहर भी पुलिस किसी की नहीं सुन रही थी. ऐसा लग रहा था मानो कर्फ्यू लग गया हो.

जब अजय ने मोबाइल से यह बात अपने घर वालों को बताई तो वहां कोहराम मच गया. बीवी अंजू ने तो रोनाचीखना चालू कर दिया कि अब आप कैसे आओगे?

अजय ने धैर्य का परिचय दिया और कहा कि रोओ मत. मैं जल्दी ही आने की कोशिश करता हूं, पर अब मेरे मोबाइल की बैटरी खत्म होने वाली है इसलिए ज्यादा देर तक बात नहीं कर पाऊंगा.

अजय आज लाॅक डाउन होने के कारण इस दिन को कोस रहा था, क्योंकि वह भी एक शादी समारोह कर के वापस लौट रहा था. पत्नी अंजू ने जोर देते हुए कहा तो मना न कर सका. उस समय उस की अक्ल भी घास चरने चली गई थी. उसे भी वही दिखाई दे रहा था, जो सब देख रहे थे.

शादी का माहौल था. हर कोई नाचगाने में मस्त. अजय को आया देख सभी के चेहरे खिल गए थे. रात के समय चुटकुलों का जो दौर चला, सभी ने अपनेअपने पेट पकड़ लिए.

अगले दिन शादी हो गई. लड़की विदा हो गई. और अजय ने भी उसी दिन रेल पकड़ ली. सबकुछ ठीक चल रहा था.

उम्मीद थी कि अगले दिन दोपहर 3-4 बजे तक वह घर पहुंच जाए, पर रेल तो किसी अनजान दूसरे स्टेशन पर ही खड़ी थी. छोटा सा स्टेशन था टूंडला. नाम भी बड़ा अजीब था. सुबह हो चुकी थी. सूरज चढ़ रहा था, पर अनजान जगह को देख अजय सकते में था. उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था.

21 दिन का लाॅक डाउन तो जैसेतैसे पूरा कर लिया, पर अब इस लाॅक डाउन को और ज्यादा बढ़ा दिया गया था. जेब में जो  पैसे थे, खत्म होने की कगार पर थे. फाकाकशी की नौबत आ गई थी. किसी तरह अपने जीने के लिए वह इधरउधर से रोटी का जुगाड़ करने लगा.

पढ़ालिखा होने के बावजूद भी अजय को सभी दुत्कारते. उस की तो मानो भिखारी जैसी स्थिति हो गई. पहले सड़क पर बांटने वाले मिल जाते थे तो वहां खा लेता, पर अब वहां भी सन्नाटा था. इस वजह से अजय को घरघर जा कर खाना मांगने की नौबत आ गई. भीख मांगते देख उसे रोना आ गया.

भीख मांगने के लिए अजय ने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो जानीपहचानी आवाज सुन कर हैरान रह गया. दरवाजा एक औरत ने खोला.

उसे देख अजय को पुरानी घटना याद आ गई. क्योंकि उस लड़की के पिता कभी शादी का प्रस्ताव ले कर उस के यहां आए थे और स्वयं भी वह उसे पसंद करता था, पर दहेज के लालच में मां ने यह रिश्ता ठुकरा दिया था और वह मूकदर्शक बना रहा. बाद में उसे अपनी लाचारी पर गुस्सा आया कि क्यों वह अपनी मां को समझा न सका.

वक्त ने आज फिर उसे लाचार अवस्था में ला खड़ा किया था. वह आत्मग्लानि से भर गया और वहां से तुरंत चला गया.

भूख से अजय के पेट की अंतड़ियां सूख रही थीं. उस में उठने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.

अचानक ही पुलिस की सायरन बजाती 10-20 गाड़ियां उधर से गुजरीं, जहां अजय पेट पकड़े किसी दुकान के चबूतरे पर लेटा हुआ था.

सायरन की आवाज अजय के कानों से गुजरती हुई जा रही थी. चबूतरे पर पड़ापड़ा अजय फटी आंखों से पुलिस को देख रहा था.

अजय के इस तरह देखने पर पुलिस ने अपनी जीप रोकी और वहां बैठने की वजह पूछी.

अजय ने सारा दिलेहाल बयां किया. पुलिस उसे थाने ले आई. उसे खाना खिलाया, फिर फोन कर पुलिस ने सचाई पता लगाई. सच पता चलने पर पुलिस ने उस की मदद करने की हामी भरी.

अजय के साथ पुलिस को घर आया देख सभी हैरान रह गए, वहीं अजय की हालत तो ऐसी हो गई मानो काटो तो खून नहीं. घर वाले भी अजय के हुलिए को देख पहचान नहीं पाए. जब अजय ने पूरी बात बताई तो सब की आंखों में आंसू झलक आए.

अजय की यह अनकही पीड़ भुलाए नहीं भूल रही. उस की दिमागी हालत डगमगा गई, पर सुकून है कि उसे उस का घर मिल गया.

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