विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की तरफ से विश्वविद्यालयों को 29 सितंबर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक डे’ मनाने का निर्देश दिए जाने को लेकर जबरदस्त राजनीतिक गतिरोध देखने को मिला. पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा है कि राज्य में इसका पालन नहीं किया जाएगा. साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया कि यह बीजेपी के राजनीतिक अजेंडे का हिस्सा है.

वहीं, केंद्र सरकार ने कहा कि इससे देशभक्ति झलकती है, न कि राजनीति. बहरहाल, केंद्र सरकार ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकवादी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ मनाना विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं है.

शुक्रवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि विश्वविद्यालयों को परामर्श जारी किया गया है, न कि उन्हें निर्देश जारी किया गया है. विपक्षी दलों के सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने के आरोप को जावडेकर ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि आलोचना पूरी तरह से बेबुनियाद और गलत है. उन्होंने कहा कि यूजीसी की तरफ से समारोह के लिए जो कार्यक्रम सुझाए गए हैं, उनमें सशस्त्र सेनाओं के बलिदान के बारे में पूर्व सैनिकों की तरफ से संवाद सत्र का आयोजन, नैशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की तरफ से विशेष परेड शामिल हैं. कॉलेजों से कहा गया है कि एनसीसी की तरफ से परेड और पूर्व सैन्य अधिकारियों के लेक्चर का आयोजन करें.

वहीं, पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार की आलोचना में कहा कि बीजेपी सेना की छवि खराब कर रही है और उसका राजनीतिकरण कर रही है. उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान यूजीसी के निर्देशों का पालन नहीं करेंगे. चटर्जी ने कहा, ‘हमारे सैनिकों के दिए बलिदान के नाम पर वह हमसे दिवस मनाने को कहते तो यह बात समझी जा सकती थी. हमारे मन में सैनिकों और उनके बलिदान के प्रति पूरा सम्मान है. सेना को हमेशा ही राजनीति और विवादों से परे रखा गया है. लेकिन हम देख रहे हैं कि बीजेपी सेना की छवि खराब करने और उसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है.’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...