औरत तो हमेशा से ही दो पाटों के बीच पिसती रही है. शादी होने के बाद भी अंशी अपनी तरह से जिंदगी जीना चाहती थी. इसी वजह से वह नौकरी करने लगी थी. वह सजसंवर कर दफ्तर आती तो उस के बौस अखिल का मन मचलने लगता. क्या वह अपने पति लक्ष्य की हो सकी?