सूरज डूब चुका था. अंधेरा घिरने लगा था. सारा शहर रोशनी से जगमगा रहा था. बाजारों की चहलपहल देखने लायक थी, लेकिन शहर से दूर एक जगह ऐसी भी थी, जहां लोग सरेशाम ही सो चुके थे.यह एक कब्रिस्तान था, जहां हर तरफ एक डरावनी खामोशी थी. कभीकभी हवा का कोई झोंका माहौल में हलचल मचा देता. उस दिन जुमेरात थी, इसलिए कब्रों पर मोमबत्तियां जल रही थीं.चौधरी इलाहीबख्श काफी अरसे के बाद आज अपने मांबाप के कब्र पर फातिहा पढ़ने आए थे. जैसे ही वे कब्रिस्तान से बाहर जाने के लिए मुड़े कि सामने की कब्र पर एक साए को देख कर उन के कदम ठिठक गए.

उस कब्र को देख कर ऐसा लगता था कि मरने वाले ने चंद रोज पहले ही यहां बसेरा किया होगा. उस कब्र पर तसवीर बनाने का सामान बिखरा हुआ था और एक लड़की बड़ी तेजी से कोई तसवीर बना रही थी.वह लड़की काले रंग के सलवारसूट में बहुत प्यारी लग रही थी. उस के काले घने बाल कंधों पर बिखरे हुए थे. उस की बड़ीबड़ी आंखों में आंसू भरे थे. उस के मासूम चेहरे में इतनी कशिश थी कि चौधरी इलाहीबख्श उस तक खिंचे चले गए. उन्होंने उस के सिर पर हाथ रखा तो वह लड़की चौंक गई.चौधरी इलाहीबख्श बोले, ‘‘बेटी, मैं तुम्हें जानता तो नहीं हूं, पर इतना जरूर कहूंगा कि रात ज्यादा हो रही है, तुम अब घर जाओ.’’

‘‘पर, अभी मेरी तसवीर अधूरी है,’’ उस लड़की ने कहा.

‘‘तो कल पूरी कर लेना,’’ चौधरी इलाहीबख्श ने जवाब दिया.

‘‘कल किस ने देखा है,’’ यह कह कर वह लड़की आगे बढ़ गई.

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