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‘‘जी, वहां नंबरों का चक्कर तो नहीं पड़ेगा.’’

‘‘अच्छा एकेडैमिक कैरियर हर जगह देखा जाता है. परंतु सेना के अपने मापदंड हैं. उसी के अनुसार सिलैक्शन किया जाता है. वहां कोईर् आरक्षण का चक्कर नहीं होता. वहां उन को औलराउंडर चाहिए जो आत्मविश्वास से भरा हो, तुरंत निर्णय लेने की क्षमता रखता हो, दिमाग और शरीर से स्वस्थ हो. और हर तरह का काम करने में समर्थ हो. फिर वे उन को अपनी ट्रेनिंग से सेना के अनुसार ढाल लेते हैं. मेरी सुरेश से बात करवाओ. मैं उसे बताऊंगा कि कैसे करना है,’’ मैं ने कहा.

‘‘हां, जी.’’

‘‘दिल्ली के एस एन दासगुप्ता कालेज ने अमृतसर में कोचिंग ब्रांच खोली है जो आईएएस, आईपीएस, सेना में अफसर बनने के लिए इच्छुक नौजवानों को कोचिंग देता है. वह यूपीएससी की अन्य परीक्षाओं की भी तैयारी करवाता है. तुम्हें पता है, आजकल सब औनलाइन होता है. वहां चले जाओ. वे इन्वैंट्री कंट्रोल अफसर के लिए औनलाइन अप्लाई करवा देंगे. वहीं तुम्हें इस की लिखित परीक्षा के लिए कोचिंग लेनी है. अगर लिखित परीक्षा पास कर लेते हो तो वहीं इंटरव्यू की तैयारी की कोचिंग भी लेनी है. वे तुम्हें इस प्रकार तैयारी करवाएंगे कि तुम्हारे 99 प्रतिशत सफल होने के चांस रहेंगे.’’

‘‘पर फूफाजी, मेरे पास उन का पता नहीं है.’’

‘‘यार, आजकल सारी सूचनाएं गूगल पर मिल जाती हैं. गूगल पर सर्च मारो, सब पता चल जाएगा. फिर मुझे बताना कि क्या हुआ.’’

‘‘जी, फूफाजी.’’

कुछ दिनों बाद सुरेश का फोन आया, ‘‘फूफाजी, मुझे पता चल गया था. मैं ने औनलाइन अप्लाई कर दिया है. कोचिंग सैंटर ने अप्लाई और लिखित परीक्षा की तैयारी के लिए 10 हजार रुपए लिए हैं और साथ में यह गारंटी भी दी है कि लिखित परीक्षा वह अवश्य क्लीयर कर ले.’’

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‘‘सुरेश, यह उन का व्यापार है. ऐसा वे सब से कहते होंगे जो उन के पास परीक्षा की तैयारी के लिए जाते हैं. यह औल इंडिया बेस की परीक्षा है. इस में सब से अधिक तुम्हारी खुद की मेहनत रंग लाएगी. तुम से अच्छे भी होंगे और खराब भी. बस, रातदिन तुम्हें मेहनत करनी है बिना यह सोचे कि तुम्हारा एकेडैमिक कैरियर कैसा था. यदि तुम ने लिखित परीक्षा पास कर ली तो समझो 50 प्रतिशत मोरचा फतेह कर लिया.’’

‘‘जी, फूफाजी. मैं ईमानदारी से मेहनत करूंगा. लो एक सैकंड पापा से बात करें.’’

‘‘नमस्कार, जीजाजी.’’

‘‘नमस्कार, कैसे हो विपिन?’’

‘‘ठीक हूं, जीजाजी. यह जो सुरेश के लिए सोचा गया है, क्या वह ठीक रहेगा.’’

‘‘बिलकुल ठीक रहेगा. अगर सुरेश सिलैक्ट हो जाता है तो उस की जिंदगी बन जाएगी. वह लैफ्टिनैंट बन कर निकलेगा. क्लास वन गैजेटेड अफसर. सेना की सारी सुविधाएं उसे प्राप्त होगी. उन सुविधाओं के प्रति आम आदमी सोच भी नहीं सकता. ट्रेनिंग के दौरान ही उसे 20 हजार रुपए भत्ता मिलेगा, रहनाखाना फ्री. पासिंगआटट के बाद इस की

55 हजार रुपए से ऊपर सैलरी होगी. वहीं साथ में कई तरह के भत्ते भी मिलेंगे. सारी उम्र न केवल आप को बल्कि पूरे परिवार के रहनेखाने की चिंता नहीं रहेगी, यानी रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता नहीं रहेगी.’’

‘‘वह सब तो ठीक है, जीजाजी, बस एक ही डर है, बेमौत मारे जाने का.’’

‘‘मैं शकुन को सबकुछ समझा चुका हूं, मानता हूं, यह डर उस समय भी था जब मैं सेना में गया था. सेना की इस सेवा के दौरान मैं ने 2 लड़ाइयां भी लड़ीं. मुझे  कुछ नहीं हुआ. जिस की आई होती है, वही मरता है. मैं आप को अपने जीवन की एक घटना बताना चाहता हूं. 65 की लड़ाई में हम सियालकोट सैक्टर से पाकिस्तान में घुसे थे. सारा स्टोर 2 गाडि़यों में ले कर चल रहे थे. एक गाड़ी में मैं और मेरा ड्राइवर था. दूसरी गाड़ी में एक बंगाली लड़का और उस का ड्राइवर था. पाकिस्तान में हम आसानी से घुसते चले गए. लड़ाई हम से कोई 10 किलोमीटर आगे चल रही थी. हम लोगों को केवल हवाई हमलों का डर था और वही हुआ.

‘‘जैसे ही हम ने पाकिस्तान के चारवा गांव को क्रौस किया, हम पर हवाई हमला हुआ. गाडि़यों से निकल कर जिस को जहां जगह मिली लेट गया. मेरे बराबर में मेरा ड्राइवर और उस के बराबर में वह बंगाली लड़का लेटा था. ऊपर से गन का ब्रस्ट आया और गोलियां ड्राइवर के शरीर से इस प्रकार निकल गईं जैसे कपड़े की सिलाई की गई हो. उस ने चूं भी नहीं की. उसी वह मर गया. हम लोगों पर भी खून और मिट्टी पड़ी थी.

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‘‘मैं ने आप को डराने के लिए यह घटना नहीं सुनाई है बल्कि यह बताने के लिए कि जिस की मौत आनी होती है, वही शहीद होता है और यह रिस्क हर जगह रहता है. आप यहां सिविल में भी घर से निकलो तो जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता. फिर भी सब अपनेअपने कामों पर घरों से निकलते हैं. इसलिए उसे जाने दो.’’

‘‘ठीक है जीजाजी, पर सुना है, सेना में वही लोग जाते हैं जो भूखे और गरीब हैं, जिन के पास सेना में जाने के अलावा कोई चारा नहीं होता.’’

‘‘यह बात सही है विपिन. जिन के घरों में गरीबी है, दालरोटी के लाले पड़े हैं, अकसर वही लोग सेना में जाते हैं और जब तक यह गरीबी रहेगी, दालरोटी के लाले रहेंगे, देश को सैनिकों की कमी नहीं रहेगी.

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