मेरी मम्मी को मेरे अकेले मुंबई रहने में समस्या दिख रही थी. अत: वे भी मेरे साथ मुंबई आ गईं. मेरे पापा के बौस के बड़े भाई अमेरिकी नागरिक हैं. उन का बेटा अमेरिका में नौकरी करता था. उन्होंने अपने बेटे समीर के रिश्ते के लिए पापा से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि समीर से शादी के बाद मुझे भी जल्द ही अमेरिका का ग्रीन कार्ड और नागरिकता मिल जाएगी. आननफानन में मेरी शादी हो गई. मैं अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में आ गई. फिर मुझे जल्द ही ग्रीन कार्ड भी मिल गया.
मेरे पति समीर गूगल कंपनी में काम करते थे. मुझे भी यहां नौकरी मिल गई. अमेरिका में काफी बड़ा बंगला, 4-4 महंगी गाडि़यां और अन्य सभी ऐशोआराम की सुविधाएं उपलब्ध थीं. मैं समीर की पत्नी भी बन गई और जब उस की मरजी होती उस के लिए पत्नी धर्म का पालन भी करती. पर मर्दों के प्रति जो मन में एक खौफ था बचपन से उस के चलते अकसर उदासीनता छाई रहती.
हम दोनों के विचार भी भिन्न थे. समीर शुरू से अमेरिकन संस्कृति में पलाबढ़ा था. यही कारण रहा होगा हम दोनों में असमानता का पर मैं ने महसूस किया कि आज तक उस ने कभी मुझे प्यार भरी नजरों से नहीं देखा, न ही मेरी तारीफ में कभी दो शब्द कहे. अपने साथ मुझे बाहर पार्टियों में भी वह बहुत कम ले जाता. मैं कभी कुछ कहना चाहती तो मेरी पूरी बात सुने बिना बीच में ही झिड़क देता या कभी सुन कर अनसुना कर देता. मेरी भावनाएं उस के लिए कोई माने नहीं रखतीं. काफी दिनों तक पति से हमबिस्तर होने पर भी मुझे वैसा कोई आनंद नहीं होता जैसा फिल्मों में देखती थी.
मेरे औफिस में एक नए भारतीय इंजीनियर ने जौइन किया था. पहले दिन उस का सब से परिचय हुआ, हर्षवर्धन नाम था उस का. उसे औफिस में सब हर्ष कहते थे. हम दोनों के कैबिन आमनेसामने थे. मैं ने महसूस किया कि अकसर वह मुझे देखता रहता. कभी मैं भी उस की तरफ देखने लगती. जब दोनों की नजरें मिलतीं, तो हम दोनों नजरें झुका लेते.
पर पता नहीं क्यों हर्ष का यों देखना मुझे बुरा नहीं लगता और मैं भी जब उसे देखती मन में खुशी की लहर सी उठती थी. मुझे लगता कि कोई तो है जिसे मुझ में कुछ तो दिखा होगा. अभी तक दोनों में वार्त्तालाप नहीं हुआ था. लंच टाइम में औफिस की कैंटीन में दोनों का आमनासामना भी होता, नजरें मिलतीं बस. कभी उस के चेहरे पर हलकी सी मुसकान होती जिसे देख कर मैं नजरें चुरा लेती.
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इस बीच मैं प्रैगनैंट हुई. हर्ष और मैं दोनों उसी तरह से नजरें मिलाते रहे. मैं ने देखा कैंटीन में कभीकभी उस की नजरें मेरे बेबीबंप पर जा टिकतीं तो मैं शर्म से आंखें फेर लेती या उस से दूर चली जाती. कभी बीचबीच में वह काम के सिलसिले में टूअर पर जाता तो मेरी नजरें उसे ढूंढ़तीं. कुछ दिनों बाद मैं मैटर्निटी लीव पर चली गई.
इसी बीच मैं ने फेसबुक पर हर्ष का फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट देखा. पहले तो मुझे आश्चर्य हुआ कि न बोल न चाल और सीधे दोस्त बनना चाहता है. 2-3 दिनों तक मैं भी इसी उधेड़बुन में रही कि उस की रिक्वैस्ट स्वीकार करूं या नहीं. फिर मेरा मन भी अंदर से उसे मिस कर रहा था. अत: मैं ने उस की रिक्वैस्ट ऐक्सैप्ट कर ली. फौरन उस का पोस्ट आया कि थैंक्स तान्या. आई मिस यू.
मैं ने भी मी टू लिख दिया. फिलहाल मैं ने उस दिन इतने पर ही फेसबुक लौग आउट कर दिया. मैं आंखें बंद कर देर तक उस के बारे में सोचती रही.
पता नहीं क्यों आमनेसामने हर्ष को मुझ से या फिर मुझे भी हर्ष से बात करने में संकोच होता, पर मुझे अब रोज हर्ष का फेसबुक पर इंतजार रहता. मेरा पति समीर भी जानता था मेरे एफबी फ्रैंड के बारे में, पर यह एक आम बात है. कोई शक या आश्चर्य की बात नहीं है. उसे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था.
इसी बीच हर्ष ने बताया कि वह बोकारो का रहने वाला है. बीटैक करने के बाद अमेरिका एक स्टूडैंट वीजा पर आया था और मास्टर्स करने के बाद ओपीटी पर है. अमेरिका में साइंस, टैक्नोलौजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (एसटीईएम) में स्नातकोत्तर करने पर कम से कम 12 महीने तक की औप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) का अवसर दिया जाता है जिस दौरान वे नौकरी करते हैं. अगर इसी बीच किसी कंपनी द्वारा उन्हें जौब वीजा एच 1 बी मिल जाता है तब वे 3 साल के लिए और यहां नौकरी कर सकते हैं वरना वापस अपने देश जाना पड़ता है.
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हर्ष और मेरे बीच फेसबुक संपर्क बना हुआ था. इसी बीच मैं ने एक बेटे को जन्म दिया. हम लोगों ने उस का नाम आदित्य रखा, पर घर में उसे आदि कहते हैं. हर्ष ने मुझे और समीर को बधाई संदेश भेजा. मेरे घर पर पार्टी हुई पर मैं हर्ष को चाह कर भी नहीं बुला सकी. औफिस कुलीग के लिए अलग से एक होटल में पार्टी दी गई. उस में हर्ष भी आमंत्रित था. उस ने आदि के लिए ‘टौएज रस’ और ‘मेसी’ दोनों स्टोर्स के 100-100 डौलर्स के गिफ्ट कार्ड दिए थे ताकि मैं अपनी पसंद के खिलौने व कपड़े आदि ले सकूं. पहली बार इस पार्टी में उस से आमनेसामने बातें हुईं.
उस ने मुझे बधाई देते हुए धीरे से कहा, ‘‘तान्या, तुम वैसे ही सुंदर हो पर प्रैगनैंसी में तो तुम्हारी सुंदरता में चार चांद लग गए थे. मैं तुम्हें मिस कर रहा हूं. औफिस कब जौइन कर रही हो?’’