जारा की उम्र उस समय महज 16 साल की थी, जब उसे अहमद से प्यार हो गया था. अहमद कोई और नही, बल्कि उस की फूफी का लड़का था और वह अकसर जारा के घर आताजाता रहता था.

अहमद एक अमीर बाप की औलाद था. उन की एक आलीशान कोठी और कपड़ों का एक बड़ा कारखाना था. इस के साथसाथ अहमद देखने में भी काफी हैंडसम था. यही वजह थी कि जारा की अम्मी बचपन से ही उस के सामने अपने शौहर से कहती रहती थीं कि हम जारा की शादी अहमद से करेंगे.

उन की ये बातें सुन कर जारा का दिल भी अहमद के लिए मचलने लगा और वह अंदर ही अंदर उस की दीवानी बन गई.

अहमद भी उस की तरफ खिंचने लगा था. वह उसे पाने के लिए बेकरार रहने लगा था. रहता भी क्यों नहीं, जारा थी ही ऐसी बला की खूबसूरत. बड़ीबड़ी आंखें, गुलाबी होंठ, सुर्ख गाल और काले घने लंबे बाल उस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे.

एक दिन जारा के घर में उस के सिवा कोई न था और अचनाक अहमद आ गया. अहमद जैसे ही घर के अंदर आया, जारा ने उसे अपनी बांहों में भर लिया. अहमद ने भी उसे अपने आगोश में ले लिया और दोनों यों ही एकदूसरे की बांहों में पड़े रहे.

अब जब भी अहमद को मौका मिलता, वह जारा से मिलने आ जाता. दोनों साथ जीनेमरने की कसम खाते और एकदूसरे से मिल कर बहुत खुश होते, पर अहमद को क्या पता था कि उस के प्यार से अनजान उस के घर वालों को जब जारा के बारे में पता चलेगा, तो घर में भूचाल आ जाएगा.

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