जयपुर पुलिस 23 फरवरी, 2022 को रोशनी नाम की युवती की हत्या के मामले में 28 वर्षीय विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू की तलाश कर रही थी. वह करघनी के आर्मी नगर मोहल्ले में एक किराए के मकान में विक्रम के साथ लिवइन रिलेशन में रह रही थी. उस की मौत की खबर सुनने के बाद से ही विक्रम फरार हो गया था. पुलिस को उसे दबोचने मे काफी पापड़ बेलने पड़े थे.
मोबाइल नंबर से उस की जो लोकेशन मिलती, पुलिस जब वहां पहुंचती तो पुलिस के पहुंचने के पहले विक्रम वहां से फरार हो जाता था. काफी मशक्कत के बाद आखिर डेढ़ महीने बाद 8 अप्रैल को उसे अलवर जिले के कठुमर से गिरफ्तार कर लिया. उस वक्त वह उस इलाके के टपूकड़ा में एक दंपति के घर पर ठहरा हुआ था.
जयपुर के करघना थाने की पुलिस टीम उसे अपने थाने ले आई. उस से गहन पूछताछ हुई. पूछताछ में उस ने न केवल 26 वर्षीया रोशनी की हत्या की बात कुबूल कर ली, बल्कि ग्वालियर से जुड़े हत्याकांड और गैंगरेप में शामिल होने की भी बात स्वीकार की. इस के अलावा उस ने झांसा दे कर झूठे प्रेम में लड़कियों को फंसाने के चौंकाने वाले कई खुलासे भी किए.
उस के बाद विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू के कुख्यात कारनामों की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह काफी हैरान करने वाली निकली, जिस की शुरुआत 7 साल पहले तभी से हो गई थी, जब उस ने घरबार छोड़ दिया था.
आजादखयाल और बेफिक्री की मौजमस्ती जैसी जिंदगी के शौक के अलावा उस की एक कमजोरी सैक्स की चाहत थी. उस की बुरी आदतें दिनप्रतिदिन बढ़ती चली गईं.
बात अक्तूबर 2021 की है. विक्रम मानसरोवर, जयपुर के एक होटल में ठहरा हुआ था. शाम होने पर कमरे से बाहर सजसंवर कर निकला. रिसैप्शन पर आ कर रूम की चाबी देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया. काउंटर पर बैठी लड़की अपना सिर उठाते ही बिंदास बोल पड़ी, ‘‘क्या गजब का तेज परफ्यूम है!’’
‘‘अच्छा नहीं है?’’ विक्रम मुसकराते हुए बोला.
‘‘मैं खराब तो नहीं बोली,’’ लड़की ने तुरंत जवाब दिया.
‘‘बड़ी हाजिरजवाब हो. यहां की ड्यूटी है क्या? जो सुबह बैठे थे वह कहां गए?’’ विक्रम ने पूछा.
‘‘अच्छा तो मैनेजर साहब, अभी आने वाले हैं. मुझे यहां बैठा दिया और 2 मिनट में आता हूं बोल कर पास में ही गए हैं,’’ लड़की बोली.
‘‘बैठा दिया… इस का मतलब?’’ विक्रम ने सवाल किया.
‘‘मैं यहां की स्टाफ नहीं हूं. लीजिए वह आ गए,’’ लड़की बोली और काउंटर से बाहर निकल आई. अपना छोटा सा बैग उठाया और कमर लचकाती हुई तेजी से रिसैप्शन से बाहर निकल गई.
‘‘गजब की लड़की है, कुछ तो बोलती बताती. मेरे पीछे कौन आया, क्या हुआ?’’ मैनेजर अपने आप से बोल पड़ा.
‘‘बड़ी तेज लगती है.’’
‘‘ऐसा ही समझ लीजिए. आज के वाट्सऐप इंस्टाग्राम के जमाने की है. 2 दिन से नौकरी मांग रही है. एक बात बताऊं, आप की परफ्यूम बड़ी अच्छी है. किसी को भी अपनी ओर खींच लेने वाली है. धांसू.’’ मैनेजर बोला.
‘‘लेकिन उस लड़की को तो इतनी तीखी लगी कि वह तेजी से भाग गई,’’ विक्रम मजाकिया अंदाज में बोला.
‘‘अच्छा उसे छोडि़ए साहब, मेरे लायक कोई और सेवा हो तो बताइए.’’ मैनेजर बोला.
‘‘एक सेवा तो चाहिए आप की, यदि आप करवा सकें तो… उस के बगैर मेरी रात ही नहीं कटेगी,’’ विक्रम बोला.
‘‘बताइए तो सही,’’ मैनेजर छूटते ही बोला.
विक्रम अपना मुंह मैनेजर के कान के पास ले जा कर बोला, ‘‘आज रात के लिए कोई इंतजाम हो जाएगा क्या? एकदम उसी जैसी छमकती हुई देसी, जैसी यहां से गई.’’ विक्रम बोला.
‘‘मैं समझ गया साहब, आप फौजी हो न! हो जाएगा, बेफिक्र रहिए.’’
‘‘जो लगेगा बता दो, अभी ट्रांसफर कर देता हूं.’’ विक्रम बोला.
‘‘आप अभी जहां जा रहे हैं, वहां से हो आइए. रात के ठीक 9 बजे आप के कमरे में होगी 3 से 4 घंटे के लिए.’’ मैनेजर ने बोलते हुए अपने मोबाइल पर 2000 टाइप कर स्क्रीन विक्रम की आंखों के सामने कर दी.
‘‘ओके, तुम तो बहुत समझदार निकले. हो जाएगा. कहां ट्रांसफर करना है, उस का नंबर बता दो.’’ विक्रम बोला.
‘‘ठीक है,’’ मैनेजर के आश्वासन मिलने के बाद विक्रम ने काउंटर पर से अपना मोबाइल ले कर जेब में रखा और गेट से बाहर हो गया.
रात के करीब सवा 9 बज चुके थे. विक्रम बड़ी बेसब्री में था. मैनेजर के आश्वासन के इंतजार का पलपल काटे नहीं कट रहा था. बारबार टीवी का चैनल बदल रहा था. उस ने सोचा जा कर नीचे मैनेजर से मिला जाए या फिर इंटरकौम से बात की जाए.
कुछ सेकेंड रुक कर उस ने इंटरकौम की ओर अपना हाथ बढ़ाया ही था कि रूम की बैल बज उठी. वो तुरंत बोल पड़ा, ‘‘खुला है. आ जाओ.’’
दरवाजा खुलते ही एक लड़की ने अंगरेजी में कहा, ‘‘मैं अंदर आ जाऊं, मैनेजर साहब ने भेजा है.’’
‘‘अरे तुम? तुम तो वही हो, जो…’’ विक्रम फटीफटी आंखों से लड़की को देखते हुए सहसा बोल पड़ा.
‘‘हां, तुम भी तो वही हो…परफ्यूम वाले.’’
‘‘तुम तो छिपी रूस्तम निकली. तो तुम कालगर्ल हो?’’ विक्रम बोला.
‘‘हूं नहीं, मजबूरी में बनना पड़ा है. क्या करूं?’’ लड़की बोली.
इस तरह दोनों के बीच बातें होने लगीं. कुछ समय में ही दोनों दोस्त बन गए. बातोंबातों में लड़की ने अपना नाम रोशनी बताया. उस ने यह भी बताया उस ने यह कदम मजबूरी में उठाया है.
विक्रम उस का दूसरा ग्राहक है. वह जेल में बंद अपने पिता को बाहर निकालने के लिए पैसा जमा कर रही है, ताकि मुकदमा जीत सके.
विक्रम को रोशनी के दिल की बातें चुभ गईं. दोनों पूरी रात कमरे में रहे. उन की नींद सुबह मैनेजर की काल से खुली. बांहों में समाई रोशनी को विक्रम ने खुद से अलग किया. रोशनी हड़बड़ाती हुई उठी. कलाई घड़ी देखी, ‘‘अरे, सुबह के 6 बज गए!’’
रोशनी ने 5-7 मिनट में ही फटाफट कपड़े पहने, अपना मेकअप ठीक किया. बैग उठा कर चलने लगी. विक्रम ने उसे गले लगा लिया. चूमता हुआ बोला, ‘‘वादा करो, आज के बाद से यह काम नहीं. हम लोग साथ रहेंगे. तुम्हारी समस्या मेरी समस्या है. हम लोग मिल कर उसे दूर करेंगे. मैं आर्मी का आदमी हूं. जो कहता हूं करता हूं.’’
‘‘इस के लिए पहले तुम्हें मेरे घर चलना होगा,’’ रोशनी बोली.
‘‘कोई बात नहीं मैं पक्का 8 बजे होटल छोड़ दूंगा. तुम अपने घर का एड्रैस मुझे दो, मैं वहां मिलता हूं,’’ विक्रम ने कहा.
‘‘मेरा एड्रैस फिलहाल जयपुर का बस अड्डा है. हमें हरदोई जाना होगा. कपड़ेलत्ते इसी होटल के एक कमरे में हैं. वह जा कर ले लेती हूं. यहां से साथ चलेंगे.’’
दोनों उसी रोज जयपुर से हरदोई के लिए रवाना हो गए. देर रात तक दोनों हरदोई पहुंच गए. रोशनी ने अपने घर वालों से विक्रम का परिचय एक इनकम टैक्स इंसपेक्टर के रूप में करवाया. उस ने बताया कि पिता को जेल से छुड़वाने में यह मदद करेंगे. साथ ही उस ने यह भी बताया कि पिता के छूटने के बाद वह उस से शादी कर लेगी.
रोशनी के घर वालों ने विक्रम की खूब आवभगत की. उस की मां खुश थी कि उन्हें घर बैठे अच्छी नौकरी करने वाला दामाद मिल गया. विक्रम ने जब देखा कि हवा उस की ओर बह रही है, तब उस ने कोर्टमुकदमे के खर्च के नाम पर कुछ कैश और लाखों रुपए के गहने ले लिए.
अगले रोज दोनों चंडीगढ़ और अन्य शहर होते हुए जयपुर आ गए. वहां उन्होंने आर्मीनगर में थानेदार राजेंद्र यादव के मकान में पहली मंजिल पर एक कमरा किराए पर ले लिया. उन्होंने मकान मालिक को स्पष्ट बता दिया कि वे लिवइन रिलेशन में हैं. उन की शादी तय हो चुकी है. कोर्ट का मामला निपटने तक रहेंगे.
कुछ दिनों में ही उन के बीच खटपट होने लगी. दरअसल विक्रम सैक्स का एडिक्ट था. वह सैक्स के दरम्यान रोशनी को यातनाएं दिया करता था. इसे ले कर रोशनी परेशान रहने लगी थी.
इस कारण उस का ध्यान रोशनी के पिता संबंधी काम से हट गया था. पैसा खत्म होने पर विक्रम उस पर घर से और पैसे मंगवाने की जिद करने लगा था.
तब तक रोशनी को भी उस की असलियत मालूम हो गई थी. इसे ले कर वह पुलिस में शिकायत करने की धमकी भी दे चुकी थी.
रात में उन के बीच इन्हीं सब के लिए बहस हो जाती थी. उसी दौरान एक रोज रोशनी ने कह दिया कि उस के साथ रातें गुजारने से तो अच्छा है दूसरे मर्दों के साथ रातें गुजारे, उन लोगों से पैसा तो मिलेगा.
यह बात 22 फरवरी, 2022 की थी. रोशनी के मुंह से कालगर्ल बनने की बात सुन कर विक्रम आगबबूला हो गया था और उस ने उसी रात तकिए से मुंह दबा दिया. जब वह बेसुध हो गई तब उस ने चुन्नी से उस का गला घोट दिया. उस की हत्या करने के बाद वह उस पर कंबल ओढ़ा कर फरार हो गया. यह सब घटना 15 दिनों में ही हो गई.
अगले रोज सुबह यादव के परिवार वालों ने रोशनी को मृत पाया. इस की सूचना उन्होंने करघनी थाने के प्रभारी बनवारी लाल मीणा को दी. यादव भी उसी थाने में एसआई थे. मामला तुरंत उच्च अधिकारियों तक जा पहुंचा.
यादव ने विक्रम को फोन कर रोशनी के मृत पाए जाने की जानकारी दी. उस ने तुरंत थाने आने की बात तो की, लेकिन वह नहीं आया और उस ने अपना फोन भी स्विच्ड औफ कर लिया.
विक्रम ने इस मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी. लेकिन फोरैंसिक जांच टीम ने पहली ही नजर में इसे हत्या करार दिया था. शिनाख्त के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. उस के बाद हत्यारे की तलाश की जाने लगी.
विक्रम के लापता होने पर सौ फीसदी संदेह उस पर ही था. किंतु उस का मोबाइल बंद होने से उस की ट्रैसिंग नहीं हो पा रही थी. संयोग से यादव ने कमरा किराए पर देने के समय उस की और मृतका की पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं करवाई थी.
लाश बरामदगी वाले कमरे में उन के कुछ कागजात में रोशनी और विक्रम के घर का पता मिल गया था. जांच टीम ने रोशनी के घर वालों को हरदोई से बुला कर उन्हें लाश सौंप दी.
पुलिस की एक टीम विक्रम की तलाशी के लिए उस के पैतृक स्थान दौसा जिलांतर्गत धर्मपुरा गांव भेजी गई. वहां विक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.
गांव के लोगों से मालूम हुआ कि वह कई सालों से गांव नहीं आया था. उस के बाद पुलिस ने विक्रम के मोबाइल नंबर को सर्विलांस में लगा दिया गया.
रोशनी के बारे में पुलिस को पता चला कि उस के पिता जयपुर जेल में हत्या के आरोप में बंद थे. जबकि रोशनी 4 सालों से जयपुर की एक स्पा में काम कर रही थी.
उस के घर वालों ने बताया कि विक्रम जब उस के घर आया था, तब उस ने खुद को बड़ेबड़े अधिकारियों तक पहुंच होने की बात बताई थी.
घर वाले उस की बातों में आ गए थे और उस ने जैसा कहा वैसा किया था. यही नहीं विक्रम ने रोशनी के पिता को जेल से रिहा करवाने का दावा किया था. इस के लिए मोटी रकम खर्च करने की बात की थी. इसी आश्वासन पर उस ने एक लाख रुपए कैश और करीब 5 लाख रुपए के जेवर ले लिए थे.
विक्रम के बारे में तहकीकात में मालूम हुआ कि वह कुछ दिनों तक चंडीगढ़ में प्राइवेट नौकरी करता था. उस की कदकाठी अच्छी थी. लंबा कद और गठा हुआ शरीर होने का फायदा उठाता था.
उस ने फौजी कट बाल कटवा रखे थे, जिस से लोग उसे सेना का जवान समझ लेते थे. बातें करने में माहिर और मिलनसार प्रवृत्ति का था. रौबरुतबे से वह किसी को भी बड़ी आसानी से अपने झांसे में ले लेता था.
रोशनी की मौत के एक माह बाद भी जयपुर पुलिस विक्रम को अपने कब्जे में नहीं ले पाई थी. जबकि उस की तलाश में दिल्ली, सीकर, अलवर, दौसा के अलावा कई छोटीबड़ी जगहों पर पुलिस छानबीन कर चुकी थी.
आखिर में उस की गिरफ्तारी सर्विलांस में लगे उस के मोबाइल फोन नंबर से ही हुई. उस आधार पर अनवर जिले के वह टपूकड़ा में एक दंपति के घर से पकड़ा गया था.
उस की गिरफ्तारी के बाद जयपुर पुलिस ने राहत की सांस ली थी. डीसीपी (वेस्ट) ऋचा तोमर, एडिशनल डीसीपी जयपुर (वेस्ट) राम सिंह शेखावत, एसीपी (झोवाड़ा) प्रमोद कुमार स्वामी और करघनी थाने के प्रभारी बनवारी लाल मीणा ने विक्रम बैरवा से कड़ी पूछताछ की.
इसी सिलसिले में रोशनी की हत्या के जुर्म के अलावा 2 अन्य वारदातों का भी राज सामने आ गया.
एक मामला अलवर का था. साल 2019 में विक्रम ने 2 दोस्तों के साथ मिल कर एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर लिया था. इस की रिपोर्ट अलवर के सदर थाने में दर्ज है. उस के साथ उस ने गैंगरेप किया था. उस मामले में भी वह फरार चल रहा था.
इस से भी खतरनाक एक मामला गुजरात की पूजा शर्मा के साथ का था. उस के बारे में थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार विक्रम ने उस का 4 अप्रैल को अपहरण कर ग्वालियर ले गया था.
इस में पूजा के प्रेमी संजय ने भी साथ दिया था. दोनों ने उस का सामूहिक बलात्कार कर हत्या कर दी थी. पूजा की भी गला घोट कर हत्या की गई थी.
उस के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए ग्वालियर में रेलवे की पटरी पर डाल दिया था. उस ने पूजा की मौत को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की थी. इस में वह बच निकला था, लेकिन रोशनी के मामले में नहीं बच पाया.
ठीक इसी तरह से विक्रम जिस लड़की की चाहत को दिल और दिमाग में बिठा लेता था, उसे हासिल कर के छोड़ता था. चाहे लड़की स्टूडेंट हो, घरेलू महिला हो, कालगर्ल हो या फिर नौकरीपेशा क्यों न हो. वह सैक्स का भूखा इंसान था.
इस तरह विक्रम ने मुंबई, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अलगअलग जगहों पर रह कर प्राइवेट काम किया और 50 से अधिक लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा चुका था.
यह अलग बात है कि उन में अधिकतर सैक्स वर्कर थीं. उन से वह न केवल सैक्स संबंध बनाता था, बल्कि पैसे भी ऐंठता था. कथा लिखे जाने तक विक्रम बैरवा उर्फ मिंटू से ग्वालियर और अलवर पुलिस पूछताछ कर रही थी.