छठी जमात में पढ़ने वाले महज 11 साल के एक लड़के सोनू कुमार ने बिहार राज्य में पढ़ाईलिखाई के इंतजाम और शराबबंदी की असलियत की पोल खोल दी है. हुआ यों कि कुछ समय पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पुश्तैनी गांव कल्याण बिगहा में अपनी पत्नी मंजू देवी की पुण्यतिथि पर आए थे. वे वहां ‘जनसंवाद’ में लोगों की समस्याएं सुन रहे थे. इसी बीच सोनू ने हाथ जोड़ कर रोते हुए नीतीश कुमार से फरियाद की,

‘मेरे पिता शराब पीते हैं. दही बेच कर लाए सारे पैसे शराब में बरबाद कर देते हैं. ‘‘मैं जो पढ़ा कर के पैसे लाता हूं, उन की भी पिता शराब पी जाते हैं. सरकारी स्कूल में टीचर कुछ भी नहीं पढ़ाते हैं. उन्हें अंगरेजी नहीं आती है, इसलिए मुझे अच्छे स्कूल में पढ़ना है.’’ बेहाल सरकारी स्कूल सरकारी स्कूलों में बच्चे मिडडे मील, स्कौलरशिप और वरदी के पैसे के लिए जा रहे हैं. मई महीने तक भी बच्चों को सरकारी स्कूलों में किताबें नहीं मिली थीं. पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बहाल किए गए टीचर पढ़ा नहीं पाते हैं. ऐसे भी टीचर बहाल हैं, जो मुश्किल से अपनी हाजिरी बनाते हैं.

पंचायत प्रतिनिधियों ने दूसरों से घूस ले कर या फिर अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को बतौर टीचर बहाल कर दिया है. दबंग पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बहाल किए गए इन टीचरों की मनमानी पर सरकारी महकमे के पदाधिकारी भी लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं. शराबबंदी पर निशाना सोनू ने बेबाकी से बोल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बोलती बंद कर दी है. सचाई यही है कि बिहार में गैरकानूनी शराब दोगुनेतिगुने दाम पर मिल रही है. देशी जहरीली शराब से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं. आएदिन जहरीली शराब के पीने से मौतें होने का सिलसिला जारी है.

मदद का हाथ बढ़ाया सोनू को पढ़ाने के लिए राज्यसभा सांसद और बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके सुशील कुमार मोदी, सांसद रह चुके पप्पू यादव, फिल्म दुनिया के सितारे सोनू सूद समेत दर्जनों लोगों ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है, पर वहां की पढ़ाईलिखाई में सुधार कैसे हो, ताकि बिहार के सोनू जैसे लाखों बच्चों को बेहतर तालीम मिल सके, इस के लिए जोरदार आवाज नहीं उठाई जा रही है. राष्ट्रीय जनता दल के नेता सत्येंद्र यादव का कहना है कि सोनू जैसे बिहार में हजारों मेधावी बच्चे हैं,

जो ट्यूशन पढ़ा कर, सब्जी बेच कर, फुटपाथ पर तरहतरह का सामान बेच कर अपने परिवार को पैसे की मदद करते हुए पढ़ाई कर रहे हैं. इन बच्चों को अगर बेहतर तालीम दी जाए, तो उन की तरक्की के साथसाथ इस राज्य की भी तरक्की होगी. लेकिन अफसोस की बात है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर और क्वालिटी की पढ़ाईलिखाई के लिए पहल नहीं की जा रही है.

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