उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव न सिर्फ आम जनता को सरकार के बारे में अपना गुस्सा दिखाने का सुनहरा मौका हैं, वे भारतीय जनता पार्टी की जातिवादी, पूजापाठी, ऊंचे होने की ऐंठ और देश व राजा का पैसा धर्मकर्म में लगा कर फूंक देने की नीतियों को जवाब देने का भी समय है. हाल में जब 2017 में विधानसभा चुनावों में भाजपा लहर में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीते 6 पूर्व विधायक समाजवादी पार्टी में चले गए तो भारतीय जनता पार्टी बेचैन हो गई.

भारतीय जनता पार्टी ने एक ऊंचे ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी की अगुआई में 4 जनों की कमेटी बनाई है जो दूसरी पार्टियों से तोड़जोड़ कर नेताओं को लाए ताकि वोटरों को लगे कि भाजपा की ही लहर चल रही है. हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के उपचुनावों के नतीजों से घबराई भाजपा सरकार और पार्टी को जवाब देने का यह एक अच्छा समय बन रहा है.

जिस आननफानन में केंद्र सरकार व भाजपा सरकारों ने पैट्रोलडीजल के टैक्स कम किए हैं, उस से उन का डर साफ है. यह समय है जब ऊंचों के सताए गरीब, बेरोजगार, परेशान पिछड़े और दलित भारतीय जनता पार्टी से पिछले 7 सालों का हिसाब ले सकें.

पिछले 7 सालों में भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में पांव पसारे हैं पर आम जनता को कुछ दिया हो, यह कहीं से दिख नहीं रहा है. देश में राम राज के नाम पर पुलिस राज के दर्शन ही होते हैं. जो कहीं देशभक्ति के नाम पर, कहीं हिंदूमुसलिम के नाम पर, कहीं गौहत्या के नाम पर, तो कहीं ड्रग्स के नाम पर घरों और दफ्तरों से आम जनों को उठा ले जाने में तो तेज हो गई है, पर न हर रोज बढ़ रहे जुल्म, बलात्कार, बीमारियों, भूखों के लिए कुछ कर रही है.

कहने को तो जोरशोर से स्वच्छ भारत का नाम ले कर हल्ला मचाया गया पर हुआ यही कि छोटे घरों को भी जगह दे कर शौचालय बनाने पर मजबूर किया गया. पर सरकार ने अपने सीवर बिछाने और लगातार मिलने वाले पानी के बारे में कुछ नहीं किया. सरकार ने सस्ते में गैस सिलैंडर घरघर पहुंचाने का दावा किया पर एक बार भरा सिलैंडर खाली हो जाने के बाद उस को कैसे भरा जाए उस का इंतजाम नहीं किया.

जो सरकार राम मंदिर और संसद परिसर के लंबेचौड़े प्लान बना सकती है, जो फर्राटेदार गाडि़यों को दौड़ाने की सड़कों के प्लान बना सकती है, वह गलियों में सीवरों का इंतजाम करने और घरघर नल का पानी दिलाने का इंतजाम क्यों नहीं कर सकती? इसलिए कि सरकार को पिछड़ों और दलितों की फिक्र नहीं है और उत्तर प्रदेश के चुनाव अच्छा मौका हैं जब सरकार को बताया जा सके कि देश की जरूरत अयोध्या में मंदिर या सरयू किनारे दीए नहीं हैं, गरीबों को काम, पेटभर खाना, सस्ता पैट्रोलडीजल, सस्ती खाद, सही पढ़ाई और सही इलाज है. सरकार का इन जीने की जरूरतों के बारे में न कोई प्लान दिखता है, न योजनाएं. केंद्र सरकार तो अपना ढोल बजाती नजर आती है.

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