कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह याचिका शाम 6 बजे हाईकोर्ट के एक जज के पास पहुंची. साथ में वीडियो भी थे. जज उदार और सख्त थे. उन्होंने तुरंत और्डर टाइप कराया और जिला जज, जिला मजिस्ट्रेट और एसपी के साथ छापा मारने का हुक्म दिया.

तकरीबन 500 पुलिस वालों ने आश्रम घेर लिया. सेवादार भाग भी नहीं सके थे, क्योंकि पूर्णिमा की साथियों ने सारे कपड़े उठा कर नाले में फेंक दिए थे.

पूर्णिमा के परिवार के गायब होने की खोज पहले से चल रही थी. गुरुजी को पुख्ता सुबूतों के साथ पकड़ लिया गया. उस के बाद पूर्णिमा कहां गई किसी को पता नहीं लगा, पर उस की 4 साथियों ने मुकदमा लड़ा और गुरुजी को आजीवन कारावास की सजा मिली.

आश्रम से मिले कंकालों की गितनी इतनी थी कि डीएनए टैस्ट करने वालों को महीनों लगे.

उम्रकैद के दौरान रघुवीर गुरुजी की मौत हो गई, लेकिन पूर्णिमा कोढ़ की बीमारी से पीडि़त होने के बरसों बाद बस्ती में लौट आई. यह कोढ़ उसे एक सेवादार से लगा था. पूर्णिमा को अपने पर गर्व था, पर शायद ही कोई जानता था कि रघुवीर को जेल उसी ने पहुंचाया था.

उस पागल औरत ने धीधीरे मुझे यह सारी कहानी सुनाई थी, क्योंकि मैं रोज उसे खाना देने लगी थी, जबकि गांव वालों को भी बुरा लगता था और रघुवीर गुरुजी के उजड़े आश्रम के एक कोने को दबोचे था वह पंडितनुमा जना जो मुझे रोक रहा था.

पूर्णिमा ने बताया कि उस लड़के को 10 साल की उम्र में कहीं से पकड़ कर लाया गया था. पर वह सालों ड्रग्स लेने के चलते बहुत सी बातों को आज भी याद नहीं कर पा रहा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...