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उन 50 हजार रुपयों में से 10 हजार रुपए तो निहाल ने मिनी को दे दिए और बाकी के सारे पैसे मां को. अपने पास निहाल ने कुछ भी नहीं रखा. उस के लिए यह संतोष ही काफी था कि उस ने 50 हजार रुपए कमाए हैं. कुल मिला कर वह अपने किए इस काम से खुश था, पर उस की यह खुशी ज्यादा समय नहीं टिक पाई.

वीरेंद्र के अपहरण के 2 दिनों बाद ही उस की लाश एक नाले के पास नग्न हालत में पाई गई और मीडिया में प्रशासन पर जल्दी कार्रवाई करने का दबाव डाला जा रहा था. सारे समाचारपत्रों में आज इसी मर्डर की बात को प्रमुखता से जगह दी गई थी. दहशत में आ गया था निहाल. देवराज ने तो सिर्फ उसे उठा लाने को कहा था और वह उस का मर्डर कर देगा, ऐसा तो नहीं बताया गया था. वह सोचने लगा, ‘अगर मु?ो ऐसा बोला होता तो शायद मैं कभी उस का अपहरण नहीं करता, उफ्फ्फ, यह मु?ा से क्या हो गया.’

घबराई हालात में वह देवराज के पास पहुंचा. देवराज अपने चमचों के साथ जश्न मनाने में लगा हुआ था. निहाल ने उस से बात करनी चाही पर देवराज कहां सुनने वाला था. वह तो दुश्मन की मौत पर शराब उड़ाने में लगा हुआ था.

निहाल जब कुछ ज्यादा ही बात करने की जिद करने लगा तो देवराज ने पूरी की पूरी एक बोतल ही उस के मुंह में लगा दी.

अब से कुछ देर पहले जो निहाल डरा हुआ था वह अब शराब के असर से शेर बन गया और उस जश्न में शामिल हो गया.

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