किसान आंदोलन के दरमियान अजय मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री सिर्फ इसलिए चर्चा में आ गए कि उनके सुपुत्र ने किसानों पर जीप चला दी, किसान मर गए लहुलुहान हो गए. और मामला तूल पकड़ता चला गया. कहां तो नरेंद्र मोदी सरकार ने सोचा था कि किसान उनके दबाव प्रभाव के कारण भाग खड़े होंगे और कहां तो किसान चट्टान बनकर खड़े हो गए.
आज वस्तुत: सारी दुनिया जानती है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार किसानों की दृढ़ता के आगे आखिरकार चकनाचूर हो गई है और संसद में अपने तीनों कानून वापस ले लिए हैं. मगर अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी ब- हैसियत प्रधानमंत्री अभी भी किसानों के लिए मन में सकारात्मक भाव रखते हैं या फिर नकारात्मक.
आज हम इस रिपोर्ट में इसी पहलू पर दृष्टिपात करते हुए कुछ ऐसे तथ्य प्रकाश में ला रहे हैं जो यह दूध का दूध और पानी का पानी कर देगा की वर्तमान केंद्र सरकार जिसके प्रमुख नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं किसानों के प्रति आखिर उनके मन में क्या है. और आने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठ सकता है.
अगर यह कहा जाए कि नरेंद्र मोदी एक दृढ़ निश्चय के शख्स हैं तो यह गलत नहीं होगा. मगर दृढ़ता भी ऐसी होनी चाहिए जो अपने देशवासियों के भले के लिए और उन्हें ताकत देने के लिए हो मगर दुर्भाग्य से नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जिस अजय मिश्रा को अभी तक "गृह राज्य मंत्री" के पद से नवाजा हुआ है यह तथ्य, यह सच यह बता रहा है कि मोदी सरकार की सोच में कहीं ना कहीं किसानों के प्रति सच्ची हमदर्दी नहीं है.
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