आखिरकार कुंदन कुमार ने खुदकुशी कर ली. शायद इस बुजदिली के अलावा उसे कोई और रास्ता सूझ नहीं रहा था. जब अपने ही बेवफाई और बेईमानी करते हैं, तो एक समय के बाद नफरत खुद की बेबसी पर भी होने लगती है. फिर कुछ दिनों बाद जिंदगी बेमानी लगने लगती है. यही सब कई दिनों से कुंदन कुमार के साथ हो रहा था, जिस ने बीवी की बेवफाई और चाचा की मनमानी की सजा खुद को देते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. पटना बाजार इलाके के गांव कुरथौल के रहने वाले इस नौजवान की बीवी किसी जवान आशिक या पुराने यार के साथ नहीं,

बल्कि अपने ही चाचा ससुर जसवंत सिंह के साथ भाग गई थी. पीछे रह गए थे मां के लिए बिलखते 2 मासूम बच्चे और बीवी की इस हरकत पर कलपता कुंदन कुमार, जिस की दुनिया में अंधेरा छा गया था. 22 मई, 2022 को जहर खाने के पहले कुंदन कुमार इंसाफ पाने के लिए पुलिस थाने गया था, लेकिन वहां से भी उसे दुत्कार कर भगा दिया गया था. कुंदन कुमार की बीवी और चाचा में कब और कैसे जिस्मानी संबंध बन गए थे, इस की उसे भनक भी नहीं लगी. घर का बुजुर्ग होने के नाते गांव में ही रहने वाले जसवंत सिंह का घर में आनाजाना आम था.

कुंदन कुमार का माथा उस समय ठनका था, जब गांव के ही कुछ लोगों से उस ने इस बाबत सुना. पहले तो कुंदन कुमार को यकीन ही नहीं हुआ कि पिता समान चाचा अपनी बेटी समान बहू के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है और पत्नी की रजामंदी भी इस में है, पर जब यह सच निकला तो वह तिलमिला उठा. बेकार गया समझाना कुंदन कुमार ने बारीबारी से चाचा और पत्नी को समझाया कि यह ठीक नहीं है, रिश्तों की मानमर्यादा के खिलाफ है, लेकिन इश्क में गले तक डूबे इस बेमेल जोड़े के कानों पर जूं भी नहीं रेंगी. हद तो तब हो गई, जब टोकने पर जसवंत सिंह ने उसे जान से मारने की धमकी दे डाली. बात चूंकि पहले से फैल चुकी थी,

इसलिए कुंदन कुमार ने पुलिस की मदद लेनी चाही, पर वहां से भी निराशा ही हाथ लगी, तो दूसरे जो हकीकत में अपने थे, के गुनाह और गलती की सजा उस ने खुद को दे डाली. कुंदन कुमार की मौत के बाद गांव वालों ने पुलिस के निकम्मेपन और लापरवाही के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने उस की पत्नी और चाचा के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया. अफसोस और हैरत की बात तो यह भी थी कि जो लोग ‘हायहाय’ कर रहे थे, उन में से कुछ थाने से लौटते समय उस पर ताने भी कस रहे थे. बात बहुत जल्द आईगई हो गई, लेकिन कई सवाल अपने पीछे छोड़ गई है कि आखिर क्यों ससुरबहू में जिस्मानी संबंध बन जाते हैं और इस हद तक हो जाते हैं कि वे आपस में नए लड़केलड़कियों जैसा इश्क करने लगते हैं?

क्यों प्यार में डूबे ससुरबहू को दीनदुनिया, की परवाह नहीं रहती है? कहने को तो कहा जा सकता है कि ‘दिल तो है दिल, दिल का एतबार, क्या कीजे… आ गया जो किसी पे प्यार, क्या कीजे…’ लेकिन ऐसा प्यार क्या वाकई प्यार होता है और उसे जायज करार देना चाहिए, जो अपने ही बेटे की गृहस्थी पर डाका डाले? यही प्यार किसी की हत्या और खुदकुशी की वजह बन जाए और इस से किसी को कुछ हासिल न हो, तो इसे प्यार क्या खा कर कहा जाए. इसे सिर्फ सैक्स की हवस कह कर भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि एक बार समझाने या धमकाने पर हमबिस्तरी करने का सिलसिला रुकना मुमकिन है, लेकिन यह बात प्यार पर लागू नहीं होती,

जिस के चलते आशिक और माशूक वाकई अंधे हो जाते हैं और समझाइश के दायरे से काफी दूर हो चुके होते हैं. कत्ल ही कर दिया कुंदन कुमार की तरह की ही कहानी राजस्थान के अलवर के बहरोड़ इलाके के रहने वाले विक्रम सिंह की है, जिस की हत्या उस के पिता बलवंत सिंह और पत्नी पूजा ने मिल कर की थी. 5 मार्च, 2022 की रात के तकरीबन 3 बजे सैक्स के लिए तड़प रहा बलवंत सिंह अपने बेटेबहू के कमरे में गया और आहिस्ता से 29 साला पूजा को बुलाया, जो तुरंत चाबी भरी गुडि़या की तरह अपने 62 साल के ससुर के पीछेपीछे चल दी और ससुर के कमरे में पहुंचते ही उन दोनों ने रासलीला शुरू कर दी. लेकिन इस बार बेसब्र हो रहे ससुरबहू यह नहीं देख पाए कि विक्रम सिंह भी जाग गया है और दबे पैर उन के पीछे आ रहा है. पिता के कमरे का जो सीन विक्रम सिंह ने देखा, वह उस के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. पूजा और बलवंत सिंह सबकुछ भूलभाल कर एकदूसरे से इस तरह से लिपटे थे कि अब कभी एकदूसरे से अलग ही नहीं होंगे. विक्रम सिंह का खून खौला,

लेकिन अपनेआप को काबू करते हुए वह किसी तरह अपने कमरे में आ गया. अभी विक्रम सिंह सोच ही रहा था कि यह क्या हो रहा है और वह क्या करे, तभी बलवंत सिंह और पूजा आ गए. उन दोनों ने उसे जकड़ा और दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. इस के बाद अलवर के नामी कारोबारी बलवंत सिंह सुबह रोजाना की तरह सैर पर निकल गए, जिस से लोग उन्हें देख लें और पूजा भी घर के कामकाज में ऐसे लग गई मानो कुछ देर पहले उस ने पति को नहीं, बल्कि कान पर भिनभिनाते मच्छर को मारा हो. योजना के मुताबिक, उन दोनों ने फोन से जानपहचान वालों और नातेरिश्तेदारों को विक्रम सिंह की मौत की खबर देते हुए रोनेधोने का कामयाब ड्रामा किया.

इन की साजिश भी कामयाब हो जाती, लेकिन शव यात्रा में शामिल आए लोगों का माथा यह देख कर ठनका कि किसी को भी विक्रम सिंह का चेहरा नहीं दिखाया जा रहा है. यह बात चोर की दाढ़ी में तिनका सरीखी थी, क्योंकि मरने वाले के अंतिम दर्शन आम रिवाज है. शक होने पर पूजा के ही भाई ने पुलिस वालों को फोन कर दिया. छानबीन और पूछताछ में उन दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उजागर यह भी हुआ कि बलवंत सिंह की पत्नी की मौत 2 साल पहले हुई थी, तभी से इन दोनों में नाजायज संबंध बन गए थे. रईसों के इस घर में 64 लाख रुपए भी तिजोरी में रखे थे, जो बलवंत सिंह को एक जमीन बेचने के बाद मिले थे. मुमकिन है कि यह भारीभरकम नकदी भी इस वारदात की वजह रही हो. बलवंत सिंह जैसे विधुर बूढ़ों की सैक्स की भूख कैसे मिटे,

यह एक अलग बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन बहू को अपने जाल में फंसा कर इसे शांत किया जाए, तो अंत दुखद होना कुदरती बात है, क्योंकि कोई बेटा यह बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस के पिता और पत्नी आपस में सैक्स संबंध बनाते हुए उसे धोखा दें. प्यार या हवस कुंदन कुमार की मौत के बाद जितनी हैरानी कुरथौल गांव के लोगों को हुई थी, उतनी ही हैरानी अलवर शहर के लोगों को विक्रम सिंह की हत्या पर हुई थी. ऐसी खबरें, जिन में पूरा घर बरबाद हो जाता है, सोचने को मजबूर करती हैं कि आखिर यह प्यार था या हवस थी? देखा जाए, तो ऐसे संबंधों में दोनों ही चीजें बराबरी से रहती हैं. 1-2 बार ये संबंध भले ही लिहाज और दबाव में बनते हों, लेकिन फिर धीरेधीरे ससुरबहू दोनों को ही हमबिस्तरी की लत या आदत कुछ भी कह लें, पड़ जाती है और इस में उन्हें इतना मजा आने लगता है कि वे किसी अंजाम की परवाह नहीं करते हैं. यहां से पैदा होता है एक जुर्म,

फिर भले ही वह कुंदन कुमार की खुदकुशी हो या विक्रम सिंह की हत्या हो. ससुरबहू के नाजायज संबंध कभी हैरानी की बात नहीं रहे, कम से कम इस लिहाज से तो कतई नहीं कि ये एक मर्द और एक औरत के बीच कायम होते हैं, लेकिन चूंकि ये सभी के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं, इसलिए ससुरबहू को इन के अंजाम पर गौर करते हुए इन्हें पनपने ही नहीं देना चाहिए और अगर पनप चुके हों तो तुरंत इन पर लगाम लगा देनी चाहिए. एकांत के मौके इफरात से मिलते हैं और कोई आसानी से शक नहीं करता, पर इस का बेजा फायदा उठाना अकसर बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है. सच यह भी है कि पति के निकम्मे, आवारा, नशेड़ी, बेरोजगार, दब्बू या नामर्द होने पर ऐसे संबंधों के पनपने में सहूलियत रहती है. पत्नी को सैक्स की भूख मिटाने के लिए कहीं और नहीं ताकना पड़ता,

वह आसानी से ससुर से ही आशनाई कर बैठती है, लेकिन गलत आखिर गलत ही होता है, इस हकीकत से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. वह दौर और था, जब बचपन में बेटे की शादी हो जाती थी और ससुर की उम्र 35-40 साल होती थी. घर का मुखिया होने के नाते वह बहू से जोरजबरदस्ती करता भी था, तो किसी की हिम्मत उसे रोकनेटोकने की नहीं होती थी. लेकिन अब बहुतकुछ बदल जाने के बाद भी इन नाजायज ताल्लुकात का सिलसिला थम नहीं रहा है, तो जरूरत जागरूकता और समझ की है कि राज आज नहीं तो कल खुलना ही है और एक अपराध होना तय है, तो क्यों न अभी से संभला जाए. द्य ड्डनहीं बनना ससुर के बच्चे की मां ससुर अगर जोरजबरदस्ती करे, तो बहू ज्यादा विरोध नहीं कर पाती. ऐसा ही कुछ ग्वालियर के नजदीक मालनपुर की सुमित्रा (बदला हुआ नाम) के साथ हुआ. उत्तर प्रदेश के जालौन की सुमित्रा की शादी जून, 2021 में हुई थी. शुरू के कुछ दिन तो हंसीखुशी से बीते, लेकिन जल्द ही ससुर की नीयत उस की जवानी और खूबसूरती पर डोलने लगी.

13 फरवरी, 2022 को ससुर ने जबरदस्ती उस से शारीरिक संबंध बनाए, जिस से वह पेट से हो आई. यह बात उस ने घर वालों को बताई, तो बवंडर मच गया. अपनी गैरत बचाने और ससुर की हैवानियत उजागर करने के लिए सुमित्रा ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए आपबीती बताई व बच्चा गिराने की इजाजत मांगी. 22 मई, 2022 को कोर्ट ने उस से हलफनामा मांगा है कि वाकई उस के पेट में पल रहे बच्चे का पिता उस का ससुर है और अगर बच्चा ससुर का नहीं हुआ, तो उस पर ससुर की इज्जत पर कीचड़ उछालने और बच्चे की हत्या करने का मुकदमा चलाया जाएगा. हाईकोर्ट ने यह सख्ती इसलिए भी बरती है कि कुछ मामलों में बहुत सी औरतें नजदीकी रिश्ते के किसी मर्द पर ऐसे ही आरोप लगा कर बाद में मुकर गईं.

अब देखना दिलचस्प होगा कि सुमित्रा क्या करती है. वैसे, सटीक तरीका डीएनए टैस्ट का है, जिस से यह पता चल जाता है कि बच्चा किस का है. यह इसलिए भी जरूरी है कि कोई औरत झूठा हलफनामा भी दे सकती है. सुमित्रा जैसी बहुओं को चाहिए कि वे ससुर की जोरजबरदस्ती का समय रहते विरोध करें और तुरंत थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं. ससुरबहू ने की शादी हर मामले में यह जरूरी नहीं है कि बहू के साथ संबंध ससुर द्वारा उसे डराधमका कर, लालच दे कर या बहलाफुसला कर ही बनाए जाते हैं, बल्कि कई बार बहू खुद ससुर के प्यार में अंधी हो जाती है. ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला पिछले साल जून महीने में राजस्थान के अलवर में देखने में आया था, जब 52 साल के ससुर प्रभाती लाल ने अपनी 29 साल की बहू लाली देवी से शादी कर ली थी.

काम उन्होंने गुपचुप नहीं किया था, बल्कि पहले दिल्ली जा कर आर्य समाज मंदिर में सात फेरे लिए और फिर शादी रजिस्टर्ड कराने के लिए तीस हजारी कोर्ट भी गए थे. प्यार होने के बाद वे दोनों दिल्ली के द्वारका इलाके के सैक्टर-3 में जा कर किराए के मकान में बाकायदा मियांबीवी की तरह रहने लगे थे. उन्होंने समझदारी दिखाते हुए तमाम कानूनी एहतियात बरते थे. लाली देवी ने अलवर में ही अपने पति पर मारपीट का आरोप लगाते हुए उस से तलाक ले लिया था और बहू के प्यार में पड़े प्रभाती लाल ने भी अपनी बीवी को तलाक दे दिया था यानी शादी पर एतराज जताने की कोई वजह नहीं छोड़ी थी. दिलचस्प बात लाली देवी का 2 बच्चों की मां होना है. अब इस रिश्ते पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है. यह और बात है कि दादा प्रभाती लाल ही अपनी बहू लाली देवी के बच्चों का पिता बन गया है और वह अपने ही पति की मां बन गई है. बहू को जायज और कानूनी तौर पर पत्नी बनाने का देश का यह पहला उजागर मामला है.

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