‘‘अब मैं क्या कर सकता हूं? मुझे क्या पता था कि अमेरिका में इतना बड़ा उलटफेर हो जाएगा. हम खुद हैरान हैं कि कमला हैरिस कैसे हार गईं? तुम दोनों के ही नहीं, बल्कि और भी कई लोगों के पैसे समझ डूब गए हैं,’’ दलाल ने जब यह बात कही, तो वंदना और अजय के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.
‘‘ऐसे कैसे हमारे पैसे डूब गए. हम दोनों ने कुल 40 लाख रुपए भरे हैं. हमारे मांबाप ने कर्ज ले कर हमें बाहर भेजने का इंतजाम किया था. वे तो जीतेजी मर जाएंगे,’’ अजय ने कहा.
‘‘भाई, डंकी से अमेरिका और कनाडा जाने वाले को तो पलपल का खतरा रहता है. अच्छा है कि तुम्हारे सिर्फ पैसे ही डूबे हैं, अगर कहीं जान पर बन आती तो हम यहां बैठे क्या कर लेते? हम ने तो पक्का काम किया था, पर इस बार के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की इतनी भारी जीत ने सब गुड़ गोबर कर दिया.
‘‘अब तो उस ने मंच से भी बोल दिया है कि वहां किसी भी घुसपैठिए को बरदाश्त नहीं किया जाएगा. अब तो जब मामला ठंडा होगा, तो ही दोबारा कोशिश की जा सकती है,’’ दलाल ने अपनी बात कही और अपनी सीट से उठ कर बाहर चला गया.
अजय और वंदना अभी भी दलाल के दफ्तर में बैठे थे. उन्हें लगा जैसे सबकुछ खत्म हो गया है. वंदना तो रोने लगी थी.
अजय और वंदना दोनों वैसे तो उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर जिले के आसपास के गांवों के रहने वाले थे, पर पिछले 3 साल से नोएडा में लिवइन रिलेशनशिप में रह रहे थे.
23 साल की भरे बदन की वंदना दलित समाज की एक होनहार लड़की थी और पिछले 2 साल से एक प्राइवेट अस्पताल में नर्स की कच्ची नौकरी कर रही थी.
25 साल का अजय एक रैस्टोरैंट में कुक था और बहुत बढि़या खाना बनाता था, पर उस के काम की कद्र नहीं थी.
चूंकि नोएडा महंगा शहर है और खर्चे ज्यादा हैं, तो अजय और वंदना ने सोचा कि क्यों न वे ज्यादा पैसे कमाने के लिए अमेरिका और कनाडा चले जाएं.
अजय कनाडा जाना चाहता था और वंदना अमेरिका. अमेरिका में जुलाई, 2024 तक साढ़े 7 डौलर प्रति घंटे का मिनिमम वेज मिलता रहा है. मतलब, भारतीय रुपए में 660 रुपए प्रति घंटा. रोज 12 घंटे काम करने के तकरीबन 7,000 रुपए. महीने में अगर 25 दिन भी काम कर लिया, तो पौने 2 लाख रुपए की कमाई हो सकती है.
अमेरिका और कनाडा में नर्स और कुक को काम मिल ही जाता है. हो सकता है कि इन्हें कुछ ज्यादा ही कमाई हो जाए.
6 महीने पहले की बात है. अजय और वंदना अपनेअपने गांव गए हुए थे. तब उन दोनों ने अपने मांबाप से विदेश जाने की बात कही थी.
अजय बोला था, ‘‘अरे बाबूजी, पड़ोस के गांव का रतन अमेरिका में ट्रक चलाता है. वह डंकी से वहां गया था और आज देखो, उस ने पूरे परिवार को संभाल लिया है.’’
‘‘यह डंकी क्या होता है?’’ बाबूजी ने सवाल दागा था.
‘‘किसी देश में घुसपैठ कर के घुसना. दलाल पैसे ज्यादा लेते हैं, पर अमेरिका और कनाडा जैसे अमीर देशों में घुसा देते हैं. वहां जाते ही चांदी ही चांदी,’’ अजय ने सम?ाया था.
‘‘पर बेटा, 20 लाख रुपए कम रकम नहीं होती. हमें अपना एक खेत बेचना पड़ेगा,’’ अजय की मां ने अपनी चिंता जताई थी.
‘‘मां, एक बार मैं कनाडा चला जाऊं, फिर 3-4 साल में तुझे नया खेत दिला दूंगा. इस गांव में तुम्हारी तूती बोलेगी,’’ अजय ने मां को मक्खन लगाया था.
उधर वंदना भी अपने मांबाप को मना चुकी थी. हालांकि वह एक साधारण परिवार की लड़की थी, पर चूंकि उस के पिताजी कोटे के चलते सरकारी नौकरी में थे, तो उन्होंने जैसेतैसे पैसे का इंतजाम कर दिया था. दोनों ने एक ही दलाल से मिल कर अमेरिका और कनाडा जाने का बंदोबस्त कर लिया.
इस बीच अमेरिका में चुनाव का ऐलान हो गया था. रिपब्लिकन पार्टी ने डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था और कमला हैरिस को डैमोक्रैटिक पार्टी ने.
कमला हैरिस का शुरू से पलड़ा भारी लग रहा था, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप को एक बार राष्ट्रपति के रूप में पहले आजमाया जा चुका था और उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसा कुछ खास कमाल नहीं किया था.
अमेरिका में 5 नवंबर, 2024 को चुनाव हुए थे और डैमोक्रैटिक पार्टी के अलावा तमाम दूसरे नागरिकों को उम्मीद थी कि कमला हैरिस देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल कर लेंगी, क्योंकि चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने उन पर खूब निजी हमले किए थे.
डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान पैंसिल्वेनिया में एक रैली में कमला हैरिस की शारीरिक बनावट और बुद्धिमत्ता की निंदा की थी. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा था,’’ मैं उन से (कमला हैरिस) कहीं ज्यादा सुंदर हूं.’’
डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस स्पैशल ‘टाइम’ मैगजीन के कवर फोटो का जिक्र करते हुए दावा किया था कि पत्रिका को एक स्कैच कलाकार को काम पर रखना पड़ा, क्योंकि उन की तसवीरें काम नहीं आईं. उन्होंने उन की बुद्धिमत्ता पर भी सवाल उठाया था और उन्हें कट्टरपंथी उदारवादी करार दिया था.
इतना ही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी एक रैली में कहा था, ‘‘कुटिल जो बाइडेन मानसिक रूप से विकलांग हो गए हैं… लेकिन कमला हैरिस, ईमानदारी से कहूं तो मेरा मानना है कि वे ऐसी ही पैदा हुई थीं. कमला में कुछ गड़बड़ है और मुझे नहीं पता कि वह क्या है, लेकिन निश्चित रूप से कुछ कमी है.’’
लोगों को डोनाल्ड ट्रंप का यह बड़बोलापन नहीं सुहा रहा था और ऐसा लग रहा था कि इस बार डोनाल्ड ट्रंप हार जाएंगे, पर जब चुनाव नतीजे आने शुरू हुए तो एकदम से पासा पलटने लगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार बढ़त बनानी शुरू की, तो वे आगे ही निकलते चले गए. उन्हें कुल 312 सीटें मिलीं और कमला हैरिस महज 226 सीटों पर सिमट कर रह गईं. यह रिपब्लिकन पार्टी की एक बड़ी जीत थी.
चुनाव जीतने के बाद जब डोनाल्ड ट्रंप ने घुसपैठियों पर नकेल कसने की बात कही, तो इस का असर बहुत से देशों पर पड़ने लगा.
एक दिन वंदना और अजय नोएडा के अपने वन रूम फ्लैट में थे. वंदना ने सवाल किया, ‘‘तुम्हें क्या लगता है, डोनाल्ड ट्रंप ने इतनी बड़ी जीत कैसे हासिल की?’’
‘‘खबरों की मानें, तो डोनाल्ड ट्रंप की जीत की एक अहम वजह उन का ग्रामीण क्षेत्रों में अपने समर्थन को बढ़ाने में कामयाब रहना है. उन्होंने इंडियाना, केंटकी, जौर्जिया और उत्तरी कैरोलिना में समर्थन को बढ़ाते हुए अपना दम दिखाया है.
‘‘डैमोक्रैटिक कमला हैरिस को शहरी केंद्रों के साथसाथ आसपास के उपनगरों में भी बड़ी बढ़त हासिल करनी थी. साल 2016 से ही ऐसे उपनगरीय इलाकों में डैमोक्रैट्स को बढ़त मिलती रही है, लेकिन कमला हैरिस को इन इलाकों में मनमुताबिक भारी बढ़त नहीं मिल पाई.
‘‘कमला हैरिस की हार में लैटिन वोटरों के बीच डैमोक्रैटिक पार्टी के लिए समर्थन कम होना बड़ी वजह रहा है. डोनाल्ड ट्रंप को गैरश्वेत वोटरों का भी समर्थन मिला है.’’
‘‘अमेरिका में भी जो बाइडन के खिलाफ एंटीइनकंबैंसी कहीं न कहीं कमला हैरिस की हार की वजह बनी है. रिपब्लिकन पार्टी ने ज्यादा भावनात्मक मुद्दे उठाए. इसी वजह से अमेरिकियों ने भी डैमोक्रैट के मुकाबले रिपब्लिकन पर भरोसा किया.’’ अजय ने अपनी बात रखी.
‘‘मतलब, अब अमेरिका में घुसपैठ करना मुश्किल हो जाएगा?’’ वंदना का अगला सवाल था.
‘‘यह तो डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा ‘चुनावी मुद्दा’ रहा था. उन्होंने वादा किया था कि चुनाव जीतने के बाद वे घुसपैठियों को अमेरिका से बाहर करेंगे. उन्होंने साफ कर दिया था कि अब अमेरिका में सीधे रास्ते से आना होगा.
‘‘डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा था कि वे हर प्रवासी आपराधिक नैटवर्क को निशाना बनाने और उसे खत्म करने के लिए 18वीं सदी के कानून ‘एलियन एनिमीज ऐक्ट’ को लागू करेंगे, लेकिन यह कानून केवल विदेशी दुश्मन देश से आने वाले लोगों पर लागू होता है.’’
‘‘पर, गाज तो हर किसी पर गिरेगी न. हमारा ही हाल देख लो,’’ वंदना बोली.
अजय ने अखबार पढ़ते हुए कहा, ‘‘अरे यार, अब तो एक खरबूजे को देख कर दूसरा खरबूजा भी रंग बदलने लगा है. पिछले कुछ समय से कनाडा में हिंदू और सिख समुदाय के बीच चल रही टैंशन के बाद वहां भी वीजा को ले कर कड़े नियम किए जा रहे हैं.
‘‘जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने भारतीय नागरिकों के विजिटर वीजा की अवधि को एक महीने तक सीमित कर दिया है. इस से साढ़े 4 लाख पंजाबियों पर संकट आ गया है. अब उन्हें हर साल टूरिस्ट वीजा लेना होगा. साथ ही, एक महीने में कनाडा छोड़ना होगा. यह कदम कनाडा सरकार ने वीजा प्रणाली में कड़े प्रावधान लागू करने के मकसद से उठाया है.
‘‘इस से भारतीय नागरिकों को लंबी अवधि के वीजा की सुविधा खत्म हो जाएगी. इस का सब से ज्यादा असर पंजाबी समुदाय के लोगों पर होगा, जिन का कनाडा आनाजाना लगा रहता है. पहले 6 महीने का समय मिलता था, पर नए नियम से कनाडा में 10 लाख लोगों पर संकट आ गया है, जो विजिटर या मल्टीपल वीजा पर कनाडा में हैं.’’
वंदना ने कहा, ‘‘भारत के संबंध कनाडा के साथ इतने ज्यादा अच्छे नहीं हैं. आएदिन दोनों देशों के नेता एकदूसरे पर देश में अशांति फैलाने के इलजाम लगाते रहते हैं.’’
‘‘जब वीजा से जाने वालों पर इतने ज्यादा कड़े नियम बनाए जा रहे हैं, तो फिर डंकी वालों पर तो ये दोनों देश नकेल ही कस देंगे. डोनाल्ड ट्रंप कभी नहीं चाहेंगे कि उन का पड़ोसी देश कनाडा घुसपैठियों का अड्डा बन जाए,’’ अजय बोला.
‘‘क्यों न एक बार अपने दलाल से बात कर ली जाए?’’ वंदना ने अजय से धीरे से कहा.
अगले दिन वे दोनों अपने दलाल के पास गए, तो वह बोला, ‘‘अगले कुछ महीनों के लिए तो तुम दोनों अमेरिका या कनाडा जाने के ख्वाब देखने बंद कर दो. वैसे भी तुम्हें अभीअभी 40 लाख रुपए की चपत लगी है.
‘‘हां, एक काम हो सकता है. अगर तुम दोनों चाहो, तो सस्ते में तुम्हें कंबोडिया भिजवा सकता हूं. वहां तुम्हें 30-40 हजार रुपए महीने की नौकरी मिल जाएगी और विदेश जाने का सपना भी पूरा हो जाएगा.’’
‘‘हम कंबोडिया तुम्हारे भरोसे क्यों जाएंगे? तुम ने तो पहले ही हमारे पैसे हड़प लिए हैं,’’ अजय ने वहां से जाते हुए कहा.
‘‘यह भी ठीक है, पर एक बात का ध्यान रखना कि आजकल कंबोडिया जैसे दक्षिणपूर्व एशियाई देश औनलाइन घोटालों के गढ़ बने हुए हैं. मानव तस्कर भारतीय नागरिकों को नौकरी का झांसा दे कर कंबोडिया ले जा रहे हैं और फिर उन्हें औनलाइन घोटाले और साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
‘‘भारत के गृह मंत्रालय के साइबर विंग के सूत्रों ने बताया कि घोटालेबाज डिजिटल गिरफ्तारी के जरीए हर दिन तकरीबन 6 करोड़ रुपए उड़ा रहे हैं.
इस साल के पहले 10 महीनों में ही घोटालेबाजों ने 2,140 करोड़ रुपए उड़ा लिए हैं.’’
अजय और वंदना उस दलाल की यह सलाह सुनते हुए वहां से जा रहे थे. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अचानक से उन दोनों की जिंदगी गहरे अंधेरे में जाती हुई लग रही थी. उन के ख्वाब चकनाचूर हो गए थे.