लेखक- विनोद कुमार
हमारी इस दोस्त मंडली का काम था रोज भांग खाना, सिगरेट और शराब पीना, फिल्में देखना, राह आतीजाती लड़कियों पर फिकरे कसना और उन से छेड़खानी करना.
वैसे मैं शरीफ और पढ़ाईलिखाई से ताल्लुक रखने वाला लड़का था, पर न जाने कैसे इस बुरी संगत में पड़ गया. वैसे अब कुछ याद भी नहीं है.
हम लोग रोज नजदीक के राजेंद्र पार्क में जमा हो कर खूब गप लड़ाते. इधरउधर की डींगें हांकी जातीं.
एक दिन रोजाना की तरह हमारी बैठक चल रही थी. उसी दौरान राकेश बोला, ‘‘यार, आज में ने बहुत खूबसूरत लड़की को फांसा है. वह 16 साल की है. एकदम गोरीचिट्टी, पतली कमर वाली लाजवाब लड़की है. मैं ने उसे क्या फांसा, समझो ऐश्वर्या राय को फांस लिया.’’
‘अच्छा,’ हम तीनों दोस्त चौंक कर उस की बात ऐसे सुनने लगे, जैसे उस ने कोई पते की बात कही हो.
तभी सुनील ने राकेश को चिकोटी काटते हुए कहा, ‘‘और कुछ सुनाओ यार, अपनी चिडि़या के बारे में.’’
इस तरह हमारा दिन कट गया. दूसरे दिन हमारी बैठक हुई तो राकेश फिर अपनी नईनवेली प्रेमिका की तारीफ के पुल बांधने लगा. उस की बातों में हम सब को बड़ा मजा आ रहा था लेकिन जैसे ही राकेश की बात खत्म हुई, सुनील ने एक धमाका किया, ‘‘यारो, हमारी भी सुनो. मेरे पड़ोस की एक लड़की है माया. बड़ी दिलकश है वह. उस के होंठ प्रियंका चोपड़ा की तरह हैं, आंखें ऐश्वर्या राय की तरह और गाल काजोल की तरह.
‘‘आज सवेरेसवेरे उस ने मुझ से करीब एक घंटे बात की. बस, इतनी ही देर में वह मुझ पर मरमिटी है.’’
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