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‘‘मुझे आप की मदद कर के बहुत खुशी मिलेगी. मैं आप की छुट्टी के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से अनुरोध करूंगी. मु झे पूरा भरोसा है कि वे मेरी बात मान लेंगे और आप को 2 महीने की छुट्टी मिल जाएगी,’’ विनिता ने कहा.
विजय को कुछ बोलते नहीं बन रहा था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘अगर तैयारी के लिए 2 महीने की छुट्टी मिल गई, तो आप की बड़ी मेहरबानी होगी.’’
‘‘क्यों नहीं, मैं आप के लिए इतना तो कर ही सकती हूं. वैसे भी बहुत एहसान है आप का मु झ पर. मेरा भी तो फर्ज बनता है कि मैं आप के लिए कुछ करूं,’’ विनिता ने कहा.
विजय पहले से ही शर्मिंदगी महसूस कर रहा था. विनिता की इस बात पर उस ने चुप रहना ही बेहतर सम झा. थोड़ी देर चुप रहने के बाद उस ने जाने की इजाजत मांगी.
घर लौटते हुए विजय बहुत पछता रहा था. वह मन ही मन सोच रहा था, ‘काश, मैं ने इस से शादी की होती तो हो सकता है कि मु झे भी कामयाबी मिल जाती. इस लड़की से तो मु झे परीक्षा की तैयारी में मदद ही मिलती. नुकसान तो होता नहीं?’
अब विजय को पिछली कोशिश में कामयाबी न मिलने का उतना अफसोस नहीं था, जितना कि विनिता से शादी नहीं करने के उस के गलत फैसले का था. पर, अब बहुत देर हो चुकी थी. अब आखिरी कोशिश में उसे किसी भी कीमत पर कामयाबी हासिल करनी है.
विनिता ने तैयारी के लिए 2 महीने की छुट्टी दिलाने की सिफारिश करने का भरोसा दिलाया ही है, इसलिए अब उसे पूरे मन से तैयारी में जुट जाना चाहिए.