आटा गूंधते समय रूपल का ध्यान अचानक अपने हाथों पर चला गया. उसे अपने हाथों से घिन हो आई. आज भी गुरु महाराज उसके हाथों को देर तक थामे सहलाते रहे और वह कुछ न कह सकी.