"मतलब?"
"मतलब हम चाइनीज तरीके से भी शादी करें और इंडियन तरीके से भी."
"ऐसा कैसे होगा रिद्धिमा?"
"आराम से हो जाएगा. देखो हमारे यहां यह रिवाज है कि दूल्हा बारात ले कर दुलहन के घर आता है. सो तुम अपने खास रिश्तेदारों के साथ इंडिया आ जाना. इस के बाद हम पहले भारतीय रीतिरिवाजों को निभाते हुए शादी कर लेंगे उस के बाद अगले दिन हम चाइनीज रिवाजों को निभाएंगे. तुम बताओ कि चाइनीज वैडिंग की खास रस्में क्या हैं जिन के बगैर शादी अधूरी रहती है?"
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"सब से पहले तो बता दूं कि हमारे यहां एक सैरिमनी होती है जिस में कुछ खास लोगों की उपस्थिति में कोर्ट हाउस या गवर्नमैंट औफिस में लड़केलड़की को कानूनी तौर पर पतिपत्नी का दरजा मिलता है. कागजी काररवाई होती है."
"ठीक है, यह सैरिमनी तो हम अभी निबटा लेंगे. इस के अलावा बताओ और क्या होता है?"
"इस के अलावा टी सैरिमनी चाइनीज वैडिंग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. इसे चाइनीज में जिंग चा कहा जाता है जिस का अर्थ है आदर के साथ चाय औफर करना. इस के तहत दूल्हादुलहन एकदूसरे के परिवार के प्रति आदर प्रकट करते हुए पहले पेरैंट्स को, फिर ग्रैंड पेरैंट्स को और फिर दूसरे रिश्तेदारों को चाय सर्व करते हैं. बदले में रिश्तेदार उन्हें आशीर्वाद और तोहफे देते हैं."
"वह तो ठीक है इत्सिंग, पर इस मौके पर चाय ही क्यों?"
"इस के पीछे भी एक लौजिक है."
"अच्छा वह क्या?" मैं ने उत्सुकता के साथ पूछा.
"देखो, यह तो तुम जानती ही होगी कि चाय के पेड़ को हम कहीं भी ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते. चाय का पेड़ केवल बीजों के जरीए ही बढ़ता है. इसलिए इसे विश्वास, प्यार और खुशहाल परिवार का प्रतीक माना जाता है."