पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- दिल का तीसरा कोना: भाग 1
कुहू एकदम से चौंक कर बोली, ‘‘क्यों? वह कोई डरावनी फिल्म तो नहीं थी जो अंधेरे में डर के मारे मेरा हाथ पकड़ लेता.’’
मोनिका को खूब हंसी आई, जबकि वह थोड़ाथोड़ा समझ गई थी. जब उस ने कहा, ‘‘यार मोनिका, आरव की वकालत नहीं चली तो वह अच्छा गायक बन जाएगा. आज उस ने मुझे फिर एक गाना सुनाया, आप की आंखों में कुछ महके हुए से राज हैं… आप से भी खूबसूरत आप के अंदाज हैं…’’
मोनिका ने हंसते हुए उसे हिला कर कहा, ‘‘कहीं, उसे तुम से प्यार तो नहीं हो गया?’’
कुहू थोड़ी ढीली पड़ गई. उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘देख मोनिका, ये प्यारव्यार कुछ नहीं होता, बस एक कैमिकल लोचा होता है. तू छोड़ उस को…चल खाना खाने चलते हैं.’’
इस के बाद हम पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी में लग गए, कुहू के पेपर पहले हो गए तो वह घर लौटने की तैयारी करने लगी. उस की सुबह 7 बजे की बस थी. मेरे साथ मेरी एक सहेली बिंदु भी उसे बस स्टौप पर छोड़ने आई थी. आरव भी उसे बस पर बिठाने आया था. जातेजाते उस का कुछ अलग ही अंदाज था. उस ने आरव से खुद तो हाथ मिलाया ही बिंदु का हाथ पकड़ कर उस से मिलवाया.
‘‘मोनिका, सही बात तो यह कि मैं वहां से जा नहीं सकी, अभी भी उस का हाथ पकड़े वहीं खड़ी हूं. जब मैं ने उस की ओर हाथ बढ़ाते हुए उस की आंखों में झांका तो उन में जो दिखाई दिया, उसे उस समय तो नहीं समझ सकी. उस की बातें, उस के सुनाए गीत कानों में गूंज रहे थे. उस ने मेरी सगाई की बात सुनी तो उस का चेहरा उतर गया था. मेरा शरीर कहीं भी रहा हो, आत्मा अभी भी वहीं है.’’ आंसू पोंछते हुए कुहू ने कहा और चाय बनाने के लिए किचन में चली गई.
उस के पीछेपीछे मोनिका भी गई. उस ने कहा, ‘‘उस के बाद तुम फेसबुक पर आरव के संपर्क में आई थीं क्या?’’
ये भी पढ़ें- बड़ी लकीर छोटी लकीर: भाग 1
कुहू ने हां में सिर हिलाया और कहने लगी, ‘‘हौस्टल से घर आने के बाद कुछ ही दिनों में उमंग से मेरी शादी हो गई. उमंग बहुत ही अच्छा और नेक आदमी था. उस के जीवन का एक ही ध्येय था जियो और जीने दो. पार्टी के शौकीन उमंग को खूब घूमने और घुमाने का शौक था. वह जहां भी जाता, मुझे अपने साथ ले जाता. बेटे की पढ़ाई में नुकसान न हो, इस के लिए उसे हौस्टल में डाल दिया. पर मेरा साथ नहीं छोड़ा.’’
बात सच भी थी. कुहू जब भी मोनिका को फोन करती, यही कहती थी, ‘शादी के 15 साल बाद भी उमंग का हनीमून पूरा नहीं हुआ है.’
कभीकभी हंसती, मस्ती में डूबी कुहू की आंखों के सामने एक जोड़ी थोड़ी भूरी, थोड़ी काली आंखें आ जातीं तो वह खो जाती. ऐसे में ही एक रोज उमंग ने कहा, ‘‘चलो अपना फेसबुक पेज बनाते हैं और अपने पुराने मित्रों को खोजते हैं. अपने पुराने मित्र से मिलने का यह एक बढि़या रास्ता है.’’
इस के बाद दोनों ने अपनेअपने मोबाइल पर फेसबुक पेज बना लिए.
एक दिन कुहू अकेली थी और अपने मित्रों को खोज रही थी. अचानक उस के मन में आया हो सकता है आरव ने भी अपना फेसबुक पेज बनाया हो. वह आरव को खोजने लगी. पर वहां तो तमाम आरव थे उस का आरव कौन है, कैसे पता चले. तभी उस की नजर एक चेहरे पर पड़ी तो वह चौंकी. शायद यही है आरव.
उस के पास उस की कोई फोटो भी तो नहीं. बस, यादें ही थीं. उस ने उस की प्रोफाइल खोल कर देखी. उस की जन्मतिथि और शहर भी वही था. उस ने तुरंत उस के मैसेज बौक्स में अपना परिचय दे कर मैसेज भेज दिया. अंत में उस ने यह भी लिख दिया, ‘क्या अभी भी मैं तुम्हें याद हूं?’
बाद में उसे संकोच हुआ कि अगर कोई दूसरा हुआ तो वह उसे कितना गलत समझेगा. कुहू ने एक बार फिर उस की प्रोफाइल चैक की और उस के फोटो देखने लगी तो उस के फोटो देख कर कुहू की आंखें नम हो गईं. यह तो उसी का आरव है.
ये भी पढ़ें- आप भी तो नहीं आए थे: भाग 1
फोटो में उस के हाथ पर वह काला निशान यानी ‘बर्थ मार्क’ था. अगले ही दिन आरव का संदेश आया, ‘हां’. अब इस ‘हां’ का अर्थ 2 तरह से निकाला जा सकता था. एक ‘हां’ का मतलब मैं आरव ही हूं. दूसरा यह कि तुम मुझे अभी भी याद हो. पर कुहू को दोनों ही अर्थों में हां दिखाई दिया.
कुहू ने इस संदेश के जवाब में अपना फोन नंबर दे दिया. थोड़ी देर में आरव औनलाइन दिखाई दिया तो दोनों ही यह भूल गए कि उन की जिंदगी 15 साल आगे निकल चुकी है. कुहू एक बच्चे की मां तो आरव 2 बच्चों का बाप बन चुका था. इस के बाद दोनों में बात हुई तो कुहू ने कहा, ‘‘आरव, तुम ने अपने घर में मेरी बात की थी क्या?’’
आरव की मां को कुहू के बारे में पता था कि दोनों बातें करते हैं. जब उस ने अपनी मां से कुहू की सगाई के बारे में बताया था तो उस की मां ने राहत की सांस ली थी. कुहू को यह बात आरव ने ही बताई थी. आरव पर इस का क्या असर पड़ा, यह जाने बगैर ही कुहू खूब हंसी थी. और आरव सिर्फ उस का मुंह देखता रह गया था.
ये भी पढ़ें- प्यार की पहली किस्त
हां, तो जब कुहू ने आरव से पूछा कि उस ने उस के बारे में अपने घर में बताया कि नहीं? इस पर आरव हंस पड़ा था. हंसी को काबू में करते हुए उस ने कहा, ‘‘न बताया है और न बताऊंगा. मां तो अब हैं नहीं, मेरी पत्नी मुझ पर शक करती है. इसलिए मैं उस से कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं कर सकता.’’