Family Story In Hindi: अरुणा को जब पता चला कि उस की बहन आशा पुणे से नोएडा पिताजी के पास 4-5 दिनों के लिए रहने के लिए आ रही है, तो उस ने एक पल भी नहीं गंवाया सोचने में और उस से मिलने का मन बना लिया. हापुड़ से नोएडा दूर ही कितना था. उस के पति ने भी मना नहीं किया.

4 साल पहले मां की मृत्यु के समय ही आशा से मिलना हुआ था. मां के जाने के बाद अरुणा का उस घर में न तो कभी जाना ही हुआ और न ही कभी उस ने जाना चाहा. मां के बिना उस घर की कल्पना कर के ही वह सिहर उठती थी. लेकिन इस बार उस ने 3-4 दिनों का कार्यक्रम बना कर झटपट अटैची लगाई और बेटी के साथ बस में बैठ कर नोएडा के लिए रवाना हो गई.

रास्तेभर जहां उसे इतने सालों बाद आशा से मिलने की खुशी हो रही थी, वहीं मां विहीन उस उजड़े घर में कैसे प्रवेश करेगी, इस की भी चिंता हो रही थी. आशा को सरप्राइज देने का मन हुआ, इसलिए अरुणा ने उसे सूचित नहीं किया और पहुंच गई. अचानक उसे आया देख कर आशा ने हमेशा की तरह बनावटी खुशी दिखाई. उस के इस स्वभाव को जानते हुए भी यह सोच कर कि पता नहीं फिर कब मिलना होगा, अपने को आने से रोक नहीं पाई. आखिर थी तो उस की छोटी और इकलौती सगी बहन.

अरुणा की बहन आशा, उस से 2 साल छोटी थी, लेकिन बचपन से ही, उस से बेहतर अपनी कदकाठी के कारण तथा अपने व्यवहार से, अपना वर्चस्व रख कर उस पर हावी रहती थी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...