सिद्धार्थ और प्रीति में आज फिर तूतू मैंमैं हो गई थी. ये इस घर की दरोदीवार के लिए कोई नई बात नहीं थी. दूसरे कमरे में सिद्धार्थ के मम्मीपापा और बड़ी बहन प्रगति चुपचाप बैठे हुए, ना चाहते हुए भी इस तमाशे का हिस्सा बने हुए थे.

सिद्धार्थ की मम्मी वीनू बोलीं, ‘‘ना जाने किस घड़ी में इस महारानी से शादी हुई थी. एक दिन भी मेरा बेटा सुकून की सांस नहीं ले सकता है.‘‘

बहन प्रगति बोली, ‘‘मम्मी तब तो सिद्धार्थ की आंखों में प्रीति की खूबसूरती और प्यार की पट्टी बंधी हुई थी. सच बात तो यह है, जो लड़की अपने मम्मीपापा की ना हुई, वह क्या किसी की होगी?‘‘

तभी भड़ाक से दरवाजा खुला और प्रीति मुंह फुलाए घर से बाहर निकल गई. क्याक्या सपने संजो कर उस ने शादी की थी, पर विवाह के पहले ही साल में रोमांस उन की शादी से काफूर हो गया था, जब प्रीति की बड़ी ननद प्रगति अपने पति का घर छोड़ कर आ गई थी.

प्रीति और सिद्धार्थ की हंसीठिठोली, छेड़छाड़ ना तो प्रगति को और ना ही वीनू को भाती थी. प्रीति क्या करे, उस के तो रिश्ते की अभी शुरुआत ही थी. पर प्रगति की खराब शादी, उन के प्रेमविवाह पर भारी पड़ती जा रही थी.
देखते ही देखते सारे प्यार के वादे शिकायतों में बदल गए थे. रहीसही कसर सिद्धार्थ की नौकरी जाने के बाद हो गई थी. सिद्धार्थ तो नौकरी जाने के कारण वैसे ही हताश हो गया था. साथ ही, घर पर बैठेबैठे वह रातदिन नकारात्मक विचारों से घिरा रहता था.

प्रीति अपने दफ्तर चली जाती थी, तो प्रगति ना जाने क्याक्या जहर सिद्धार्थ के जेहन में भरती रहती थी.
सिद्धार्थ को भी ये ही लगने लगा था कि प्रीति को लगता है कि वह उस के टुकड़े पर पल रहा है. अब वह भी प्रीति को कहता, ‘‘घर के काम को तो तुम हाथ भी नहीं लगाती हो? मेरी मम्मी और बहन तुम्हारी नौकरानी नही हैं.‘‘

अब प्रीति ने बस ये किया कि अपना खाना खुद बनाना शुरू कर दिया था. रातदिन की किचकिच से प्रीति तंग आ गई थी. उसे समझ आ गया था कि उस से एक गलत फैसला हो गया है. पर वह आज की व्यावहारिक लड़की थी, रोने के बजाय उस ने ऐसे रिश्ते से अलग होने का निर्णय ले लिया था. इसलिए प्रीति ने अपने दफ्तर के पास ही एक छोटा सा फ्लैट किराए पर ले लिया था.

जैसे ही प्रीति ने अलग घर में शिफ्ट होने की बात की, तो सिद्धार्थ के चेहरे पर आए राहत के भाव उस से छिपे ना रह सके. प्रीति थोड़ी सी आहत हो गई थी. उधर सिद्धार्थ की मम्मी को भी इस बार अपनी पसंद की लड़की लाने का मौका मिल गया था.

प्रीति के घर छोड़ने के एक हफ्ते बाद ही सिद्धार्थ की नौकरी लग गई थी. सिद्धार्थ की मम्मी ने खुश होते हुए कहा, ‘‘बेटा देखा तुम दोनों एकदूसरे के लिए बने ही नहीं थे. उस के जिंदगी से निकलते ही तुम्हारी नौकरी भी लग गई है.‘‘

प्रीति के घर छोड़ने के बाद सिद्धार्थ की जिंदगी सूनी, मगर शांत हो गई थी. उधर प्रीति की जिंदगी मे मयंक एक ठंडी हवा के झोंके की तरह ना जाने कहां से आ गया था. दोनों की मुलाकात एक कौमन फ्रैंड के यहां हुई थी. मयंक की शादी तो नहीं हुई थी, पर उस का दिल बहुत बुरी तरह टूटा हुआ था.

दोनों को धीरेधीरे एकदूजे का साथ भाने लगा था.
मयंक और प्रीति को साथ घूमतेफिरते देख कर, प्रीति की भाभी ने ही पहल की और प्रीति से कहा, ‘‘प्रीति, जब तुम्हें सिद्धार्थ के पास वापस नहीं जाना है तो उस रिश्ते को खत्म कर के ही आने वाली जिंदगी का स्वागत करो.‘‘

प्रीति सवालिया नजरों से भाभी से बोली, ‘‘भाभी, अगर इस बार भी मेरा चुनाव गलत निकला तो…?‘‘

भाभी बोली, ‘‘प्रीति, अगर तुम्हें सिद्धार्थ के पास वापस नहीं जाना है, तो क्यों ना उस रिश्ते से नजात पा लो.‘‘

प्रीति को भी भाभी की बात सही लगी. सिद्धार्थ के पास एक प्रेमी के रूप में दम तो था, पर पति के रूप में उस के पास रीढ़ की हड्डी नहीं थी. चाहे वह अकेली रहे, पर उस के पास वापस नहीं जाएगी.

मयंक प्रीति के फैसले को सुन कर खुश हो गया और बोला, ‘‘सोच तो मैं भी रहा था, पर फिर लगा कि हो सकता है, तुम उस रिश्ते को फिर से चांस देना चाहती हो, इसलिए चुप लगा गया.‘‘

सिद्धार्थ का परिवार भी लगातार उस पर तलाक लेने के लिए दबाव बना रहा था, पर सिद्धार्थ को समझ नहीं आ रहा था कि बात को मुद्दा बना कर प्रीति से डाइवोर्स ले.

उधर, सिद्धार्थ के परिवार ने पूरे जोरशोर से उस की दूसरी शादी की तैयारी शुरू कर दी थी. उन के अनुसार प्रीति अब उस की जिंदगी का बंद अध्याय है. सिद्धार्थ भी जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहता था, इसलिए अपने दोस्त की सलाह पर वकील से मशवरा करने पहुंच गया था.

वकील कमलकांत 50 साल के अनुभवी वकील थे. सिद्धार्थ की बात सुन कर वे हंसते हुए बोले, ‘‘मसला भी क्या है… मसला तो कुछ खास नहीं है बरखुरदार. वैसे भी बिना किसी ठोस वजह के हमारे देश में तलाक नहीं होते हैं.‘‘

सिद्धार्थ बोला, ‘‘वकील साहब, कोई तो हल होगा.‘‘

वकील साहब बोले, ‘‘आपसी सहमति से तलाक हो सकता है या फिर कोई ऐसे सुबूत जुटाने पड़ेंगे, जो तुम्हारी पत्नी के खिलाफ इस्तेमाल कर सके.‘‘

सिद्धार्थ ये सब सोच ही रहा था कि प्रीति के वकील का तलाक का नोटिस आ गया. सिद्धार्थ ने चैन की सांस ली.

भले ही प्रीति उस की जिंदगी का हिस्सा नहीं थी, पर फिर भी वह कोई ऐसी बात नहीं करना चाहता था, जिस से प्रीति के आत्मसम्मान को ठेस लगे.

सिद्धार्थ के परिवार ने लड़की देखनी भी शुरू कर दी थी. उधर प्रीति ने भी नए घर के सपने सजाने शुरू कर दिए थे. दोनों ही पक्ष के वकीलों ने पूरी तसल्ली दी थी कि पहली ही तारीख में मामला हल हो जाएगा.

सिद्धार्थ ने अपने वकील को इस बात के लिए अच्छीखासी रकम दी थी. उधर प्रीति के वकील ने भी अपनी जेब गरम कर रखी थी.

पहली तारीख आई, परंतु जज नहीं बैठा और वह तारीख ऐसे ही चली गई. अब दूसरी तारीख पूरे 2 माह बाद की पड़ी थी. प्रीति को लगा था कि पहली तारीख पर जब कुछ हुआ ही नहीं, तो वकील को दोबारा फीस नहीं देनी पड़ेगी, परंतु वकील ने खींसे निपोरते हुए कहा, ‘‘मैडम, अपना बड़ा केस छोड़ कर, आप की समस्या को देखते हुए आप को डेट दिया हूं.‘‘

प्रीति ने फिर से 10,000 रुपए दिए. हालांकि उसे इस बार पैसा देना बहुत खल रहा था.

प्रीति और सिद्धार्थ पिछले 4 घंटे से प्रतीक्षा कर रहे थे. 4 घंटे बाद उन का नंबर आया, मगर जज ने फैसला नहीं सुनाया और आगे की तारीख दे दी थी.

जज ने अब 4 महीने बाद की नई तारीख दे दी थी. आज प्रीति और सिद्धार्थ दोनों ही बहुत हताश हो गए थे.

जब सिद्धार्थ घर पहुंचा, तो उस की मम्मी बोलीं, ‘‘अरे, कुछ लेदे कर एक महीने बाद की तारीख ले लो… आज ही तो तुम्हारी शादी की तारीख निकलवा कर आई हूं पंडितजी से.‘‘

उधर मयंक आतुर हो कर बोला, ‘‘प्रीति, घर वाले रातदिन शादी के लिए दबाव बना रहे हैं. अब कब तक बहाने बनाता रहूं?‘‘

उधर सिद्धार्थ ने इधरउधर से जज से जानपहचान निकलवानी शुरू कर दी थी. इस चक्कर में दलालों की जेब भी गरम करनी पड़ रही थी.

उधर मयंक और प्रीति भी दौड़धूप कर रहे थे. दोनों ही पक्ष जल्द से जल्द इस रिश्ते से छुटकारा चाहते थे, पर कानून के मसले भी अजीब थे.

4 माह में चक्कर काटकाट कर प्रीति और सिद्धार्थ दोनों के होश फाख्ता हो गए थे.

प्रीति तो एक दिन बोल भी उठी, ‘‘अगर मुझे पता होता कि आपसी सहमति से तलाक लेने में भी इतने झंझट हैं, तो मैं कभी ऐसा कदम नहीं उठाती.‘‘

मयंक प्रीति की बात सुन कर गुस्से में बोला, ‘‘मतलब, मैं ही बेवकूफ हूं.‘‘

सिद्धार्थ की मम्मी ने किसी तरह से शादी की तारीख आगे बढ़वा दी थी और उधर मयंक ने भी अपने परिवार से बस 4 महीने का समय मांगा था.

आज दोनों ही पक्ष को अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी थी. दोनों वकील की जिरह सुनने के पश्चात जज महोदय बोले, ‘‘अगर ऐसी छोटीछोटी बातों पर विवाह टूटने लगे, तो वैवाहिक संस्था से लोगों का विश्वास ही उठ जाएगा.‘‘

फैसला आ गया था. दोनों को एकसाथ 6 माह तक एकसाथ रहने की सलाह दी गई थी. अगर 6 माह बाद भी विचार नहीं मिलते, तो फिर इस पर विचार किया जाएगा.

जज महोदय बोले, ‘‘अब आप लोग अपने घर जा कर दोबारा से नई शुरुआत करें.‘‘

प्रीति और सिद्धार्थ दोनों ही सोच रहे थे कि वो जिंदगी में इतना आगे बढ़ चुके हैं कि अब कौन से घर जाएं?
वह घर, जो कानून की बैसाखियों के सहारे लड़खड़ा रहा है या वह घर, जो अब इस फैसले के पश्चात बसने से पहले ही उजड़ गया था.

दूर कहीं से आवाज आ रही थी, ‘‘चलो खुसरो घर अपने.‘‘

दोनों ही जन उस दोराहे पर खड़े थे, जहां से उन्हें आगे जाने की राह ही नहीं सूझ रही थी.

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