‘‘सूरज को आइसोलेशन में रखने का इंतजाम करो और उस से दूरी बना कर रखा करो,’’ जेलर ने हवलदार से कहा.
‘‘जी जनाब, पर कोई खास बात?’’ हवलदार ने पूछा.
‘‘वह कोरोना पौजिटिव है. उस की रिपोर्ट आ गई है. उस ने काम ही ऐसा किया है. पापी कहीं का,’’ जेलर ने बड़ी नफरत से सूरज की ओर देख कर कहा.
सूरज सारी बातें सुन रहा था. उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया. हवस में अंधा हो कर उस ने जो गलत कदम उठाया था, उस का ही यह नतीजा है. उस की आंखों से आंसू छलक पड़े. उस के जेहन में कुछ दिनों पहले की घटना फिल्म की तरह कौंध गई.
सूरज चिरायु अस्पताल में वार्डबौय था. उन दिनों कोरोना वायरस का बड़ा खौफ था. एक ही दिन में कईकई मरीज आ जाते थे. वह मरीजों की सेवा करता था. उन में से कुछ महिला मरीजों को देख कर उस का दिल फिसल जाता था. कई बार वह लड़कियों और औरतों से छेड़खानी किया करता था.
चूंकि मरीजों के बिस्तर के चारों ओर परदा लगाने का इंतजाम होता था और मरीज की निजता के लिए परदा लगाया जा सकता था, इसलिए सूरज परदा लगा कर छेड़खानी कर लिया करता था.
गांवदेहात से आई औरतें तो ज्यादा विरोध भी नहीं करती थीं. कई मरीजों के साथ आए लोग ही मरीज से उस की सिफारिश कर देते थे, ‘‘कोई खास जरूरत हो, तो सूरज भैया से कह देना.’’
जब कोरोना का कहर नहीं था, तो एक बार गांव की एक लड़की का अपैंडिक्स का आपरेशन हुआ था. आपरेशन के बाद वह कुछ दिनों तक अस्पताल में थी. वैसे तो वार्डगर्ल ही औरतों के पास जाती थीं, पर सफाई वगैरह के नाम से सूरज भी चला जाता था. वह परदा गिराने के बाद उस लड़की के साथ जम कर छेड़खानी करता था. वह उस का हाथ हटाती जरूर थी, पर कुछ कहती नहीं थी.