तरंग अपने नाम के अनुरूप शोख, चंचल और मस्त थी. लेकिन ऊंचे घराने में शादी क्या हुई वह तो पिंजरे वाली मुनिया बन कर रह गई. उस की चंचलता, सपने, इच्छाएं सभी बिखर कर रह गए.