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सत्यम, जिस ने जीवन में पहली बार किसी लड़की को ऐसी नजर से देखा हो उसे तो पसंद आनी ही थी. कहना न होगा कि पहली ही नजर में वह दिल हार गया सुहानी के हाथों. अलबत्ता, सत्यम की मां ने अवश्य कहा, ‘कृपया सुहानी की कुंडली हमें दे दें ताकि हम अपने पुरोहित से सलाह कर शादी का दिन निकलवा सकें.’

‘परंतु हम तो जन्मकुंडली इत्यादि में विश्वास ही नहीं करते. सो, हमारे पास सुहानी की कोई कुंडली नहीं है,’ सुहानी के पापा ने कहा.

सत्यम की मम्मी कुछ परेशान सी होने लगीं. फिर वहीं से उन्होंने अपने पुरोहित को फोन लगाया. उन से बात की और फिर, ‘देखिए, ऐसा है यदि आप के पास कुंडली नहीं है तो कोई बात नहीं. आप मेरे पुरोहितजी से मिल लें. वे जन्मदिन और वक्त के हिसाब से सुहानी बिटिया की कुंडली बना देंगे,’ कह कर सत्यम की मां ने हल निकाला.

उस दिन के बाद से घरवालों की रजामंदी से सत्यम और सुहान मिलने लगे. सत्यम को सुहानी का सुहाना सा व्यक्तित्व, सोच और जीवन के प्रति सकारात्मक विचार काफी आकर्षक लगे. सुहानी को भी सत्यम की पढ़ाई, नौकरी और सीधापन भा गया. कुछ ही दिनों में दोनों एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए और इंतजार करने लगे कि कब शादी होगी.

सुहानी तो कैफेटेरिया नहीं आई, पर सत्यम की मम्मी के फोन आने लगे.

‘‘बेटा, जल्दी घर आ जाओ, कुछ जरूरी बात बतानी है.’’

‘‘क्या हुआ मां, मैं ने तो बताया ही था कि मैं सुहानी से मिलने जा रहा हूं,’’ घर पहुंचते ही सत्यम ने कहा.

‘‘कोई जरूरत नहीं है अब उस लड़की से मिलने की,’’ मां ने लगभग चीखते हुए कहा.

‘‘क्यों, अब क्या हो गया? आप सब को तो वह पसंद है और अब मुझे भी,’’ सत्यम ने खीझते हुए कहा.

‘‘नहीं, पंडितजी ने बताया है कि सुहानी घोर मांगलिक है और उस से शादी करने वाले की शीघ्र मौत निश्चित है. मुझे अपने बेटे के लिए कोई अनिष्टकारी नहीं चाहिए,’’ मां ने कहा.

‘‘वैज्ञानिक मंगल की यात्रा कर चुके हैं और आप अभी तक उस से डरती ही हैं,’’ सत्यम ने मां को समझाना चाहा.

मां से बहस करना व्यर्थ लगा. सो, सत्यम अपने कमरे में चला गया. शाम तक घर के सभी सदस्य उस की मां की बातों से सहमत दिखे. सत्यम ने अपनी तरफ से सभी को समझाने की बड़ी कोशिशें कीं, परंतु उस की मृत्युकारी कन्या से विवाह के सभी विरुद्ध ही रहे. वह बारबार सुहानी को फोन करता रहा, परंतु उस ने कौल रिसीव ही नहीं की.

दूसरे दिन शाम को सुहानी ने उसे फोन किया.

‘‘क्या हुआ सत्यम, क्यों लगातार फोन कर रहे हो?’’

‘‘मैं कल कैफेटेरिया में देर तक तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहा. तुम आई भी नहीं और मेरा फोन भी नहीं उठाया,’’ सत्यम ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘अब इतने भोले भी न बनो जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं. तुम्हारे घरवालों ने तो परसों ही सूचना दे दी थी कि मांगलिक होने की वजह से यह रिश्ता नहीं हो सकता,’’ सुहानी ने गुस्से से कहा.

‘‘और उस ढोंगी बाबा की भी कहानी सुनो, जिस की भक्त तुम्हारी मां हैं. जब मेरे पापा उस बाबा से मिले तो उस ने कहा कि मनलायक कुंडली बनाने हेतु उसे 50 हजार रुपए चाहिए. मेरे पिताजी इन बातों पर विश्वास तो करते नहीं हैं. सो, उन्होंने इनकार कर दिया. गुस्से में उस ढोंगी ने तभी धमकी दे दी कि तब तो आप की बेटी की शादी मैं उस परिवार में होने नहीं दूंगा. लड़के की मां उस की मुट्ठी में है, कुछ ऐसा भी उस ने कहा. तुम्हारे घरवालों ने मेरे पापा की बात से अधिक उस तथाकथित बाबा की बातों को माना,’’ हांफती हुई सुहानी गुस्से में बोल रही थी.

‘‘हां, तुम्हें एक अच्छी खबर दे दूं कि आज मेरी सगाई हो गई और अगले महीने शादी है. अब मुझे कभी फोन नहीं करना,’’ कहते हुए सुहानी ने फोन काट दिया.

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