यूं तो मुंबई में हर वर्ष आयोजित होने वाले ‘काला घोड़ा आर्ट्स फेस्टिवल’  का आयोजन फरवरी 2022 में आएगा. यह काला घोड़ा अपनी थीम उड़ान के साथ पंख फैलाकर उड़ने के लिए तैयार है. क्योंकि यह फेस्टिवल कला के उत्सव को सेलिब्रेट करने का एक नोबल कॉज हैं.

मगर कोरोना महामारी के चलते जिन कलात्मक व्यापारियों व कारीगरों पर आर्थिक तंगी की मार पड़ी हुई थी, उनकी मदद के लिए दस दिसंबर 2021 से ऑनलाइन ‘काला घोड़ा आर्ट कार्ट’  की शुरूआत हुई है, जिसमें मुँह की बोली लगाकर कारीगरों को आर्थिक लाभ पहुंचाना मकसद है. यह आयोजन 30 नवंबर 2022 तक चलेगा.

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‘‘काला घोड़ा आर्ट कार्ट ऑनलाइन’’ ऐसे छोटे-मोटे मार्केट चालकों के लिए जीवनदान प्रदान करता हैं, जो अपने अनूठे और अद्भुत हस्तकला की कारीगरी को लोगों के सामने लाना चाहते हैं. ऐसे में ऑनलाइन के जरिए उनकी यह मेहनत लाखों लोगों के सामने आसानी से आ सकती हैं और इस महामारी से हुए नुकसान की भरपाई भी हो सकती हैं.

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‘‘काला घोड़ा एसोसिएशन’’ की माननीय अध्यक्ष ब्रिंदा मिलर कहती हैं-‘‘आर्ट कार्ट के माध्यम से हमारा प्रयास शिल्पकारों की अनूठी कलाओ और कृतियों को सामने लाना है.काला घोड़ा आर्ट कार्ट साल भर चलेगा,जो फरवरी के केवल नौ दिनों तक ही सीमित नहीं रहेगा.

इस कार्ट की मदद से छोटे कारीगरों को उनका जीवन बसर करने में मदद मिलेगी.’’ ‘काला घोड़ा आर्ट कार्ट’ के क्यूरेटर मयंक वलेशाह जी कहते हैं-‘‘काला घोड़ा आर्ट कार्ट में जिन शिल्पकारों की अद्भुत कला को लोग भुला चुके हैं, उनके द्वारा बनाए गए परिधान से लेकर, गहने, स्कार्फ, शर्ट और घर के जरूरी सामान सब कुछ एक ही जगह उपलब्ध है.

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यहां पर 500 आवेदकों में से देश के प्रतिभाशाली और भारतीय कला से सुसज्जित धनी ऐसे 50 कारिगिरीयों को चुना गया,जो अपनी बनाई हुई अद्भुत कारीगिरी को दिखा रहे हैं.इस कार्ट साइट पर बहुत सारे स्टाल्स प्रदर्शक विशेष हैं, जो भारत के कई राज्यों से है.

हमारा ज्यादातर झुकाव क्राफ्टमैंनशिप की तरफ हैं और हम पर्यावरण सम्बंन्धित ,आधुनिक युग में इस्तेमाल की जा रही वस्तुओँ की तरफ ज्यादा फोकस्ड है जो हमारी भारतीय पारंपरिक कला शैली को प्रस्तुत करता है.

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इस बार जो-जो इस कार्ट पर आएंगे खासकर तौर पर उन्हें हरियाणा के हिसार से हाथ की कढ़ाई किए हुए जूते, सूखे पत्तों से साड़ियों पर बनाई हुई प्रिंट,  अहमदाबाद के बनाए हुए बैग्स जो प्लास्टिक वेस्ट से बनी होंगी, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से विंड चाइम्स और लैंप जो सुखी लौकी और पेपर से बने होंगे,  ऐसे कुछ अद्वितीय वस्तुएं मिलेंगी.

काला घोड़ा एसोसिएशन’’ की माननीय अध्यक्ष ब्रिंदा मिलर ने आगे कहा-‘‘इस साल हमे ऐसा ग्लोबल प्लेटफार्म देखने के लिए मिलेगा, जहां पर एक ही मंच पर एकलौते या सामूहिक तौर पर आए हुए कलाकृतियों में एक बात सबसे ज्यादा सामान्य होगी और वह है उनके द्वारा हमारी पारंपरिक बुनाई पर दिया गया महत्व, आधुनिक जीवन शैली में भी पुराने संस्कृति और कला से जुड़ी सामानों का किस तरह उपयोग हो और कैसे भारत की संस्कृति इनके माध्यम से उजागर हो और लोगों तक पहुचे,  ये काला घोड़ा आर्ट कार्ट की खासियत होगी.

वातावरण को शुद्ध और हरित बनाये रखने के साथ ही पशु मित्रवत संघों को भी प्रदर्शित करने का आग्रह यहाँ किया गया है.काला घोड़ा आर्ट कार्ट में हम लगातार उन लोगों की मदद करने में भी सक्षम हैं, जो इस दुनिया को बेहतर बनाने में हम सभी की मदद करते हैं.‘‘

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