ऐक्टिंग को अपना सबकुछ मानने वाली जश्न अग्निहोत्री दिल्ली की हैं. एयर होस्टैस के पद पर काम करने वाली जश्न अग्निहोत्री कहती हैं कि आज भी वे डायरैक्टर के मुताबिक चलती हैं, पर उन्होंने कभी ऐक्टिंग के बारे में सोचा नहीं था. काम के दौरान ही बौलीवुड के कुछ मौडल कौऔर्डिनेटर ने उन्हें ऐक्टिंग की सलाह दी और औडिशन के लिए बुलाया. वे मौडल बनीं और उसी दौरान उन्हें मधुर भंडारकर ने अपनी एक फिल्म में एक गाने के लिए चुना.

जश्न अग्निहोत्री का काम छोटा था, पर सब ने उन की तारीफ की. यह मौका हर किसी को नहीं मिलता. आजकल इस तरह के सारे रोल ऊंची जातियों की लड़कियों को मिलते हैं, जिन के परिवारों की आपस में दोस्तियां होती हैं.

जश्न अग्निहोत्री एयर होस्टैस थीं, फ्लाइट में कुछ लोग ऐसे मिले, जो मौडल कौऔर्डिनेटर थे और उन्होंने कहा कि मेरा फेस अच्छा है, हंसी चार्मिंग है, ऐसा सुनतेसुनते उन के अंदर ऐक्टिंग की इच्छा पैदा हुई. गांवकसबों की स्मार्ट लड़कियों को फर्राटेदार इंगलिश नहीं आती, इसलिए उन्हें ये मौके नहीं मिलेंगे.

ऐक्टिंग के बारे में कभी सोचा है तो पहले बड़े शहर आएं और संपर्क बढ़ाएं. मौडलिंग के बारे में जरूर सोचें. काम के दौरान मौडल कौऔर्डिनेटरों से संबंध रखें. हर तरह का काम करें, हर औडिशन के लिए बुलाया जाए तो जाएं. मुंबई बहुत बड़ा शहर है, पर औडिशन देने जाना हो तो जुगाड़ कर के जाएं. धीरेधीरे थोड़ाथोड़ा काम मिलना शुरू हो जाएगा.

जश्न अग्निहोत्री ने अभी तक 100 से भी ज्यादा इश्तिहारों में काम किया है. वे कहती हैं कि हर तरह का काम लें और हर लोगों से मिलें. स्क्रीन टैस्ट दें. नए कलाकार को अच्छा काम मिलना मुश्किल होता है, ऐसे में अगर भूमिका छोटी होने पर इफैक्टिव हो तो उसे करें, क्योंकि ऐसी बड़ी फिल्म का हिस्सा बनने से बड़े कलाकारों के साथ काम करने और सीखने का मौका मिलता है. कई बार छोटा सा रोल फिल्म कैरियर को आगे बढ़ने में मदद करता है.

अच्छी नौकरी छोड़ कर फिल्मों में ऐक्टिंग के लिए आना रिस्की है, पर तब तक आप को जिंदगी के सीक्रेट पता चल जाते हैं. सेफ लाइफ से अनसेफ लाइफ में जाएं. इसे अपनी पसंद बनाएं.

जश्न अग्निहोत्री को जानपहचान से कुछ काम मिले थे. वे कहती है कि मेरा फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है. मौडलिंग से शुरू हो कर थोड़ीबहुत ऐक्टिंग का काम भी मिलना शुरू हो गया था.

परिवार का सहयोग न हो, वे नाराज हों, उन्हें लगे कि फिल्मों में काफी शोषण होता है, फिल्म इंडस्ट्री में लड़कियों को इज्जत नहीं मिलती, लेकिन कामयाबी मिलने के बाद सब खुश होंगे और काम की तारीफ करते हैं. कोई नहीं पूछेगा कि कितना कंप्रोमाइज किया.

ऐक्टिंग को ले कर आप कोई मापदंड न बनाएं. ‘मैं यह काम नहीं कर सकती’ जैसे शब्द मुंह से न निकालें. जैसी भूमिका हो वैसा करें. फोटोग्राफर, डायरैक्टर के मुताबिक चलें, रात हो या दिन.

कास्टिंग काउच का सामना करना पड़े, तो हिचकिचाएं नहीं. हालांकि बहुत सी हीरोइनें यह कहती हैं, पर यह गलत लगता है. अब जरूर हल्ला मच गया है. अगर आप अंगरेजी पढ़ीलिखी नहीं हैं, तो आप का फिल्मी सफर मुश्किल होगा. पर बदन अच्छा हो, टैलेंट हो, तो कुछ न कुछ काम मिलता रहेगा. हर कोई दीपिका पादुकोण नहीं बन सकता.

मधुबाला और माधुरी दीक्षित ने भी ऊंची जातियों और अच्छे घराने के होने के बावजूद बहुत लड़ाई लड़ी है. ‘मी टू’ कैंपेन की वजह से अब लड़कियां सेफ होने लगी हैं. मीडिया का हल्ला 10-20 साल बाद भी किसी को गलत ठहरा सकता है. कानून की नजर से देखने पर चाहे गलती लड़की की हो. इस से जिंदगी नरक हो गई है.

पंजाबी हो, हरियाणवी हो या बिहारी, जश्न अग्निहोत्री को सारे भोजन पसंद हैं. मैं सब खाती हूं, लेकिन बहुत वर्कआउट भी करती हूं.

आप कितनी फैशनेबल हैं?

इस सवाल पर जश्न अग्निहोत्री कहती हैं कि तरहतरह के फैशन हैं. हर तरह के कपड़े पहनें. अपनी डिजाइनर खुद बनें. अगर शूट हो तो उस के हिसाब से सबकुछ करें.

गुस्सा होने पर क्या करती हैं?

इस सवाल पर उन्होंने कहा कि वर्कआउट करें. इस से सारा गुस्सा निकल जाता है. पत्रिकाएं, किताबें पढ़ें, चाहे हिंदी की हों या पंजाबी की. पढ़ना बहुत जरूरी है. हर बात याद रखें. कानून की सम?ा रखें. राजनीति में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें. दोस्तों से मिलें. जो काम मिले उसे खुशी से और अच्छा करने की कोशिश करें.

आउटसाइडर होने से बहुत सी मुश्किलें आती हैं खासतौर पर अगर सुंदर और टैलेंटैड होने के बावजूद आप पिछड़ी व निचली जाति की हैं, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री पर ऊंची जाति वालों का कब्जा है.

हर तरह की फिल्में देखें. ध्यान से देखें. धर्मेंद्र और राजेश खन्ना की फिल्मों से डब की गई विदेशी फिल्में भी देखें. हर फिल्म का आलोचक बनना सीखें. सब से बड़ी बात यह है कि अपने बोलने के लहजे में गांव का स्टाइल न आने दें और बनावटी न लगें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...