अभी कुछ दिन पहले जब गोवा में अचानक हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी की नेता और ‘टिकटौक’ पर अपने डांस से लोगों को दीवाना बना देने वाली सोनाली फोगाट के मरने की खबर आई थी, तो लोगों को लगा था कि इतनी फिट औरत कैसे अचानक हार्ट अटैक से मर सकती है? पर सोनाली फोगाट के घर वालों को उन की मौत पर शक हुआ और उन की फरियाद पर पुलिस ने दोबारा छानबीन की. फिर कुछ ऐसा पता चला, जो सोनाली फोगाट की मौत में ट्विस्ट ले आया.

इस सिलसिले में पुलिस ने सुधीर सागवान और सुखविंदर सिंह नाम के

2 लोगों को धरा और उन पर इलजाम लगाया कि उन्होंने कथित तौर पर पानी में नशीली चीज मिलाई थी और 22 और 23 अगस्त, 2022 की रात को कर्लीज रैस्टोरैंट में एक पार्टी के दौरान सोनाली फोगाट को इसे पीने के लिए मजबूर किया था.

अभी यह मामला सुर्खियों में ही था कि हालिया बर्मिंघम कौमनवैल्थ गेम्स में कांसे का तमगा जीतने वाली हरियाणा की एक पहलवान पूजा सिहाग नांदल के पति अजय नांदल की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. वे रोहतक के मेहर सिंह अखाड़े के नजदीक कार में अपने 2 पहलवान दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे.

गांव गढ़ी बोहर के बाशिंदे बिजेंद्र नांदल के 30 साल के बेटे अजय नांदल भी पहलवान थे. उन्हें कुश्ती के आधार पर ही सीआईएसएफ में नौकरी मिली थी. वे शनिवार, 27 अगस्त, 2022 को ही नौकरी कर के घर लौटे थे और उसी शाम को अपने 2 साथी पहलवान रवि और सोनू के साथ कार में पार्टी कर रहे थे.

पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि उन तीनों ने कुछ ऐसा पी लिया था, जिस के बाद उन की तबीयत बिगड़ने लगी थी. इस के बाद वे कार ले कर देव कालोनी में बने मेहर सिंह अखाड़े के पास पहुंचे, जहां और ज्यादा तबीयत खराब होने पर वे निजी अस्पताल में गए, वहां अजय नांदल की मौत हो गई.

अजय नांदल के पिता बिजेंद्र किसान हैं, जबकि मां सुनीता घरेलू औरत हैं. अजय और पूजा ने 28 नवंबर, 2021 को ही लव मैरिज की थी, जिस में दोनों के परिवारों की रजामंदी थी.

खबरों की मानें, तो पुलिस को कार में सिरिंज मिली थी और नशे में ओवरडोज का शक जताया जा रहा था, जबकि अजय नांदल के पिता बिजेंद्र ने रवि पर अजय को नशे की ओवरडोज दे कर मारने का आरोप लगाया.

अजय नांदल या सोनाली फोगाट को किसी ने नशे की ओवरडोज दी या वे खुद नशे के आदी थे, इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. फर्क इस बात से पड़ता है कि वे दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं और उन के सगेसंबंधी सारी उम्र इस दर्द के साथ गुजारेंगे कि नशे ने उन के अपनों की जान ले ली.

ऐसा नहीं है कि इस तरह के कांड पहले नहीं हुए हैं या इन से पहले नामचीन लोगों का नाम नशे के साथ नहीं जुड़ा है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में संजय दत्त, प्रतीक बब्बर, रणबीर कपूर, फरदीन खान, हनी सिंह, पूजा भट्ट, मनीषा कोइराला के अलावा और भी न जाने कितने नाम हैं, जो अपनी नशे की लत के बारे में खुल कर बोल चुके हैं.

संजय दत्त ने ‘इवैंट ऐंड ऐंटरटेनमैंट मैनेजमैंट एसोसिएशन’ के एक सालाना सम्मेलन में खुद खुलासा किया था, ‘‘नशीली दवाओं के सेवन के बारे में कुछ ऐसा है कि अगर आप इन का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इन का इस्तेमाल करेंगे ही. एक बार जब आप इस की लत में पड़ जाते हैं, तो इसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है. दुनिया में कुछ भी इस से बुरा नहीं है. मैं तकरीबन 12 साल तक नशीली दवाओं का सेवन करता रहा.

‘‘दुनिया में ऐसी कोई ड्रग नहीं है, जिस का मैं ने सेवन न किया हो. जब मेरे पिता मुझे नशा मुक्ति के लिए अमेरिका ले गए, तो डाक्टर ने मुझे ड्रग्स की एक लिस्ट दी और मैं ने उस लिस्ट में लिखी हर ड्रग को टिक किया, क्योंकि मैं

उन सभी को पहले ही ले चुका था.

‘‘डाक्टर ने मेरे पिताजी से कहा था कि आप लोग भारत में किस तरह का खाना खाते हैं? इन्होंने जो ड्रग्स ली हैं, उन के मुताबिक इन्हें अब तक मर जाना चाहिए.’’

इसी तरह राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर ने अपने नशे की लत पर कहा, ‘‘मेरी ड्रग्स की वजह से मेरा बचपन अशांत रहा. लगातार अंदरूनी कलह की वजह से, मेरे सिर में आवाजें गूंजती रहती थीं. मैं खुद से सवाल करता था कि मैं कहां हूं. केवल 13 साल की उम्र में मैं ने पहली बार ड्रग्स ली और फिर लती हो गया.

‘‘ड्रग्स के बिना मेरा बिस्तर से उठना तकरीबन नामुमकिन था. तकरीबन हर सुबह मेरा जी मिचलाता था. मेरे शरीर में दर्द होता था. मुझे कभी गरमी तो कभी सर्दी लगती थी.

‘‘जब मेरे पास कोई पसंदीदा

ड्रग नहीं होती थी, तो मैं किसी

भी ड्रग्स को अपना बना

लेता. जबकि यह मेरे

लिए बहुत ही हानिकारक था.’’

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और राजनीतिक गलियारों में नशे से जुड़ी खबरों का जन्म लेना कोई नई बात नहीं है, पर अब खेल जगत में खासकर पहलवानी जैसे खेलों में ड्रग्स की ऐंट्री खतरे की घंटी है.

हरियाणा से लगते पंजाब में नशे ने जो कोहराम मचाया हुआ है, वह किसी सुबूत का मुहताज नहीं है. पंजाबी रैप सिंगर हनी सिंह भी इस बुराई से जूझ चुके हैं. पर हरियाणा के पहलवानों और दूसरे खिलाडि़यों में अगर ड्रग्स घुस चुकी है तो यह चिंता की बात है.

पर यह नशे की लत लोगों में बढ़ क्यों रही है? इस सिलसिले में लखनऊ की मांडवी पांडेय, जो ‘दार्जुव 9’ में इको एंटरप्रेन्योर हैं, ने बताया, ‘‘आज लोग वास्तविक जिंदगी से ज्यादा आभासी दुनिया में जी रहे हैं. उन का अपनों से मिलना कम हो चुका है. दुख और हैरत की बात है कि वर्चुअल दुनिया में लोगों को एकदूसरे से खुद को बेहतर दिखाने की होड़ लगी हुई है.

‘‘गांव हो या शहर, अब परिवार की भावना बिखर रही है. आभासी दुनिया के ‘लाइक ऐंड कमैंट’ पर दुनिया सिमटती जा रही है. इन्हीं सब से मानसिक अवसाद पैदा हो रहा है, जो लोगों को नशे की तरफ ले जा रहा है. यह खतरनाक है और इसीलिए आज नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने की बहुत जरूरत है. लोगों को अपने परिवार की अहमियत समझनी होगी. अकेलेपन से बचने का यह सब से कारगर तरीका है.’’

परिवार के साथसाथ यह अकेलापन किसी काम में रमने से भी कम किया जा सकता है, इसलिए काम का नशा कीजिए, जिंदगी जीने का उस से बढि़या कोई तरीका नहीं है.

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