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काफीदिनों के बाद अपना फेसबुक पेज अपडेट कर ही रही थी कि चैंटिंग विंडो पर ‘हाई’ शब्द ब्लिंक हुआ. पहले तो मैं ने ध्यान नहीं दिया, मगर बारबार ब्लिंक होने पर देखा तो कोई महोदय चैट करने को आतुर दिखाई दे रहे थे. निश्चित ही मेरी फ्रैंड्स लिस्ट में से यह कोई व्यक्ति था. उस से बात करने से पहले मैं ने उस का प्रोफाइल टटोला. नाम कौशल था. मैं ने चैट करने से परहेज किया, क्योंकि मैं चैट करने में रुचि नहीं रखती, पर यह तो कोई ढीठ बंदा था.

थोड़ी देर बाद उस ने मैसेज भेजा, ‘हाऊ आर यू मैम…?’ अब मुझे भी लगा कि जवाब न देना शिष्टाचार के विरुद्ध होगा. अत: अनमने ढंग से ‘हाई, फाइन’ लिखा. मेरी कोशिश यही थी कि उसे चैट के लिए हतोत्साहित किया जाए. मैं ने स्वयं को व्यस्त दिखाने की कोशिश की. फिर से मैसेज उभरा, ‘लगता है मैम बिजी हैं…?’ मेरे संक्षिप्त जवाब ‘हां’ से उस ने फिर मैसेज भेजा, ‘ओके… मैम. सम अदर टाइम.’ मैं ने भी ‘ओह’ लिख कर चैन की सांस ली ही थी कि डोरबैल बजी. घड़ी में देखा तो शाम के 6 बज रहे थे. लगता है राजीव औफिस से लौट आए थे.

जैसे ही दरवाजा खोला, ‘‘और क्या चल रहा है मैडम…?’’ राजीव ने कहा. उन्हें जब मुझे चिढ़ाना होता है तो वे इस शब्द का इस्तेमाल

करते हैं. वे जानते हैं कि मैं मैडम शब्द से बहुत चिढ़ती हूं.

‘‘कोई खास बात नहीं, बस नैट पर सर्फिंग कर रही थी…’’ मैं ने थोड़ा चिढ़ कर ही जवाब दिया. राजीव मुसकराए. मैं उन की इसी मुसकराहट पर फिदा थी. मेरा गुस्सा एकदम गायब हो चुका था. राजीव जानते थे कि मेरे गुस्से को कैसे कम किया जा सकता है. इसलिए वे मुझे चिढ़ाने के बाद अकसर अपनी जानलेवा मुसकराहट से काम लिया करते थे.

‘‘अच्छा यार, अदरक वाली चाय तो पिलाओ… और इस रिमझिम बारिश में गरमगरम पकौड़े हो जाएं तो अपना दिन… अरे नहीं शाम बन जाएगी…’’ उन की फ्लर्टिंग पर मुझे हंसी आ गई. बाहर वास्तव में बारिश हो रही थी. घर के अंदर होने से मेरा ध्यान ही नहीं गया था. मैं जल्दी से चाय और पकौड़े बनाने लगी और राजीव फ्रैश होने चले गए. उन्होंने हम दोनों की पसंदीदा जगह यानी बालकनी में चाय पीने की फरमाइश की. चाय पीतेपीते वे बड़े खुशगवार मूड में दिखे.

मुझ से रहा नहीं गया, ‘‘क्या बात है जनाब… बड़े मूड में लग रहे हैं…’’ मैं ने जानना चाहा.

‘‘अरे वाह कैसे जाना…,’’ वे थोड़ा हैरत से बोले.

‘‘आप की बैटरहाफ हूं. 15 सालों में इतना भी नहीं जानूंगी…?’’ थोड़ा इतराते हुए मैं ने कहा.

‘‘हां, बात तो तुम्हारी ठीक है,’’ वे थोड़ा गंभीर हो कर बोले.

कुछ देर हम दोनों चुपचाप चाय और पकौड़े का स्वाद लेते रहे. राजीव थोड़ी देर बाद मेरी ओर देख कर शरारत में मुसकराए और मैं उन का मंतव्य समझ गई.

‘‘कोई शरारत नहीं जनाब…,’’ मैं ने शरमाते हुए कहा. फिर हम घर के इंटीरियर के बारे में बात करने लगे. पूरा घर अस्तव्यस्त पड़ा था. इस नए फ्लैट में हम हाल ही में शिफ्ट हुए थे. घर का फाइनल टचअप बाकी था. राजीव और बच्चों में इसी बात को ले कर तकरार चल रही थी कि किस कमरे में कौन सा पेंट करवाया जाए. इसी बीच बेटा शुभांग और बेटी शिवानी भी आ गए. जिन्होंने जिद की तो राजीव उन्हें ले कर बाजार चले गए. मैं ने बहुत रोका कि पानी बरस रहा है पर बच्चों के उत्साह के आगे उन्हें सब फीका लगा. उन्होंने कार गैराज से निकाली और मुझे भी साथ चलने को कहा, पर मैं अस्तव्यस्त पड़े घर को ठीक करने की सोच कर रुक गई.

काम निबटा कर जैसे ही फ्री हुई तो लैपटौप पर निगाह गई तो सोचा कि क्यों न कुछ सर्फिंग हो जाए. अब जब इंटरनैट खोला तो खुद को फेसबुक ओपन करने से रोक नहीं पाई. अभी कुछ टाइप कर ही रही थी कि कौशल महोदय ‘हाई और हैलो’ के साथ हाजिर नजर आए. कुछ खास काम तो था नहीं और सोचा राजीव और बच्चे न जाने कितनी देर में आएंगे, तो इन्हीं कौशलजी से थोड़ी देर चैट कर लिया जाए.

मैं ने भी उसे हैलो किया और चैट करना शुरू किया तो उस ने अचानक मुझ से सवाल किया, ‘क्या आप तितली हैं…?’ मैं असमंजस में पड़ गई कि भला यह क्या सवाल हुआ…? उस ने मेरा ध्यान मेरी प्रोफाइल पिक्चर की ओर दिलवाया. इस बात पर मैं ने कभी ध्यान ही नहीं दिया था. मुझे वह इमेज अच्छी लगी थी तो मैं ने उसे डाल दिया था. जब उस ने इसी बात को एक बार और पूछा तो मैं चिढ़ सी गई और बहाना बना कर लौगआउट कर लिया. मुझे गुस्सा भी आ रहा था कि इस बंदे को अपनी फ्रैंड्स लिस्ट से डिलीट कर दूं. अगली बार ऐसा ही करूंगी सोच कर मैं उठ गई और रात के खाने की तैयारी में जुट गई.

आने वाले कई दिनों तक हम घर की साजसज्जा में लगे रहे. घर के इंटीरियर का काम लगभग पूरा हो चुका था. आज घर पूरी तरह से सज चुका था और अब ऐसा लग रहा था कि मानों कंधों पर से कोई बोझ उतर गया हो. चूंकि बच्चे और राजीव घर पर नहीं थे तो थोड़ा रिलैक्स होने के लिए सोचा क्यों न नैट खोल कर बैठूं. अपना मेल चैक कर रही थी तो कुछ खास नहीं था सिवाय एरमा के मेल के.

उस ने मेल किया था कि उसे उसे नई जौब मिल गई है और वह लौसएंजिल्स शिफ्ट हो रही थी. उस ने बताया कि वह कंपनी की तरफ से बहुत जल्दी इंडिया भी आएगी. मैं ने उसे बधाई दी और उसे अपने घर आ कर ठहरने का न्योता भी दिया. एरमा मेरी फेसबुक फ्रैंड थी. मेल चैक करने के बाद एक बार फिर फेसबुक ओपन किया तो देखा तो मैसेजेस का ढेर लगा पड़ा था. मुझे आज तक इतने मैसेज कभी भी नहीं आए थे. जब खोला 7-8 मैसेज तो कौशल महोदय के थे. ‘हाई, कैसे हैं आप…?’, ‘नाराज हैं क्या…?’, ‘आप फेसबुक पर नहीं आ रहीं…’ इत्यादिइत्यादि. ये सब देख कर मेरा मूड खराब हो गया.

 

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