पूर्व कथा

काम की तलाश में भटकती एक लड़की कालोनी के घरों में जा कर काम मांगती है तो सभी डांटडपट कर भगा देते हैं. अंत में वह एक कोठी में जाती है तो एक प्रौढ़ महिला श्रीमती चतुर्वेदी उस का नामपता पूछती हैं तो वह अपना नाम कमला बताती है और उन के घर कमला को काम मिल जाता है.

कुछ घंटे बाद कमला बाहर जाने की अनुमति मांगती है ताकि वह अपना सामान ले कर आ सके तो श्रीमती चतुर्वेदी उसे जाने की इजाजत दे देती हैं. शाम को श्रीमती चतुर्वेदी की बेटियां और पति आफिस से आते हैं तो नई काम वाली को देख खुश होते हैं और उस की जांचपड़ताल के बारे में श्रीमती चतुर्वेदी से पूछते हैं. श्रीमती चतुर्वेदी उसे स्टोर रूम में रहने की जगह देती हैं. बिस्तर पर लेटते ही अतीत की यादें ताजा हो जाती हैं.

आज की नौकरानी कल की डा. लता थी. पीएच.डी. करने के बाद उस ने मुंबई विश्वविद्यालय में लेक्चरर के पद के लिए आवेदन किया था. लेकिन एक रात कुछ अज्ञात लोग उस के घर में घुस आते हैं और सब को मार देते हैं पर लता को छोड़ देते हैं. वह तड़के ही अपनी जान बचा कर वहां से भाग जाती है और मुंबई आ जाती है काम की तलाश में.

और अब आगे...

एक बार सविता से मिलने उस की मामी होस्टल में आई थीं तो उन से लता की भी अच्छी जानपहचान हो गई थी. उस ने योजना बनाई कि धर्मशाला में सामान रख कर पहले वह सविता की मामी के यहां जा कर बात करेगी, क्योंकि उस ने मुंबई विश्वविद्यालय के फार्म पर मुरादाबाद का पता लिखा है और वहां के पते पर इंटरव्यू लेटर जाएगा तो इस की सूचना उसे किस तरह मिलेगी.

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