जय श्री तलाकेश्वराय नम:.
दो नयन खुले, दो दिल टूटे, दो टूटे सपनों ने बिगाड़ किया.
दो निकट दिलों के पथिकों ने,
दूरदूर रहना स्वीकार किया.
सर्वसाधारण व बहुत खास को विज्ञापित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि हमारे यहां श्री तलाकेश्वर महाराज की असीम कृपा व महंगाई देवी की अनुकंपा से हमारी गृहस्थी की गाड़ी हिचकोले खाती हुई अंतत: हकीकत की चट्टान से टकरा कर चूरचूर हो चुकी है. इसीलिए हम आप को अपने मंगल तलाकोत्सव की सुमधुर बेला पर सपरिवार आमंत्रित करते हैं.
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लोकतंत्र के महान देशसेवक नेताओं के भाषणों से हमारा पेट खाली होने लगा था. फलत: घर में चिकचिक शुरू हो गई थी. यही चिकचिक हमारे तलाक का मुख्य आधार बनी थी और हम आज तलाक महोत्सव मनाने के कगार पर खड़े हैं. कृपया तलाक महोत्सव पर उपस्थित हो कर इस पूर्व दंपती को आशीर्वाद प्रदान कर अनुगृहीत करें. यह तो आप को पता ही है कि हम पिछले 3 साल से तथाकथित दांपत्य सूत्र में जकड़े हुए थे. एकदूसरे से हम काफी समय से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. कई बार हम ने छापामार युद्ध किया तो कई बार वाक्युद्ध को आदर्श ऊंचाइयों पर स्थापित किया. कितनी ही बार जूतों व चप्पलों से अस्त्रशस्त्र का काम ले कर आरपार की लड़ाई भी लड़ी. एकदूसरे पर गालीगलौज और लांछन लगाने का कार्यक्रम रच कर इतिहास का निर्माण भी किया. आखिर श्री तलाकेश्वर महाराज की कृपा से दांपत्य सूत्र से आजादी मिल ही गई.
इस मंगल पर्व पर आप पूर्व, अभूतपूर्व वरवधू को अपना मूल्यवान गिफ्ट भेंट कर अपने अमूल्य अश्रु भी अर्पित करें.