लेखिका- डा. शशि गोयल
तेल मल कर पट्टी बांध ली, पर श्यामा ताई को पता नहीं चला कि पट्टी में सत्ते ने 10-10 के 2 नोट बांध रखे हैं. एक प्लास्टिक की थैली में कुछ सिक्के बांध कर सामने चौराहे के बीच में लगी घनी झाड़ी के बीच में छिपाई थी. पर पता नहीं, वहां से भी किसी ने निकाल ली. जरूर सनी या जुगल ने उसे छिपाते हुए देखा होगा.
रुकमा सत्ते की राजदार थी, पर रुकमा ऐसा नहीं कर सकती थी. उसे भरोसा था कि जरूर सनी या जुगल का ही काम होगा. पट्टी रात में ढीली हो कर पैरों में सरक गई. सुबह अचकचा कर सत्ते ने उसे कस लिया. शाम को रुकमा के लिए गिलट के कान के झुमके ले आया.
रुकमा को अब सजनेसंवरने का शौक लगने लगा था, पर श्यामा ताई उस के बालों में मिट्टी लगा कर लट सी बना देती, ‘‘मुंडी काट दूंगी, जो फैशन बनाया... जवानी कुछ ज्यादा ही चढ़ रही है.
सत्ते को पता नहीं था कि जवानी क्या होती है, पर यह समझ गया कि रुकमा अब बड़ी हो रही है, टांड़ सी बढ़ती जा रही?है. फैशन करेगी तो ले उड़ेगी दुनिया. और हकीकत में एक दिन रुकमा कहीं नहीं दिखाई दी...
श्यामा ताई चारों ओर देख रही थी. उस दिन श्यामा ताई का लड़का भी दिन में ही दिखाई दिया... ‘बबलू भैया के...’
सत्ते ने कहना चाहा, पर लाललाल आंखों से लड़के ने सत्ते को चुप करा दिया और ‘चल ढूंढ़ें’ कहता हुआ बाहर ले गया.
‘‘क्या बोला, क्या बोला,’’ बबलू बोला, तो सत्ते हकला गया, ‘‘वह आप की मोपेड.’’