भारत की आबादी कभी 11 करोड़ थी और हिंदू धर्म में तब 33 करोड़ देवता थे. इस हिसाब से उस समय 1 व्यक्ति पर 3 देवताओं की कृपा थी. मगर विडंबना यह कि 3 देवता मिल कर एक व्यक्ति की कायाकल्प नहीं कर सके. इस से ईश्वर के सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ रूप की धज्जियां उड़ जाती हैं. अगर देवता की शक्ति की दृष्टि से देखें तो विकसित देशों का एकमात्र देवता हमारे 33 करोड़ देवताओं पर भारी बैठता है, क्योंकि वहां के एकमात्र देवता यीशु ने सभी लोगों को संपन्न बना दिया है और इसी एक देवता के अनुयायियों ने हमारे देश पर सालों राज किया मगर हमारे 33 करोड़ देवता उन मुट्ठी भर विदेशी लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ पाए जिन्होंने इन देवताओं के भक्तों की सालों तक दुर्दशा की.

मोहम्मद गोरी ने 17 बार देश पर आक्रमण कर के मंदिरों को लूटा, पर हमारे देवता खड़ेखड़े मुंह देखते रहे. उन्होंने कभी गोरी को रोकने की कोशिश नहीं की. इस से 33 करोड़ देवताओं की शक्ति व वजूद पर प्रश्नचिह्न तो लग ही जाता है. भारत के ऋषिमुनियों ने लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए देवीदेवताओं और उन के कार्यों को रहस्य बना रखा था ताकि उन की रोजीरोटी आराम से चलती रहे. यही कारण है कि हिंदू धर्म ने रहस्यवाद को जन्म दिया. जहां हरेक चीज रहस्यमय लगती है तो देवताओं की संख्या भी रहस्यमय है, उन के कार्यकलाप भी रहस्यमय हैं, जिन्हें हिंदू धर्मग्रंथ एकदूसरे के विपरीत साबित करते हैं, जिस से एक धर्मग्रंथ की मान्यताओं का खंडन दूसरे धर्मगं्रथ कर देते हैं.

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