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‘यह सबकुछ सुन कर मैं धम्म से सोफे पर धंस गया तो विलियम मेरा आशय समझ मुसकरा कर कहने लगा, कि ‘डैडी, आप अकेले हो जाएंगे, इसलिए हम दोनों यह प्रस्ताव अस्वीकार कर देते हैं. वैसे तो यहां भी सबकुछ है.

‘मैं ने अपनेआप को संभाला और कहा कि वाह, मेरा बेटा और बहू इतने बड़े पद पर जा रहे हैं तो मेरे लिए यह गर्व की बात है. सच, मुझे इस से बड़ी खुशी क्या होगी?

‘जाने की तैयारियां होने लगीं. दिन तो बीत जाता पर रात में नींद न आती. कभी विलियम और जैनी तो कभी जार्ज के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहती.

‘वह दिन भी आ गया जब लंदन एअरपोर्ट पर विलियम, जैनी और जार्ज को विदा कर भीगे मन से घर वापस लौटना पड़ा. विलियम और जैनी ने जातेजाते भी अपने वादे की पुष्टि की कि वे हर सप्ताह फोन करते रहेंगे और मुझ से आग्रह किया कि मैं उन से मिलने के लिए आस्टे्रलिया अवश्य आऊं. वे टिकट भेज देंगे.

‘मन में उमड़ते हुए उद्गार मेरे आंसुओं को संभाल न पाए. जार्ज को बारबार चूमा. एअरपोर्ट से बाहर आने के बाद वापस घर लौटने के लिए दिल ही नहीं करता था. कार को दिन भर दिशाहीन घुमाता रहा. शाम को घर लौटना ही पड़ा. सामने जार्ज की दूध की बोतल पड़ी थी. उठा कर सीने से चिपका ली और ऐथल की तसवीर के सामने फूटफूट कर रोया.

‘चार दिन बाद फोन की घंटी बजी तो दौड़ कर रिसीवर उठाया, ‘हैलो डैडी,’ यह स्वर सुनने के लिए कब से बेचैन था. मैं भर्राए स्वर में बोला, ‘तुम सब ठीक हो न, जार्ज अपने दादा को याद करता है कि नहीं?’ जैनी से भी बात की और यह जान कर दिल को बड़ा सुकून हुआ कि वे सब स्वस्थ और कुशलपूर्वक हैं.

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