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क्या बताए कुमुद को कि उस ने किन्हीं कमजोर पलों में प्रवीन के साथ होटल में एक रात किसी अन्य युवती के साथ गुजारी थी और वहीं से...कुमुद के साथ विश्वासघात किया, उस के प्यार के भरोसे को तोड़ दिया. किस मुंह से बीते पलों की दास्तां कुमुद से कहे. कुमुद मर जाएगी. मर तो अब भी रही है, फिर शायद उस की शक्ल भी न देखे.

डाक्टर ने कुमुद को भी सख्त हिदायत दी है कि बिना दस्ताने पहने निखिल का कोई काम न करे. उस के बलगम, थूक, पसीना या खून की बूंदें उसे या बच्चों को न छुएं. बिस्तर, कपड़े सब अलग रखें.

निखिल का टायलेट भी अलग है. कुमुद निखिल के कपड़े सब से अलग धोती है. बिस्तर भी अलग है, यानी अपना सबकुछ और इतना करीब निखिल आज अछूतों की तरह दूर है. जैसे कुमुद का मन तड़पता है वैसे ही निखिल भी कुमुद की ओर देख कर आंखें भर लाता है.

नियति ने उन्हें नदी के दो किनारों की तरह अलग कर दिया है. दोनों एकदूसरे को देख सकते हैं पर छू नहीं सकते. दोनों के बिस्तर अलगअलग हुए भी एक साल हो गया.

कुमुद क्या किसी ने भी नहीं सोचा था कि हंसतेखेलते घर में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा. कुछ समय से निखिल के पैरों पर सूजन आ रही थी, आंखों में पीलापन नजर आ रहा था. तबीयत भी गिरीगिरी रहती थी. कुमुद की जिद पर ही निखिल डाक्टर के यहां गया था. पीलिया का अंदेशा था. डाक्टर ने टैस्ट क्या कराए भूचाल आ गया. अब खोज हुई कि हैपिटाइटिस ‘सी’ का वायरस आया कहां से? डाक्टर का कहना था कि संक्रमित खून से या यूज्ड सीरिंज से वायरस ब्लड में आ जाता है.

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